एमएफपी पार्क के अधिकारियों की मनमानी

एमएफपी पार्क
  • ई-टेंडर की आड़ में अलग-अलग कंपनियों से कर डाली खरीदी

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। लघु वनोपज प्र-संस्करण एवं अनुसंधान केन्द्र (एमएफपी पार्क) बरखेड़ा पठानी भोपाल अपने आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए देश-विदेश में ख्यात है। विंध्य हर्बल के नाम से एमएफपी पार्क चुनिंदा उत्पाद च्यवनप्राश, शहद, इम्यूनिटी बूस्टर किट, गिफ्ट पैक, अश्वगंधा चूर्ण, गिलोय चूर्ण, सफेद मूसली चूर्ण, पौष्टिक चूर्ण और पीड़ाहारी तेल इत्यादि का उत्पादन करता है। लेकिन यहां सामग्रियों की खरीदी में जमकर घपला किया जा रहा है। अभी हाल ही में खरीदी का ऐसा मामला सामने आया है जिसमें अधिकारियों ने ई-टेंडर की आड़ में अलग-अलग कंपनियों से दालचीनी- जार जैसा एक ही सामान खरीद डाला।
सूत्रों का कहना है कि नियमों को ताक पर रखकर की गई खरीदी में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया है। नियम है कि 2.50 लाख से अधिक की खरीदी जेम पोर्टल से होगी। यह भी साल में पांच बार। इससे कम हो तो विभागीय क्रय समिति निर्णय करती है। पांच लाख से ज्यादा की खरीदी के लिए ई-टेंडर करने होंगे। राशि 50 हजार रुपए से कम है तो बिना कोटेशन खरीदी हो सकती है। लेकिन 30 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर वाली सरकार की एकमात्र फैक्ट्री विंध्य हर्बल बरखेड़ा पठानी में ई-टेंडर होना दिखाकर एक ही सामग्री की खरीदी अलग-अलग कंपनियों से कर ली गई। जबकि ई-टेंडर के बाद सबसे कम रेट देने वाली कंपनी से ही खरीदी का नियम है।
भंडार क्रय नियम का उल्लंघन
आयुर्वेद उत्पाद बनाने वाली इस फैक्ट्री में यह खरीदी 2022-23 के बीच हुई, जिसके लिए लाखों का भुगतान हुआ। इसमें भंडार क्रय नियम का उल्लंघन किया गया है। दालचीनी ही दो फर्मों गुजरात की वडोदरा और ग्वालियर की कंपनी से ली गई। 60 टैबलेट जार तीन कंपनियों से लिए गए। अवनी प्लास्टिक ने 25,670 नग 60 टैबलेट जार 2 रुपए 45 पैसे के हिसाब से दिए, जबकि नमा: प्लास्टिक ने इसी क्षमता के 17 हजार जार के लिए 2 रुपए 50 पैसे लिए। इसी क्षमता के जार श्रीनाथजी प्लास्टिक से भी लिए गए। नम: और अवनी ने 100 ग्राम के जार भी सप्लाई किए। आंवले राजस्थान की फर्म से लेना दिखाया है। आर्यन फार्मेसी, भोपाल से प्लास्टिक जार की खरीदी की गई। इसी तरह 1.80 करोड़ का कुटकी -कुटका खरीदा। श्रीनाथजी प्लास्टिक इंक इंदौर से 7.50 लाख के जार लिए। अदिति ट्रेडिंग कंपनी, धौलपुर से 50 लाख रुपए का आंवला लिया। ग्वालियर से 11 लाख के कमल, राज उद्यम वडोदरा से फूल, कंकोली, चिरायता, दालचीनी लिया। इसी तरह कई सामग्री खरीदी गई है। जब इस संदर्भ में विंध्य हर्बल के सीईओ दिलीप कुमार, से पूछा गया तो वे गोलमाल जवाब देते रहे। वे यह नहीं बता पाए की इतनी बड़ी राशि की सामग्री खरीदने के लिए ई-टेंडर क्यों नहीं किया गया।

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