उत्पादों को GI टैग दिलाएं, विश्व स्तर पर बढ़ें: राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति मुर्मू

नई दिल्ली। द्रौपदी मुर्मू ने देश के कारीगरों से अपील की कि वे अब अपने उत्पादों के लिए विशिष्ट जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग लेने पर जोर दें। उन्होंने कहा कि भारतीय कारीगरों ने अपने हुनर, लगन और मेहनत से दुनिया में अपनी पहचान बनाई है और अब जरूरत है कि उनके उत्पादों को अलग और प्रमाणिक पहचान मिले। राष्ट्रीय शिल्प पुरस्कार वितरण के दौरान राष्ट्रपति ने यह बात कही। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जीआई टैग आज भारतीय शिल्प उत्पादों की पहचान और विश्वसनीयता बढ़ाने का बेहद महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र से जुड़े कारीगर अपने खास उत्पादों के लिए जीआई टैग हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाएं, जिससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत पहचान मिले। उन्होंने बताया कि ओडीओपी जैसी योजनाएं भी क्षेत्रीय हस्तशिल्प को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय हस्तशिल्प उत्पाद न सिर्फ देश की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज से बसे लाखों लोगों की आजीविका का महत्वपूर्ण साधन भी हैं। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र करीब 32 लाख लोगों को रोजगार देता है और समावेशी विकास का रास्ता खोलता है। उन्होंने कहा कि कारीगरों की मेहनत और कला परंपराओं को जीवित रखती है और यही रचनात्मकता भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती देती है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सरकार ने पिछले एक दशक में हस्तशिल्प क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि अब 1.5 लाख से अधिक हस्तशिल्प इकाइयों को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) से जोड़ दिया गया है। इसके साथ ही इंडिया हैंडमेड जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म सीधे कारीगरों को खरीदारों से जोड़ रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता भी मिल रही है और समाज में सम्मान भी बढ़ा है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए समाज में रचनात्मकता को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कार न केवल कारीगरों को प्रेरित करेंगे, बल्कि नए कलाकारों को भी बेहतर काम करने के लिए उत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि कला मनुष्य की भावनाओं, इतिहास और भविष्य की आकांक्षाओं को जोड़ती है और समाज में लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का माध्यम बनती है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि कला प्राचीन समय से ही मनुष्य की अभिव्यक्ति का माध्यम रही है। चित्रकला, मूर्तिकला और शिल्प हमेशा से मनुष्य की संस्कृति और समाज को जोड़ने का काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय कारीगर अपनी रचनात्मकता से न सिर्फ शिल्प को जीवित रख रहे हैं, बल्कि संस्कृति को भी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने इस उम्मीद के साथ कार्यक्रम समाप्त किया कि कारीगरों की मेहनत, कौशल और जीआई टैग जैसे प्रयास भारतीय शिल्प को वैश्विक पहचान दिलाएंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार GeM और IndiaHandmade जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए कारीगरों को सहायता दे रही है। उन्होंने 2047 के विकसित भारत लक्ष्य में कला और रचनात्मकता की महत्वपूर्ण भूमिका भी रेखांकित की।

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