नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी सहित जांच एजेंसियों के कामकाज और सत्तारूढ़ दल के चुनावी चंदे के बीच किसी भी संबंध से इनकार किया। उन्होंने कहा कि ये आरोप महज अटकलें हैं। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आप पूरी तरह से कल्पना पर आधारित बात कर रहे हैं कि ईडी की छापेमारी के बाद कंपनियों ने पैसे दिए। अगर कंपनियों ने पैसे दिए और उसके बाद भी हम ईडी के जरिए उनके दरवाजे तक पहुंचे, तो उसका क्या? ये महज कयासबाजियां हैं कि ईडी ने कंपनियों का दरवाजा खटखटाया और फिर उन्होंने खुद को बचाने के लिए हमें चंदा दिया।
वित्त मंत्री की ओर यह टिप्पणी तब सामने आई है, जब एक दिन पहले चुनाव आयोग ने विभिन्न सियासी दलों को चुनावी चंदा और फंड देने वाली कंपनियों की सूची जारी की है। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को सौंपी थी।
सीतारमण ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से राजनीतिक चंदे की पुरानी व्यवस्था में सुधार हुआ है, लेकिन इससे अधिक पारदर्शी व्यवस्था लाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा, इससे सीख लेने का प्रयास होना चाहिए। अगर कोई चीज (राजनीतिक चंदे से संबंधित कानून) आती है, तो हमें इससे सबक लेना होगा, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो और पारदर्शिता पहले की प्रणाली से बेहतर हो।
अपने पूर्ववर्ती अरुण जेटली को याद करते हुए उन्होंने कहा, उनका भी मानना था कि यह एक परिपूर्ण प्रणाली नहीं है, लेकिन यह (पहले से) थोड़ा बेहतर है। चुनावी बॉन्ड योजना जेटली के कार्यकाल के दौरान ही शुरू की गई थी।