भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र व्यावसायिक गतिविधि में बदलेगा: एस सोमनाथ

एस सोमनाथ

तिरुवनंतपुरम। अंतरिक्ष जगत में बड़े पैमाने पर बदलाव की तैयारी हो रही है। व्यावसायिक पहलू की अहमियत को रेखांकित करते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र अब ‘बंद’ और ‘गुप्त’ समाज की अवधारणा को पीछे छोड़ चुका है। अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों की बढ़ती भागीदारी का जिक्र करते हुए इसरो चीफ ने कहा कि अब स्पेस सेक्टर खुले समाज में बदल रहा है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव का मकसद इसे सरकारी कार्यक्रम के बजाय आर्थिक या व्यावसायिक गतिविधि में बदलना है।

उन्होंने कहा कि इसरो के तहत होने वाले तमाम कामकाज के तरीके बदलेंगे। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा, मानसिकता में बदलाव अमेरिका से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह अमेरिका जैसे देशों में अंतरिक्ष-संबंधी गतिविधियों को एक आर्थिक गतिविधि में बदल दिया गया है, अब भारत में भी ऐसा करने की तैयारी हो रही है।

इसरो चीफ के मुताबिक पिछले 60 वर्षों में, अंतरिक्ष क्षेत्र का दायरा – रॉकेट बनाने से लेकर उपग्रहों के प्रक्षेपण तक रहा है। इसका मकसद सामाजिक स्तर पर होने वाले इस्तेमाल को आम आदमी की जरूरतों से जोड़ना था। इसरो का मकसद ऐसी सेवाएं प्रदान करना था जिससे आम आदमी को फायदा हो। यही कारण था कि अंतरिक्ष कार्यक्रम का बजट ‘बहुत कम’ यानी केवल 10,000 करोड़ रुपये था। इसे लगभग 10 गुना अधिक बढ़ाने के उद्देश्य से देश की अंतरिक्ष नीति में कुछ बदलाव लाने का निर्णय लिया गया।

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