
मुंबई। वैश्विक मंच पर भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी सख्ती और ‘जीरो टॉलरेंस की नीति’ को हमेशा से ही बड़े अडिगता और बुलंद आवाज के साथ रखा है। ऐसे में अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने आतंकवाद से निपटने के लिए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश को आतंकवाद से निपटने के लिए छोटे समय के लेकिन बहुत तेज और सख्त सैन्य अभियानों के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवादों के कारण लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष की तैयारी भी जरूरी है। आईआईटी बॉम्बे में बोलते हुए जनरल चौहान ने कहा कि भारत के दोनों प्रमुख पड़ोसी, जिनसे खतरा है, परमाणु हथियारों से लैस हैं। ऐसे में भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि डर और दबाव की स्थिति कभी उस हद तक न पहुंचे जहां संतुलन टूट जाए। उन्होंने पाकिस्तान और चीन का नाम लिए बिना यह बात कही।
इस दौरान सीडीएस चौहान ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के दोनों पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद हैं। इसलिए देश को एक ओर आतंकवाद को रोकने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे छोटे लेकिन प्रभावी सैन्य अभियानों के लिए तैयार रहना होगा, वहीं दूसरी ओर जमीन से जुड़े लंबे संघर्ष की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे युद्धों से बचने की पूरी कोशिश की जानी चाहिए। जनरल चौहान ने बताया कि अब युद्ध केवल जमीन, समुद्र या हवा तक सीमित नहीं रह गया है। अब साइबर, अंतरिक्ष और मानसिक (कॉग्निटिव) क्षेत्रों में भी युद्ध लड़े जाते हैं। उन्होंने कहा कि अब मल्टी-डोमेन ऑपरेशन कोई विकल्प नहीं बल्कि जरूरत बन चुका है, जहां एक क्षेत्र में की गई कार्रवाई का असर तुरंत दूसरे क्षेत्रों में दिखता है। इस दौरान सीडीएस चौहान ने यह भी कहा कि आधुनिक युद्ध एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है, जिसे उन्होंने ‘कन्वर्जेंस वॉरफेयर’ कहा। इसका कारण यह है कि अब एक साथ कई नई तकनीकें युद्ध को प्रभावित कर रही हैं, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), क्वांटम टेक्नोलॉजी, हाइपरसोनिक हथियार, रोबोटिक्स और एडवांस मटेरियल।
सीडीएस ने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इसका साफ उदाहरण था। यह अभियान करीब चार दिन चला और इसमें थल सेना, नौसेना, वायु सेना समेत सभी युद्ध क्षेत्रों में एक साथ कार्रवाई की गई, जिससे भारत को निर्णायक बढ़त मिली। उन्होंने जोर देकर कहा कि भविष्य में ऐसे अभियानों के लिए थल सेना, नौसेना और वायु सेना के साथ-साथ साइबर, अंतरिक्ष और अन्य नई क्षमताओं के बीच बेहतर तालमेल और नियंत्रण जरूरी होगा। गौरतलब है कि पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने 6-7 मई की दरमियानी रात को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। इस दौरान 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय और ट्रेनिंग सेंटर शामिल थे। इन जगहों से भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की साजिश रची जाती थी।
