बिगबुल निकला सेज ग्रुप

सेज ग्रुप
  • हीरे जवाहरात उगल रहे हैं लॉकर, बेनामी निवेश के दस्तावेजों की तलाश बन रही मुश्किल…

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। दो दिन से जारी आयकर विभाग की छापा मारी में सेज ग्रुप का संचालक संजीव अग्रवाल कर चोरी के महारथी के रुप में उभर कर सामने आ रहा है। अब तक उनके गु्रप की कर चोरी का मामला करीब पांच सौ करोड़ के आंकड़े तक पहुंच चुका है। बीते दो दिन में इस आंकड़े में लगातार वृद्धि हो रही है। बीते रोज आयकर की टीम उस समय चौंक गई, जब उसके द्वारा इस ग्रुप के संचालक और उनके परिजनों के बैंक लॉकर खोले गए। इन लॉकरों ने करीब छह किलो सोने के जेवरात उगले हैं, जिनमें हीरे व जवाहरात जड़े हुए हैं। इनकी कीमत का आंकलन करीब 15 करोड़ रुपए का किया गया है।
    यह नहीं कई जमीनों की रजिस्ट्रीयों के अलावा करीब डेढ़ करोड़ रुपए नकद मिलने की भी जानकारी सामने आ रही है। इस बीच आधा सैकड़ा ऐसी फर्मों की भी जानकारी टीम को मिली है, जिनका उपयोग लेनदेन के लिए किया जाता था। इनकी वजह से ग्रुप के व्यवसाय में इसका कहीं उल्लेख ही नहीं होता था।  
    अब आयकर विभाग द्वारा इन रजिस्ट्रियों की पड़ताल और जेवरातों की खरीद फरोख्त की जांच की जा रही है। इसके अलावा आयकर विभाग को उन दस्तावेजों की तलाश में पसीना आने की बात कही जा रही है, जिन्हें ग्रुप के संचालक द्वारा छापे के ठीक पहले अपने आधा दर्जन से अधिक बेहद करीबी लोगों की मदद से छिपा दिया गया है। माना जा रहा है कि इसकी भनक छापा मार रही टीम को लग गई है। छापा डालने वाली टीम की मदद के लिए अब दिल्ली व चेन्नई से स्पेशल टीमों तक को बुलाना पड़ा है। खास बात यह है कि ग्रुप के लगभग चार सैकड़ा ई-मेल आईडी का पता चला है। बताया जा रहा है कि इनका उपयोग  संदिग्ध या सीक्रेट कम्युनिकेशन के लिए किया जाता था। अब इनकी जांच के लिए विभाग की तकनीकी टीम को लगाया गया है। फिलहाल कई ठिकानों पर आज तीसरे दिन भी कार्रवाई जारी है। गौरतलब है कि आयकर विभाग ने सेज ग्रुप के भोपाल के साथ ही इंदौर, होशंगाबाद में 26 ठिकानों पर बुधवार को छापे की कार्रवाई शुरू की थी।
    गायब किए दस्तावेज
    छापा शुरू होने के ठीक पहले ही बड़ी मात्रा में निवेश और आय संबंधी दस्तावेज गायब कर देने की भी बात सामने आ रही है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि कई महत्वपूर्ण दस्तावेज आयकर टीम के हाथ नहीं लग पाएंगे। माना जा रहा है कि संभवत: या तो छापे की जानकारी लीक हो गई या संजीव अग्रवाल को इसकी पहले से किसी तरह से भनक लग गई थी। कहा जा रहा है कि उनके द्वारा छापे के ठीक पहले ही अयोध्या नगर साइट के इंचार्ज नरेश कुमार मेहरा की कार में यह दस्तावेज रखवा कर गायब करा दिए गए हैं। इसी तरह से कई अन्य कर्मचारियों के माध्यम से भी बेहद महत्वपूर्ण कागजात छपवा दिए गए हैं। इन कर्मचारियों की संख्या सात बताई जा रही है। माना जा रहा है कि छापे में सिर्फ वहीं दस्तावेज ही मिलेंगे, जिनके बारे में आसानी से जानकारी दी जा सके। यह भी कहा जा रहा है कि संजीव अग्रवाल की कई बोगस कंपनियों में नरेश मेहरा की पत्नी भी डायरेक्टर है। दस्तावेज छिपाने में जिनके शामिल होने की बात कही जा रही है उनमें नरेश कुमार मेहरा के अलावा कर्मचारी साजिद, एन के साहू, नरेंद्र सिंह, अखिल विजयवर्गीय, भांजा आकाश अग्रवाल, सुसर मंगतराम गुप्ता और एक अन्य रिश्तेदार अरुण अग्रवाल का नाम शामिल है।
    विद्यार्थियों की फीस के साथ लगाया ग्रुप का पैसा
    जांच में टीम को उनके भोपाल के अलावा इंदौर में ग्रुप द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थाओं में नोटबंदी के बाद नकद राशि फीस के रूप में लेने के दस्तावेज मिले हैं। आयकर टीम का अनुमान है कि इस फीस के साथ ही ग्रुप का अपना भी पैसा ठिकाने लगाया गया होगा। अब इस पर अफसर काम कर रहे हैं। अब तक की जांच में डिजिटल एविडेंस के साथ ही बड़ी संख्या में कागजात हाथ लगे हैं। कई सूटकेसों में भरकर दस्तावेज जांच के लिए अब तक टीम ले जा चुकी है। इसके अलावा  कंप्यूटर, लैपटॉप, पेन ड्राइव समेत अन्य डिजिटल उपकरणों का डाटा बैक-अप करने का काम भी शुरू कर दिया गया है।
    संजीव व उनकी पत्नी का आयकर रिटर्न भी निकला गलत
    विभाग के सूत्रों की मानें तो अब तक की जांच में संजीव अग्रवाल और उनकी पत्नी का जो आयकर रिटर्न मिला है उसमें गलत जानकारी देना पाया गया है। इन दोनों के डाटा का बुक्स से मिलान नहीं हो रहा था। इसी आधार पर कार्रवाई की बात कही जा रही है। ग्रुप के होशंगाबाद स्थित पार्टनर पर छापे की कार्रवाई पूरी हो चुकी है।
    होशंगाबाद रोड एवं बावड़ियाकला में अस्पताल खोलने की थी तैयारी
    सेज ग्रुप द्वारा होशंगाबाद रोड एवं बावड़ियाकला में अस्पताल खोलने की तैयारी की जा रही थी। आयकर विभाग की टीम के अनुसार, इस अस्पताल में ग्रुप ने करीब 100 करोड़ रुपए का निवेश किया है। पहले इस अस्पताल को कोकिलाबेन अस्पताल के साथ पार्टनरशिप में शुरू किया जाना था, बाद में अपोलो अस्पताल के साथ शुरू करने की योजना बनाई गई। इसकी भी जांच की जा रही है।

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