
नई दिल्ली। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा है कि उपभोक्ता फोरम गिरफ्तारी का वारंट जारी नहीं कर सकता है, और यह केवल नागरिक जेल में हिरासत में रखने का आदेश दे सकता है। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह अहम टिप्पणी की। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने याचिकाकर्ता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
जस्टिस सुव्रा घोष ने सुनवाई के दौरान कहा कि कानून, उपभोक्ता फोरम को आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार नहीं देता है। जस्टिस घोष ने इसके बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी वारंट को निरस्त कर दिया। अदालत ने कहा कि यह उपभोक्ता फोरम के अधिकार क्षेत्र के बाहर की बात है।
यह मामला साल 2013 का है, जब एक व्यक्ति ने फाइनेंस कंपनी से कर्ज लेकर एक ट्रैक्टर खरीदा। लोन देने वाली कंपनी और व्यक्ति के बीच ऋण को लेकर हुए समझौते पर विवाद हो गया। कर्जदार व्यक्ति जब कंपनी के 25,716 रुपये नहीं चुरा पाया, तो कंपनी ने व्यक्ति का ट्रैक्टर जब्त कर लिया। इस पर कर्जदार व्यक्ति ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता फोरम में शिरायत दर्ज कराईं।