
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी मोड में आ चुकी भाजपा अब सत्ता और संगठन के तालमेल के साथ ही मैदानी अफसरों की जमावट में जुट गई है। यानी चुनावी साल में जिन अधिकारियों की एक ही जगह पदस्थापना के तीन साल पूरे होने वाले हैं, उन्हें बदला जा रहा है। सरकार मैदानी अफसरों की पदस्थापना में पदाधिकारियों की राय को महत्व दे रही है। अभी तक मैदानी क्षेत्रों में जो जमावट की गई है, उसके अनुसार सरकार को प्रमोटी आईएएस से ज्यादा प्रमोटी आईपीएस पर अधिक भरोसा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के 52 जिलों में से 18 जिलों के कलेक्टर प्रमोटी हैं, वहीं 24 जिलों के पुलिस अधीक्षक प्रमोटी हैं। जानकारी के अनुसार चुनावी साल में हर साल सबसे अधिक प्रमोटी अफसरों पर भरोसा करती है। इसकी वजह यह है कि ये अफसर जनता के सबसे अधिक करीब रहते हैं। मप्र में भी हर चुनावी वर्ष में प्रमोटी अफसरों को सरकार महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देती है। मप्र में भी प्रशासनिक सर्जरी शुरू हो गई है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के रिटायरमेंट और मिशन 2023 की दृष्टि से यह प्रशासनिक फेरबदल काफी मायने रखता है। हुआ भी यही। जहां ऊपरी स्तर पर किए गए तबादलों से चौंकाया तो मैदानी में पोस्टिंग में चुनावी जमावट साफ दिखी। सरकार ने फिर से प्रमोटी अफसरों पर भरोसा जताया है। विपक्ष के प्रति तीखे तेवरों के लिए गुड बुक में रहने वाले अफसरों को इस मैदानी जमावट में प्राथमिकता मिली है। राज्य सरकार ने 15 जिलों में नए कलेक्टर बनाए हैं। इनमें आठ अफसरों को पहली बार कलेक्टरी मिली है। जबकि चुनावी साल में अनुभवी अधिकारी को मैदान की कमान दी जाती है। दूसरी तरफ 18 जिलों में प्रमोटी अफसर हैं। प्रमोटी आईएएस और सीधी भर्ती के आईएएस में अनुभव और कौशल को लेकर एक खास तरह की प्रतिस्पर्धा और टकराव चलता रहता है। चुनाव के साल में नए सीधी भर्ती के आईएएस व राज्य सेवा से पदोन्नत हुए आईएएस को मिली इस पोस्टिंग से उन पर एक खास तरह का दबाव होगा। यूं भी मैदानी पोस्टिंग के लिए सत्ता के प्रति आस्था पहली योग्यता मानी जाती है। शायद यही कारण है कि जिलों में पदस्थ अधिकारी विपक्ष के प्रति सख्त तेवर दिखलाते हैं और सत्ता पक्ष के प्रति अतिरिक्त उदार होते हैं।
24 जिलों में प्रमोटी पुलिस अधीक्षक
मिशन 2023 के मद्देनजर की गई पहली प्रशासनिक सर्जरी में प्रमोटी अफसरों पर भरोसा जताया है। शिवराज सरकार का अनुभव प्रमोटी अधिकारियों के साथ अच्छा होने की झलक बीते दिनों हुए ट्रांसफर में भी देखने को मिली। ट्रांसफर सूची से स्पष्ट संकेत हैं कि सरकार को प्रमोटी आईएएस और आईपीएस अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा है। मध्य प्रदेश के कई जिलों की कमान राज्य प्रशासनिक सेवा (राप्रसे) से आईएएस बने अधिकारियों के हाथों में है। ऐसे एक या दो नहीं 18 जिले हैं। हाल ही में हुए तबादलों में प्रदेश के केंद्र बिंदू भोपाल संभाग का संभागायुक्त भी इस संवर्ग से आए मालसिंह भयडिया को बनाया गया है। युवा आइएएस लोकेश जांगिड़ के विवादित बयानों से सुर्खियों में आए बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा स्थानीय नेताओं की शिकायतों के बाद भी वहीं जमे हैं। गतदिनों हुए तबादलों में 2012 बैच के अधिकारी अरुण परमार और कैलाश वानखेड़े को भी कलेक्टर बनाया गया है। सरकार के आंख के तारे केवल प्रमोटी आईएएस नहीं, राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस बने अधिकारी भी हैं। ऐसे प्रमोटी आईएएस के हाथों 24 जिलों की पुलिस कप्तानी है। प्रमोटी आईएएस और आपीएस अधिकारियों का सहारा लेने की एक वजह राजनीतिक समीकरण भी मानी जा सकती है।
18 जिलों के कलेक्टर प्रमोटी
सरकार द्वारा की नई पदस्थापना के बाद प्रदेश के 52 जिलों में वर्तमान में 18 जिलों के कलेक्टर प्रमोटी हैं। ये हैं शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य (2009 बैच), शिवपुरी अक्षय सिंह (2010 बैच), उमरिया कृष्ण देव त्रिपाठी (2012 बैच), दतिया संजय कुमार (2011 बैच), रीवा मनोज पुष्प (2011 बैच), विदिशा उमाकांत भार्गव (2011 बैच), मंदसौर गौतम सिंह (2011 बैच), शाजापुर दिनेश जैन (2011 बैच), पन्ना संजय कुमार मिश्रा (2011 बैच), बड़वानी शिवराज सिंह वर्मा (2011 बैच), सिंगरौली अरुण परमार (2012 बैच), आगर मालवा कैलाश वानखेड़े (2013 बैच), खरगोन कुमार पुरुषोत्तम (2012 बैच), टीकमगढ़ सुभाष कुमार द्विवेदी (2012 बैच), डिंडोरी विकाश मिश्रा (2013 बैच), निवाड़ी तरुण भटनागर (2012 बैच), रायसेन अरविंद दुबे (2012 बैच) और रतलाम नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी (2012 बैच)।
24 जिलों में प्रमोटी एसपी
वहीं प्रदेश के 52 जिलों में से 24 जिलों के पुलिस कप्तान प्रमोटी आइपीएस हैं। ये हैं सीधी में मुकेश श्रीवास्तव, विदिशा मोनिका शुक्ला, कटनी सुनील जैन, राजगढ़ अवधेश गोस्वामी, ग्वालियर अमित सांघी, निवाड़ी टीके विद्यार्थी, सिंगरौली सत्येंद्र सिंह, उज्जैन वीरेंद्र सिंह, टीकमगढ़ प्रशांत खरे, हरदा मनीष अग्रवाल, आलीराजपुर मनोज कुमार सिंह, शिवपुरी राजेश सिंह, आगर मालवा राकेश सगर, डिंडोरी संजय सिंह, श्योपुर आलोक कुमार, अशोकनगर रघुवंश सिंह, मंडला यशपाल सिंह राजपूत, खरगौन धर्मवीर सिंह, उमरिया प्रमोद सिंहा, शाजापुर जगदीश डाबर, दमोह डालूराम तेनीवार, सिवनी रामजी श्रीवास्तव, ग्रामीण इंदौर वीएस बिरदे और ग्रामीण भोपाल किरणलता केरकेट्टा।