उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के बीच कहा कि जब वे 1990 में श्रीनगर के दौरे पर गए थे, तब डल झील बेहद ही नीरस थी, लेकिन अब वो पर्यटकों से भरी हुई है। उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 अब इस क्षेत्र पर लागू नहीं है। नई दिल्ली में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के 83वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने 1990 में केंद्रीय मंत्री के रूप में श्रीनगर की अपनी यात्रा को याद किया, जब वे डल झील के पास एक होटल में रुके थे। उपराष्ट्रपति ने कहा, कश्मीर में सब कुछ नीरस था। इस दौरान सड़क पर 20 लोग भी नहीं दिख रहे थे। वहां निराशा और हताशा की स्थिति थी।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राज्यसभा को पिछले साल बताया गया था कि दो करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर आए थे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वर्तमान स्थिति की तुलना 1990 के दशक से करते हुए कहा, आज देश के राज्य की स्थिति मेरे सपनों से परे है। मैंने कभी इसकी कल्पना नहीं की थी, मैंने आज के भारत की कल्पना नहीं की थी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ठोस नतीजों पर ध्यान केंद्रित करें,पारिस्थितिकी तंत्र ऐसा होना चाहिए जहां वैज्ञानिक अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सकें। अनुसंधान और विकास में योगदान दिखावटी नहीं, बल्कि सार्थक होना चाहिए, शोध सॉफ्ट डिप्लोमेसी और सुरक्षा का अभिन्न अंग है।
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि 1990 का दशक ऐसा दौर था जब भारत को अपनी वित्तीय साख बनाए रखने के लिए स्विस बैंकों में अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक गिर गया था और विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी वित्तीय संस्थाओं ने सलाह के रूप में भारत को निर्देश जारी किए थे। उन्होंने कहा कि 1990 का दशक सत्ता के गलियारों में बिचौलियों का युग था, भ्रष्टाचार व्याप्त था और केवल वंशावली वाले व्यक्ति ही अवसरों तक पहुंच सकते थे। उन्होंने कहा, अब, सत्ता के गलियारे पूरी तरह से साफ हो गए हैं। बिचौलिए गायब हो गए हैं, सभी लेन-देन डिजिटल रूप से होते हैं, बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के, यह वह बदलाव है जिसकी मैंने कभी कल्पना नहीं की थी।