स्वस्थ लोकतंत्र के पुनरुद्धार के लिए प्रतिस्पर्धी बने कांग्रेस: रामचंद्र गुहा

रामचंद्र गुहा

नई दिल्ली /बिच्छू डॉट कॉम। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कांग्रेस पार्टी की डूबती नैया को बचाने के लिए सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि स्वस्थ लोकतंत्र को “पुनर्जीवित” करने के लिए  कांग्रेस को प्रतिस्पर्धी बनना होगा जो केवल एक मार्च के माध्यम से नहीं बल्कि वोट जीतने से होगा। गुहा अपनी मौलिक कृति ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ के तीसरे संस्करण के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। इसके अलावा, रामचंद्र गुहा ने इस मौके पर कहा कि सुभाष चंद्र बोस अहिंसा को छोड़कर सभी मुद्दों पर महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की बातों से एकमत होते थे। गुहा ने दावा किया कि बोस अगर आज होते तो उन्हें यह जानकर शर्मिंदगी और पीड़ा होती कि उनका इस्तेमाल दोनों नेताओं की छवि को धूमिल करने के लिए किया जा रहा है। प्रसिद्ध इतिहासकार ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने ही महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ कहा था, जिसे लेकर आज सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और सरदार पटेल ने एक साथ मिलकर काम किया था, लेकिन आज देश में एक वर्ग द्वारा उन्हें एक दूसरे का प्रतिद्वंद्वी बताने की कोशिश की जा रही है।

64 वर्षीय लेखक ने चर्चा के दौरान खुलासा किया कि जब बोस ने इंडिया नेशनल आर्मी (आईएनए) की शुरुआत की, तो उन्होंने अपने ब्रिगेड का नाम ‘गांधी, नेहरू और आजाद (चंद्रशेखर)’ रखा। वहीं, 1945 में बोस की मृत्यु के बाद गांधी ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में अपने भाषण में उनकी देशभक्ति को सलाम किया। गुहा ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद बोस ने कहा था कि अगर मुझे भारत के सबसे महान व्यक्ति का साथ नहीं मिला, तो मैं अध्यक्ष के रूप में आगे काम नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को लेकर बोस की यह सोच थी।

बता दें, बोस 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के अध्यक्ष चुने गए थे, लेकिन उन्होंने 1939 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। गुहा ने कहा कि जो लोग यह दावा करते हैं कि हिंसक आंदोलन से ही भारत को स्वतंत्रता मिली। गांधी के उन भ्रमित आलोचकों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि एशिया और अफ्रीका के जिन देशों ने हिंसा के जरिए स्वतंत्रता हासिल की थी, वहां आज भी तानाशाही है।

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