अनुसंधान और विकास के बिना आगे नहीं बढ़ सकता कोई भी देश: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय रक्षा विनिर्माता सोसायटी (एसआईडीएम) के वार्षिक सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, यह सच्चाई है कि कोई भी देश अनुसंधान और विकास के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। चाहे अमेरिका हो, चीन हो या दक्षिण कोरिया..जो भी देश आगे गए हैं, वो अनुसंधान और विकास की वजह से ही गए हैं। उन्होंने आगे कहा, सीखने के लिए तो हमें कहीं से भी किसी से भी सीखना चाहिए। हम तो ‘आनो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्वत:’ की सोच को मानने वाले लोग हैं। दुनिया में अगर कहीं भी अच्छा अभ्यास हो रहा है, तो उसको अपनाने में हमें पीछे नहीं रहना चाहिए। जैसा कि मैने कहा है कि सरकार का काम एक लेवल प्लेइंग फील्ड (समान अवसर प्रदान करना) देना है और आपको लेवल प्लेइंग फील्ड मिल रही है। लेकिन खेलना तो आप लोगों को ही है। खेल का अभ्यास भी करते रहिए। मैं चाहता हूं आप ऐसा खेलें कि पूरी दुनिया दर्शक बनकर आपकी ओर देखें।

राजनाथ सिंह ने कहा, हाल ही में पहलगाम हमले के बाद जिस तरह हमने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। उसके बाद स्थितियां कुछ ऐसी बनीं थी कि युद्ध हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। हालांकि, हमारी सेनाएं किसी भी स्थिति में अपनी सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह तैयार थीं। लेकिन मैं बस यह कहना चाहता हूं कि दुनिया में शांति और कानून-व्यवस्था में अनिश्चितता तो बढ़ ही गई है। इसलिए उस अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए हमें हर डोमेन का सावधानी से विश्लेषण करते हुए अपने कदम उठाने होंगे। आज रक्षा और युद्ध क्षेत्र में जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनसे केवल स्वदेशीकरण के माध्यम से ही निपटा जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा, यह भी मैं कहना चाहूंगा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार मैं आप सबके बीच आया हूं। तो उससे संबंधित कुछ बातें भी मैं आपके सामने रखना चाहूंगा। सबसे पहले मैं हमारी सेनाओं के साथ-साथ आप सभी औद्योगिकी योद्धाओं को भी हार्दिक बधाई देता हूं। उन्होंने कहा, हम सबने देखा कि आकाश मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस, आकाशतीर वायु रक्षा प्रणाली और अन्य कई प्रकार के स्वेदशी उपकरणों ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से अपना पराक्रम दिखाया। हमारे स्वदेशी उपकरणों की सफलता ने न केवल क्षेत्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की साख, भारत की विश्वसनीयता को बढ़ाया है। रक्षा मंत्री ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय हमारी सेनाओं के साथ-साथ उन सबको जाता है, जो पीछे रहकर उस मिशन को सफल बनाने में लगे हुए थे। आप जैसे उद्योग योद्धाओं ने नवाचार, डिजाइन और विनिर्माण के मोर्चे पर अथक परिश्रण किया है, आप भी इस जीत के समान रूप से हकदार हैं।

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