
नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगने पर कांग्रेस ने गुरुवार को केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने दावा किया कि भाजपा लोगों के सामने अपने कॉर्पोरेट देनदारों का खुलासा करने से डर रही है। एसबीआई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और राजनीतिक पार्टियों के चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगी। पिछले महीने शीर्ष अदालत ने बैंक को छह मार्च तक चुनाव आयोग को विवरण देने का निर्देश दिया था।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा “नए भारत में लुका-छिपी। देश जानना चाहती है, मोदी छिपा रहे हैं।” उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “एसबीआई द्वारा बनाई गई प्रधानमंत्री चंदा छिपाओ योजना झूठ पर बनी है।” पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से तीन सप्ताह के भीतर विवरण उपलब्ध कराने को कहा था। एसबीआई ने शीर्ष अदालत से 30 जून तक का समय मांगा है, जो कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद सुविधाजनक समय है।
जयराम रमेश ने बताया कि एसबीआई ने यह बहाना दिया कि उन्हें 2019 के बाद से जारी किए गए 22,217 चुनावी बांड के खरीदारों का लाभार्थी दलों से मिलान करने में कई महीने लगेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमें मालूम है कि प्रत्येक चुनावी बॉन्ड को दो शर्तों के साथ बेचा जाता है। 1. विस्तृत केवाईसी, जिससे कि एसबीआई खरीदार को जान सकें। और दूसरा बॉन्ड का हिडेन सीरियल नंबर।
कांग्रेस नेता ने बताया कि एसबीआई के पास देनदारों और प्राप्तकर्ताओं दोनों का डेटा है। उन्होंने कहा, “वित्त मंत्रालय ने 2017 में रिकॉर्ड में कहा था कि खरीदार के रिकॉर्ड हमेशा बैंक के पास उपलब्ध होते हैं। प्रवर्तन एजेंसियों द्वार आवश्यकता पड़ने पर इसे निकाला जा सकता है। तो अब क्या बदल गया है?”
जयराम रमेश ने आरोप लगाते हुए कहा कि सच तो यह है कि प्रधानमंत्री जनता के सामने अपने कॉर्पोरेट देनदारों का खुलासा करने से डरते हैं। उन्होंने आगे कहा, “जो व्यक्ति पहले कहता था, न खाऊंगा, ना खाने दूंगा। अब वह कह रहा है, न बताऊंगा, न दिखाऊंगा।” कांग्रेस ने एसबीआई द्वारा अदालत में याचिका दायर करने को लेकर भाजपा ने नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की और पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि वह बैंक को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।