
- देर रात पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद से अफसरों के नामों पर मंथन जारी, आज होगी पदस्थापना
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। करीब चार दशक के इंतजार के बाद आखिरकार भोपाल और इंदौर शहर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हो ही गई है। इसके साथ ही अब इन दोनों शहरों के पहले पुलिस कमिश्नर के नामों को लेकर चर्चाएं तेज बनी हुई हैं। हालांकि इंदौर शहर के संभावित पुलिस कमिश्नर के लिए महज एक नाम ही चर्चा में है, जबकि भोपाल के लिए पांच नाम चर्चा में बने हुए हैं। भोपाल में किस अफसर को पुलिस कमिश्नर बनाया जाए इस नाम को लेकर एक राय नहीं बन पाने की वजह से बीती रात होने वाली पदस्थापनाओं के आदेश जारी नहीं किए जा सके। अब आज फिर इन नामों को लेकर मंथन किया जाना है। उसके बाद देर शाम तक दोनों ही शहरों के नए पुलिस कमिश्नर के पदों पर पदस्थापना के आदेश जारी कर दिए जाएंगे। इंदौर की कमान पुलिस कमिश्नर के रुप में हरिनारायण चारी मिश्रा को मिलना लगभग तय है, लेकिन भोपाल की कमान किसे दी जाएगी इस पर अभी संशय बना हुआ है। भोपाल पुलिस कमिश्नर पद के लिए मकरंद देउस्कर, संतोष कुमार सिंह, डी श्रीनिवास वर्मा, राकेश गुप्ता और अनुराग के नाम चर्चा में बने हुए हैं। इन नामों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, सीएम इकबाल सिंह बैंस, एसीएस गृह डॉ. राजेश राजौरा व डीजीपी विवेक जौहरी के बीच आज फिर से चर्चा की जाएगी। इस दौरान किसी एक नाम पर सहमति बनाकर नई पदस्थापना के एक साथ आदेश जारी किए जाएंगे, जिसमें कई आईपीएस अफसरों की पदस्थापनाएं की जाएंगी। दरअसल दो पुलिस कमिश्नर के साथ ही दो संयुक्त आयुक्त और आठ उपायुक्त की भी पदस्थापना की जानी है। इसके अलावा आईजी या एडीजी भोपाल देहात तथा इंदौर देहात की भी पदस्थापना की जानी है। बताया जा रहा है कि आईजी इंदौर जोन हरिनारायणचारी मिश्रा को ही पुलिस आयुक्त इंदौर बना जा सकता है, जबकि संयुक्त आयुक्त के लिए श्रीमती कृष्णावेनी देशावतू व डॉ. आशीष या सुशांत सक्सेना के नामों पर विचार किया जा रहा है। इसी तरह से भोपाल में कमिश्नर पुलिस के लिए मकरंद देउस्कर, संतोष कुमार सिंह, डी श्रीनिवास वर्मा, राकेश गुप्ता और अनुराग के नामों पर विचार करने के बलावा इस बात पर भी मंथन किया जा रहा है कि भोपाल में इस पद की कमान किसी महिला अफसर को दी जाए। इसके लिए आईजी होशंगाबाद दीपिका सूरी के नाम पर भी विचार किया जा रहा है। इस तरह से संयुक्त आयुक्त के लिए डीआईजी रुचिवर्धन मिश्रा, डॉ. आशीष व सचिन अतुलकर का नाम भी चर्चा में बने हुए हैं। इंदौर-भोपाल में पदस्थ एसपी रैंक के तीन-तीन अधिकारियों के अलावा पांच-पांच आईपीएस अफसरों की पदस्थापना की जानी है। बताया जा रहा है कि इंदौर के साथ ही भोपाल में एक-एक महिला अफसर की पदस्थापना करने की तैयारी है। यह अफसर किस पद पर होगा इसका फैसला अभी किया जाना है।
बीती रात से लागू हो चुकी है
पुलिस को सक्षम और अधिकार संपन्न बनाने के लिए शिव सरकार द्वारा बीती देर रात ही पुलिस आयुक्त प्रणाली को भोपाल और इंदौर में लागू किया जा चुका है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि दोनों शहरों की आबादी बढ़ने और भौगोलिक विस्तार की वजह से यह फैसला किया गया है। दोनों शहरों में आयुक्त प्रणाली लागू होने से मजिस्ट्रियल अधिकार पुलिस को मिल गए हैं। कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद कानून व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी अब पुलिस के हाथ में आ गई है।
इन अधिनियमों के अधिकार
– पुलिस अधिनियम 1861: मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में पुलिस आयुक्त के अधीन पुलिस प्रशासन रहेगा। पुलिस आयुक्त पुलिस महानिदेशक के सामान्य नियंत्रण एवं परिवेक्षण में रहेंगे।
– बंदी अधिनियम 1900: जेल में बंद कैदियों को पैरोल पर और आपातकाल में पैरोल बोर्ड की अनुशंसा पर सशर्त छोड़ा जा सकेगा।
– विष अधिनियम 1919: गैर कानूनी जहर या तेजाब रखने अथवा बेचने वालों की तलाशी पर से बरामद जहर या तेजाब जब्त किया जा सकेगा।
– अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956: वेश्यावृत्ति के विरुद्ध कार्रवाई की जा सकेगी और इस पेशे में धकेली गई महिलाओं को मुक्त कराया जा सकेगा। इन्हें संरक्षण में भेजा जा सकेगा।
– विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967: केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में उनकी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जा सकेगा।
मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित
पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने के लिए भोपाल और इंदौर के नगरीय थाना क्षेत्रों को मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित किया गया है। भोपाल में 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी 18,86,100 और इंदौर में 21, 93, 664 है। भोपाल में 38 और इंदौर में 36 थाने पुलिस आयुक्त के अंतर्गत आएंगे।
मोटर यान अधिनियम 1988 का 59
वाहनों की पार्किंग अथवा उनके रुकने के स्थान स्थानीय अधिकारियों से समन्वय करके निर्धारित किए जा सकेंगे। वाहनों की गति सीमा निर्धारित की जा सकेगी। लोक सुरक्षा के हित में या उनकी सहूलियत के लिए या किसी सड़क या पुल की स्थिति को देखते हुए वाहनों की अधिकतम गति निर्धारित करने के लिए उपयुक्त ट्रैफिक साइन लगाए जा सकेंगे। यातायात प्रतिबंधित करने या फिर सशर्त अनुमति दी जा सकेगी।
पुलिस को मिले यह अधिकार
आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस के पास अब कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होने पर लाठीचार्ज करने, धारा-144 लागू करने, कर्फ्यू लगाने से लेकर अपराधियों को जमानत देने तक के अधिकार मिल गए हैं। भोपाल और इंदौर में एक-एक कमिश्नर और दो- दो एडिशनल कमिश्नर होंगे। एसपी स्तर के आठ डिप्टी कमिश्नर होंगे। महिला थाना, अजाक, यातायात और क्राइम ब्रांच को मिलाकर भोपाल शहर के कुल 38 थाने कमिश्नर के अधीन आएंगे। सात थाने एसपी देहात के अधीन होंगे। इंदौर शहर के 36 थाने आयुक्त के अधीन होंगे, जबकि 13 थाने एसपी के देहात के अधीन आएंगे।