चुनावी बॉन्ड एक प्रयोग, वक्त बताएगा कितना कारगर: दत्तात्रेय होसबोले

मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को कहा कि चुनावी बॉन्ड एक प्रयोग है। उन्होंने कहा कि समय बताएगा कि यह कितना फायदेमंद और कारगर रहा। चुनावी बांड के मुद्दे पर उठाई जा रही चिंताओं कि इन्हें लाभ हासिल करने के लिए खरीदा गया था, होसबाले ने कहा कि यह जांच और संतुलन के साथ लाया गया। ऐसा नहीं है कि चुनावी बॉन्ड आज अचानक पेश किया गया है, ऐसी योजना पहले भी लाई गई थी। जब भी कोई बदलाव पेश किया जाता है, तो सवाल उठाए जाते हैं। सवाल तब भी उठाए गए थे, जब ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें) लाई गईं। सरकार्यवाह होसबाले का मुख्यालय अब दिल्ली होगा। इससे पहले वह लखनऊ से संघ के कार्यक्रमों का संचालन करते थे।

संघ के लिए अल्पसंख्यक की परिभाषा क्या है, पूछे जाने पर होसबाले ने कहा, यह सिद्धांत संविधान में दिया गया है। हम सबको इसपर पुनर्विचार की जरूरत है, क्योंकि यह देश सभी का है और किसी समुदाय को अल्पसंख्यक करार देने की पद्धति दशकों पुरानी हो चुकी है। पारंपरिक रूप से जिन्हें हिंदू कहा जाता है या जिन्हें हिंदू कोड बिल के तहत हिंदू माना जाता है, संघ उन्हें संगठित करता है। मुस्लिमों और इसाइयों को अल्पसंख्यक कहे जाने पर होसबाले ने कहा, आरएसएस लगातार अल्पसंख्यकवाद की राजनीति का विरोधी रहा है।

संघ के फिर सरकार्यवाह चुने गए दत्तात्रेय होसबाले मूल रूप से कर्नाटक के शिवमोगा के रहने वाले हैं। वह 1973 में आरएसएस के संपर्क में आए। उन्होंने बंगलूरू यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में एमए किया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री और सह संगठन मंत्री रहे। 2009 से वह संघ में सह सरकार्यवाह के पद पर नियुक्त थे। फिर 2021 में उन्हें आरएसएस का नया सरकार्यवाह नियुक्त किया गया।

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