
- 3 साल के कामकाज का रोडमैप तैयार
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विभागों के दो साल के कामकाज की समीक्षा के बाद अब 3 साल के कामकाज का रोडमैप तैयार करवाया है। आगामी तीन साल के दौरान विभागों को क्या-क्या करना है इसका निर्णय कर लिया गया है। सरकार ने यह साफ कर दिया है कि आगामी वर्षों में सरकार का विकास, रोजगार और आय बढ़ाने पर जोर रहेगा।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। इस महीने की 13 तारीख को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार के 2 साल पूरे हो रहे हैं। डॉ. मोहन के अब तक के कार्यकाल का आकलन बताता है कि मोहन ‘राज’ के 2 साल बेमिसाल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने जनकल्याण, विकास और डबल इंजन की अवधारणा को सफलतापूर्वक लागू किया है। मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि कि हमारा लक्ष्य अंत्योदय है। हमारा लक्ष्य गरीब कल्याण है। हम विरासत को भी सहेजेंगे और विकास भी करेंगे। यह विकास और कल्याण की यात्रा आगे भी लगातार जारी रहेगी। विधायक रामेश्वर शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार लगातार विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और नवाचार को बढ़ावा देने में लगी है। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं। भाजपा विधायक अभिलाष पांडे का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार सशक्त, स्थिर और तेजी से काम करने वाली बनकर उभरी है। सरकार संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर लगातार ध्यान दे रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र की सरकार सबके समग्र विकास का ध्येय लेकर आगे बढ़ रही है। किसान, गरीब, युवा, महिलाओं के कल्याण एवं विकास के लिए पृथक-पृथक मिशन चलाए जा रहे हैं। सरकार प्रदेश के समग्र विकास के साथ जनकल्याण के लिए समर्पित है। राज्य सरकार ने अनेक ऐसे निर्णय लिये जो सीधे जनता से जुड़े हैं। इन निर्णयों से प्रदेश की जनता के जीवन में खुशहाली लाने और शासकीय सेवाएं सहज रूप से उपलब्ध कराने के समुचित प्रयास किये गये हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि सबका विकास हमारा संकल्प है और इस संकल्प की पूर्ति के लिए हम अपना हर वादा पूरा करके दिखाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ संकल्प को ही कार्यसिद्धि का मंत्र बनाया है। उन्होंने देश के सर्वांगीण विकास के लिए समाज के सभी वर्गों के एक साथ और एक समान सशक्तिकरण को आवश्यक बताया है। इस संकल्प की सिद्धि के लिए मध्यप्रदेश सरकार लगातार मिशन मोड में कार्य कर रही है। मिशन मोड में विकास पथ पर तेजी से आगे बढऩे के लिये प्रदेश सरकार ने गरीब कल्याण मिशन, युवा शक्ति मिशन, किसान कल्याण मिशन और नारी सशक्तिकरण मिशन लागू किये हैं।
नए साल में मोहन सरकार का नया नवाचार
नए साल से मोहन सरकार एक और नए फार्मूले पर काम करेगी। सरकार और जनता के बीच की कड़ी मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नया प्लान तैयार किया है। इसके तहत अब वल्लभ भवन में मंत्रियों और विधायकों के लिए केबिन बनाया जाएगा। जहां सप्ताह में एक दिन मंत्री और विधायक का बैठना अनिवार्य होगा। इसके लिए बाकायदा नए साल से कैलेण्डर बनेगा कि किस दिन किस मंत्री और विधायक को वल्लभ भवन में बैठना है। इसके पहले दिसम्बर महीने की शुरुआत में ही भाजपा मुख्यालय में मंत्रियों के 5 दिन बैठने की शुरुआत हो चुकी है। विधानसभा चुनाव से 3 साल पहले भाजपा नए प्रयोग कर रही है। यह प्रयास इसलिए किया जा रहा है कि मंत्रियों की जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी को कम किया जा सके। दिसम्बर की शुरुआत से ही भाजपा मुख्यालय में मंत्रियों के केबिन तैयार किए गए हैं। इसमें मंत्री सप्ताह के 5 दिन 2 घंटे बैठेंगे। इस दौरान वे कार्यकर्ताओं और आम लोगों से मिलेंगे। साथ ही उनकी समस्याओं का निराकरण करेंगे। अब इसी कड़ी में वल्लभ भवन में भी इन मंत्रियों और विधायकों को सप्ताह का 1 दिन देना होगा। ये दिन मंत्रियों से विधायकों के संवाद का दिन रहेगा। भाजपा मुख्यालय में दिसम्बर की पहली तारीख से मंत्रियों का 2 घंटे का समय कार्यकर्ताओं की सुनवाई के लिए तय किया गया था। अब माना जा रहा है कि अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की सलाह और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर नई शुरुआत नए साल से ही होगी। मोहन सरकार के 2 साल पूरे होने पर भी ये तय किया गया है कि सभी विधायक अपने क्षेत्रों में जाकर विकास कार्यों। जनकल्याणकारी योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी जनता तक पहुंचाएंगे। इसके अलावा विधायकों को निर्देशित भी किया गया है कि जैसे मंत्री प्रदेश कार्यालय में नियमित बैठकें कर रहे हैं। उसी प्रकार विधायक भी सप्ताह में एक दिन जिला कार्यालय में जिला अध्यक्ष और सांसद के साथ बैठक करें। ताकि संगठन और जनप्रतिनिधियों के बीच की दूरियां मिट सकें और संवाद सरल हो सके। मोहन सरकार के मंत्री लखन पटेल का कहना है कि हमारे संगठन और सरकार का एक ही प्रयास है कि किस तरह से आम कार्यकर्ता और जनता के लिए सरकार सुलभ होती जाए। उसी के लिए इतने प्रयोग किए जा रहे हैं। 2028 के विधानसभा चुनाव के लिए अभी से पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी है। पार्टी विजन डॉक्यूमेंट भी तैयार कर रही है। 5 साल बाद मध्य प्रदेश कैसा होना चाहिए। इस सवाल के साथ सांसदों, विधायकों एवं पूर्व जनप्रतिनिधियों के सुझावों के आधार पर प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों का एक व्यापक विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा जो नियुक्तियां की जानी है, उसमें भी गति लाई जा रही है। सभी जिलों में एल्डरमैन, जनभागीदारी और रोगी कल्याण समितियों का गठन भी नए साल में कर लिया जाएगा। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के सामूहिक नेतृत्व में संपर्क और संवाद के नए आयाम खोले जा रहे हैं। इस प्रयास से जनता और सरकार के बीच सुगमता बढ़ेगी। हम सब मध्य प्रदेश को विकसित स्वर्णिम मध्य प्रदेश का स्वप्न पूरा होता देखेंगे। जवाबदेही इतनी है कि जनप्रतिनिधि सरकार के 2 साल का लेखा जोखा लेकर जनता के बीच पहुंचेंगे।
विभागों को सौंपा गया टारगेट
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विभागों की समीक्षा कर मंत्रियों और अधिकारियों को 3 साल का टारगेट सौंपा है। डॉ. मोहन सरकार में दो साल के भीतर औद्योगिक विकास और निवेश के नाम पर 30.77 लाख करोड़ रुपए के प्रस्ताव मिले हैं। इन सभी निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन के लिए निवेशकों से संपर्क किया जा रहा है। उनकी समस्याओं को जल्द से जल्द दूर करने का काम प्रारंभ हो गया है जिससे निवेश प्रस्ताव को जमीन पर अमलीजामा पहनाया जा सके। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक बैठक में कहा था कि सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि निवेश से जुड़े सभी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स की समय-सीमा निर्धारित कर उन्हें प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाया जाए। जिन निवेश प्रस्तावों पर काम प्रारंभ हो चुका है, उनकी नियमित रूप से मॉनिटरिंग की जाए। डॉ. मोहन सरकार के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सबसे बड़ी तैयारी है कि एक ही दिन में करीब ढाई लाख करोड़ लागत के कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन कराया जाए। क्योंकि 30.77 लाख करोड़ के आए निवेश प्रस्तावों में यह स्थिति बन गई है कि एक साथ दो लाख करोड़ के कार्यों का भूमिपूजन या लोकार्पण किया जा सकता है। ये सभी कार्य औद्योगिक विकास और निवेश से संबंधित होंगे। चूंकि मुख्यमंत्री के पुत्र का वैवाहिक कार्यक्रम होने से नवंबर माह में आयोजन स्थगित करना पड़ा। इसलिए इस बड़े कार्यक्रम को दिसंबर में करने का प्लान है। विधानसभा सत्र के बाद आगे की तैयारी की जाएगी। संभावना है कि ढाई लाख करोड़ के कार्यों में मेट्रो का शुभारंभ भी शामिल किया जा सकता है। उधर प्रदेश के मंत्रियों द्वारा अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन के कार्यक्रम किए जा रहें है। वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि ग्राम स्तर पर रोजगार सृजन, स्वच्छता और ग्रामों को सडक़ों के माध्यम से विकास की मुख्य धारा में जोडऩे में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह गतिविधियां आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार लाने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प के अनुसार वर्ष 2047 तक विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने में इस विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रमों और योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन तथा अनुवीक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी अद्यतन तकनीकों का अधिक से अधिक उपयोग किया जाए। सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा कि सहकारी समितियों में गबन करने वाले पदाधिकारी और कर्मचारियों की अचल संपत्ति कुर्क कर वसूली की जाएगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सभी सहकारी सोसायटी के पदाधिकारियों व कर्मचारियों की अचल संपत्ति (मकान, प्लॉट, जमीन आदि) का विवरण हर साल अनिवार्य रूप से लिया जाए। गबन या शॉर्टेज पाए जाने पर तुरंत उनकी संपत्ति कुर्क कर राशि वसूली जाएगी। किसानों को गबन से बचाने के लिए चल रही न्याय योजना की सीएम ने जमकर सराहना की। बैठक में छह कमजोर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों – जबलपुर, रीवा, सतना, ग्वालियर, दतिया और शिवपुरी को सुदृढ़ करने का फैसला लिया गया। इन बैंकों को प्रदेश सरकार 50-50 करोड़ रुपए की अंशपूंजी देगी। इस तरह कुल 300 करोड़ रुपए इन बैंकों के खाते में आएंगे। सीएम डॉ. यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी जिला सहकारी बैंकों को मिलाकर प्रदेश स्तर पर एक मजबूत सहकारी बैंक बनाने के विधिक और वित्तीय पहलुओं पर गंभीरता से विचार करें। इसे आगामी तीन वर्षों के लक्ष्यों में शामिल किया जाए। सहकारिता विभाग के इन सख्त कदमों से माना जा रहा है कि प्रदेश की हजारों सहकारी समितियों में पारदर्शिता आएगी और किसानों का पैसा सुरक्षित रहेगा।
कृषि वर्ष के रूप में मनाया जाएगा 2026
मप्र में आने वाला वर्ष 2025 कृषि वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। यह वर्ष समृद्ध किसान समृद्ध राज्य थीम पर आधारित होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसकी घोषणा की है। उन्होंने विधानसभा समिति कक्ष में आयोजित बैठक के दौरान अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किए। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि कृषि क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिससे विशेष रूप से गरीब और किसान वर्ग को सीधा लाभ मिलता है। कृषि गतिविधियों के माध्यम से युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता के अनेक अवसर सृजित किए जा सकते हैं। इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2026 को कृषि वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि समृद्ध किसान-समृद्ध राज्य टैगलाइन के साथ वर्ष 2026 को कृषि और इससे जुड़े सहयोगी क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित किया जाएगा। इसका मुख्य फोकस रोजगार सृजन, किसानों की आय में वृद्धि, कृषि को लाभकारी, टिकाऊ और तकनीकी रूप से उन्नत बनाना होगा। सरकार का लक्ष्य केवल किसानों की आय दोगुनी करना ही नहीं, बल्कि कृषि को एक रोजगार-सृजक मॉडल के रूप में विकसित करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर किसानों, आधुनिक कृषि पद्धतियों और मजबूत बाजार संपर्क पर आधारित सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था के माध्यम से प्रदेश को समृद्ध बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए जिला आधारित क्लस्टर विकास योजनाएं शुरू की जाएंगी, जिनमें कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन और वानिकी को एकीकृत किया जाएगा। सरकार का मानना है कि इन प्रयासों से न केवल किसानों की आय में स्थायी वृद्धि होगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे, जिससे मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि कृषि का क्षेत्र गरीब वर्ग और किसानों को लाभ पहुंचाने वाला मुख्य क्षेत्र है। कृषि से संबद्ध गतिविधियों के माध्यम से युवाओं को रोजगार और स्वावलंबन के भी कई अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं। इसी उद्देश्य से प्रदेश में वर्ष 2026 को कृषि वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में नवाचार की पर्याप्त संभावना है। प्रदेश की विविधता से परिपूर्ण भौगोलिक स्थिति को देखते हुए खेती से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयासों को गति दी जाए। धान की खेती को प्राथमिकता देने के साथ गेहूं, चना, दलहन, तिलहन, हॉर्टीकल्चर आदि के क्षेत्र में भी अन्य राज्यों के साथ ही अन्य देशों में हो रहे नवाचारों से अवगत कराने के लिए कृषकों को विविध देशों का भ्रमण कराया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह निर्देश शुक्रवार को वर्ष 2026 के कृषि वर्ष मनाने के संबंध में विधानसभा के समिति के कक्ष में आयोजित बैठक में दिए। बैठक में किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री लखन पटेल, पूर्व मंत्री श्री गोपाल भार्गव, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
तीन साल में कुपोषण खत्म करने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महिला एवं बाल विकास विभाग के कामकाज की समीक्षा के दौरान विभाग द्वारा किए गए नवाचारों की सराहना की। इसके साथ ही उन्होंने लाड़ली लक्ष्मियों के ड्रॉप-आउट को लेकर अधिकारियों को सख्त निगरानी और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। बैठक में यह भी बताया गया कि देश में पहली बार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की भर्ती के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है। रिक्त 19,500 पदों में से 9,948 पदों पर नियुक्ति आदेश जारी हो चुके हैं। शेष पदों की प्रक्रिया प्रगतिरत है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अगले 3 वर्ष में कुपोषण समाप्त करने के लिए एक फुल-प्रूफ कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने ब्रेस्ट फीडिंग के प्रति व्यापक जन-जागरूकता बढ़ाने पर भी विशेष जोर दिया। मप्र के शहरी इलाकों की आंगनबाडिय़ों में सेंट्रल किचन से जल्द ही गर्म भोजन वितरित किया जाएगा। यह व्यवस्था अगले 1 साल में शुरू कर दी जाएगी। बैठक में यह भी बताया गया कि देश में पहली बार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की भर्ती के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है। रिक्त 19,500 पदों में से 9,948 पदों पर नियुक्ति आदेश जारी हो चुके हैं। शेष पदों की प्रक्रिया प्रगतिरत है। मुख्यमंत्री ने इस अभिनव और पारदर्शी व्यवस्था की भी सराहना की। इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अगले 3 वर्ष में कुपोषण समाप्त करने के लिए एक फुल-प्रूफ कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने ब्रेस्ट फीडिंग के प्रति व्यापक जन-जागरूकता बढ़ाने पर भी विशेष जोर दिया। बैठक में मुख्यमंत्री ने भोपाल, झाबुआ, डिंडोरी, देवास, नीमच सहित विभिन्न जिलों में विभाग द्वारा किए गए नवाचारों की सराहना की। इसके साथ ही उन्होंने लाड़ली लक्ष्मियों के ड्रॉप-आउट को लेकर अधिकारियों को सख्त निगरानी और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। सीएम डॉ मोहन यादव ने साथ ही ब्रेस्ट फीडिंग के लिए जागरूकता बढ़ाने को कहा हैं। वहीं लाडली लक्ष्मी बेटियों के ड्राप आउट पर जानकारी ली। सामग्री टेंडर प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि अगर टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी होती है तो वरिष्ठ अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा क्षेत्र में लगातार सुधार और सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की गई हैं। पिछले दो वर्षों में प्रदेश का ड्रॉपआउट रेट 21.4 प्रतिशत से घटकर 16.8 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने निर्देश दिया कि इसे और कम करने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं और प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक पहुंचे। पिछले दो वर्षों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी की परीक्षाएं समय पर आयोजित की गईं और समय सीमा के भीतर ही परिणाम घोषित किए गए। मुख्यमंत्री ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत व्यावसायिक शिक्षा को और व्यापक बनाने पर जोर दिया जाए। उन्होंने कहा कि जिन विद्यालयों ने उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम दिए हैं, उनके प्राचार्यों को भी सम्मानित और प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने भवन एक-कक्षाएं अनेक की तर्ज पर सुझाव दिया कि एक ही विद्यालय भवन में खाली समय के दौरान महाविद्यालय की कक्षाएं भी संचालित करने का विकल्प तैयार किया जाए।
2028 तक 6 शहरों में खुलेंगे मेडिकल कॉलेज
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक बदलाव लाने के लिए तेजी से कदम उठा रही है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश में अधिक से अधिक अस्पतालों और डॉक्टरों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जाए, ताकि अधिक नागरिक इसका लाभ प्राप्त कर सकें। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जो अस्पताल अभी योजना में इम्पैनल्ड नहीं हैं, उन्हें भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और आने वाले समय में डॉक्टरों की बड़ी आवश्यकता होगी। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार बॉन्ड वाले डॉक्टर्स की भर्ती नियमों में बदलाव करने जा रही है। यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बॉन्ड वाले डॉक्टर्स को प्रदेश में ही सेवाएं देने के लिए प्रेरित किया जाएगा और दूरस्थ व जनजातीय क्षेत्रों में काम करने के लिए उन्हें आकर्षक मानदेय दिया जाएगा। प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार को लेकर कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। पन्ना, बैतूल, कटनी और धार में नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण का भूमिपूजन जल्द ही किया जाएगा। इसके अलावा सरकार की योजना है कि राज्य के एक जिले को मेडिकल टूरिज्म हब के रूप में विकसित किया जाए। वर्ष 2028 तक राजगढ़, मंडला, छतरपुर, उज्जैन, दमोह और बुधनी में निर्माणाधीन सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पीपीपी मोड पर बनने वाले मेडिकल कॉलेजों के निर्माण कार्य भी इसी अवधि में पूरे किए जाएंगे। प्रदेश के सभी संभाग मुख्यालयों में 2028 तक कैथलैब स्थापित करने की तैयारी है। इसी वर्ष तक मातृ मृत्यु दर को 100 प्रति लाख जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। खाद्य प्रशासन और औषधि प्रशासन को सुदृढ़ करने के लिए क्रमश: 41.07 करोड़ और 211 करोड़ रुपये की कार्ययोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं। सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में कई आधुनिक मशीनों की खरीद प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इंदौर, रीवा, जबलपुर और ग्वालियर में 50 करोड़ रुपये प्रति मशीन की लागत से ड्यूल एनर्जी लीनियर एक्सीलेटर मशीनें लगाई जाएंगी। वहीं कई मेडिकल कॉलेजों में सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनों की स्थापना जारी है। बैठक में बताया गया कि बीते दो वर्षों में राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को लेकर बड़ी सफलता मिली है। अब प्रदेश में सरकारी और निजी मिलाकर 52 मेडिकल कॉलेज हो चुके हैं। साथ ही 2500 नए बॉन्डेड डॉक्टर्स जल्द उपलब्ध होंगे, जिन्हें मेडिकल कॉलेजों और फील्ड अस्पतालों में सेवाएं देने के लिए तैयार किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में आमूलचूल परिवर्तन लाना ही सरकार की मंशा है। स्वास्थ्य सेवाओं के आधुनिकीकरण और चिकित्सा शिक्षा के व्यापक विस्तार के लिए सरकार बहुस्तरीय सुधार लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिकाधिक नागरिकों को आयुष्मान योजना का लाभ दिलाया जाए। जो अस्पताल या डॉक्टर आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं करते हैं या इस योजना में इम्पैनल्ड नहीं है, उन्हें भी इस योजना से जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टर्स की आपूर्ति के लिए विभाग भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाए। यह प्रयास किया जाए कि फील्ड में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के संचालन के लिए निजी चिकित्सकों की भी सेवाएं ली जाए। इसके लिए उन्हें कॉल पर बुलाने के अलावा अच्छा मानदेय (इन्सेंटिव) भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा ग्रहण कर रहे ऐसे विद्यार्थी, जिनकी फीस सरकार द्वारा अदा की जा रही है, ऐसे बॉन्ड वाले डॉक्टर्स को मध्यप्रदेश में ही सेवाएं देने के लिए रोका जाए। ऐसे डॉक्टर्स को प्रदेश के जनजातीय एवं दूरस्थ क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए इन्हें भी आकर्षक मानदेय राशि दी जाए।
