विकासशील देशों का नेतृत्व करने की ताकत भारत के पास: रजत खोसला

रजत खोसला

नई दिल्ली। पीएमएनसीएच के कार्यकारी निदेशक रजत खोसला का कहना है कि भारत के पास मातृ, शिशु और किशोरों के जुड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों को निपटाने के मामले में लंबा इतिहास रहा है। इसलिए, भारत इस मामले में विकासशील देशों का पथ प्रदर्शक बन सकता है। एक साक्षात्कार के दौरान खोसला ने कहा कि वैश्विक दक्षिण में मजबूत भूमिका निभा रहा है। इस वजह से भारत स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने के लिए भारत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

खोसला ने कहा, ‘भारत में मातृ मत्यु दर (एमएमआर) में उल्लेखनीय रूप से कमी देखने को मिली है। इसके साथ ही राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) को मजबूती से लागू किया गया है। इस तरह से भारत दूसरे देशों के लिए आदर्श उदाहरण पेश कर सकता है।’ उन्होंने कहा कि भारत में मातृ मृत्यु दर वर्ष 2000 में 384 थी और वर्ष 2020 में यह घटकर 97 पर पहुंच गई। वहीं वैश्विक स्तर पर मातृ मृत्यु दर वर्ष 2000 में 339 थी और वर्ष 2020 में यह 223 हो गई। उन्होंने कहा, ‘इस सफलता का श्रेय स्वास्थ्य कर्मियों के संयुक्त प्रयासों और बहुक्षेत्रीय नीतियों को लागू करने को जाता है।’

खोसला ने आगे कहा कि संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, जीवन यापन की लागत और बढ़ती चुनौतियों की वजह से कई देशों के भीतर असमानताएं बढ़ रहीं हैं। खासतौर पर गरीबी से जूझ रहे ऐसे देशों की हालत खराब है, जो कि महिलाओं, बच्चों और किशोरों की मौत का बोझ उठा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी चुनौतियों से निपटने में भारत के पास एक लंबा अनुभव रहा है। ऐसे में भारत अगर विकासशील देशों के साथ अपनी रणनीति साझा करता है तो उन्हें अपने स्वास्थ्य कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस तरह से भारत मातृ-शिशु देखभाल रणनीति में विकासशील देशों का पथ प्रदर्शक बन सकता है।

Related Articles