नए नेताओं पर जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए: दिलीप घोष

दिलीप घोष

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। इस बीच, भाजपा की राज्य इकाई में दरारें दिखने लगी हैं। भाजपा नेता दिलीप घोष ने गुरुवार को एक बयान दिया, जिससे पार्टी में ‘पुराना बनाम नया’ को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। बता दें, बर्धमान-दुर्गापुर सीट से तृणमूल कांग्रेस के कीर्ति आजाद ने घोष को करीब 1.38 लाख मतों से हराया है।

घोष ने गुरुवार को एक्स पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक बयान पोस्ट किया। उनके बयान का हवाला देते हुए घोष ने कहा कि एक चीज हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि पार्टी के पुराने से पुराने कार्यकर्ता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर दस नए कार्यकर्ताओं को अलग कर देना चाहिए क्योंकि पुराने कार्यकर्ता हमारी जीत की गारंटी हैं। नए कार्यकर्ताओं पर बहुत जल्दी विश्वास नहीं जताना चाहिए।

बता दें, 2019 में घोष मेदिनीपुर से चुनाव जीते थे। घोष को बर्धमान-दुर्गापुर सीट से टिकट दिया गया। यहां कड़े मुकाबले की उम्मीद थी। घोष को पार्टी ने बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से सांसद एस.एस. अहलूवालिया की जगह चुनाव मैदान में उतारा गया था। अहलूवालिया को आसानसोल से टिकट दिया गया था। भाजपा ने आसनसोल दक्षिण से मौजूदा विधायक अग्निमित्र पॉल को घोष की जगह मेदिनीपुर से लोकसभा प्रत्याशी घोषित किया। भाजपा के तीनों ही प्रत्याशियों को तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवारों के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा।

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