
श्री विजय पुरम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को एकजुट होकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों पर गर्व करना चाहिए, क्योंकि एकता से ही समाज और राष्ट्र मजबूत बनते हैं। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि हर राष्ट्र का एक लक्ष्य और एक नियति होती है, जिसे पूरा करना उसका दायित्व है। श्री विजय पुरम में शनिवार को नेताजी स्टेडियम में विराट हिंदू सम्मेलन समिति की ओर से आयोजित सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि आज के दौर में केवल सत्य नहीं, बल्कि शक्ति भी वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाती है। उन्होंने कहा, दुनिया सिर्फ सत्य को नहीं, शक्ति को भी मानती है। जिसके पास शक्ति है, उसे दुनिया स्वीकार करती है।
इस दौरान मोहन भागवत ने कहा कि यदि हिंदू समाज जागृत होगा तो पूरा विश्व जागृत होगा। उनका कहना था कि भारत से ही दुनिया को मार्गदर्शन मिलने की उम्मीद है। समस्याओं में उलझने के बजाय समाधान खोजने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए शक्ति जरूरी है और शक्ति एकता से आती है। महाभारत का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हर समस्या का समाधान टकराव नहीं होता। भगवान कृष्ण ने बुद्धिमत्ता और समझदारी से बिना संघर्ष के समस्या का समाधान किया, यही सीख हमें भी लेनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देशभक्ति एक नागरिक कर्तव्य है और यह तय करने का समय है कि हम अपने घरों में किन मूल्यों को स्थान देना चाहते हैं।
