सावरकार के बलिदान से अनभिज्ञ लोग उनका नाम ‘बदनाम’ कर रहे: एम वेंकैया नायडू

 एम वेंकैया नायडू

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी वीर दामोदर सावरकर को लेकर दिए गए बयान पर घिरते नजर आ रहे हैं। एक तरफ सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने राहुल को साफ-साफ कह दिया है कि अगर वह सावरकर पर की गई विवादित टिप्पणी पर माफी नहीं मांगते हैं तो उन पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। वहीं, पूर्व उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को विवादित टिप्पणी करने वालों पर निशाना साधा। हालांकि, नायडू ने किसी का नाम नहीं लिया है। वेंकैया नायडू ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वीडी सावरकर का नाम उन लोगों द्वारा ‘अनावश्यक रूप से बदनाम’ किया जा रहा है जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके ‘अतुलनीय बलिदान’ से अनभिज्ञ हैं। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि देश के नायक और राष्ट्रवादी सावरकर अत्यंत सम्मान के पात्र हैं।

नायडू ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, वीर सावरकर की आलोचना करने वालों को पहले स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और निस्वार्थ बलिदान के बारे में पता करना चाहिए, इससे पहले कि वे उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास करें। नायडू की यह टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा सावरकर के नाम का इस्तेमाल कर सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधने को लेकर उठे राजनीतिक विवाद के बीच आई है। गौरतलब है कि भाजपा ने राहुल गांधी पर हमला तेज कर दिया है और ब्रिटेन के उनके हालिया दौरे के दौरान भारत की छवि खराब करने के लिए उनसे माफी मांगने की मांग की थी। इस पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि वह ‘सावरकर नहीं’ हैं और माफी नहीं मांगेंगे।

राहुल गांधी ने 25 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, वह सरकार से डरेंगे नहीं, सरकार उनको डरा नहीं सकती है। उन्होंने सूरत में आपराधिक मानहानि मामले में सरकार से माफी इसलिए नहीं मांगी है क्योंकि उनका नाम गांधी है, सावरकर नहीं, और गांधी किसी से माफी नहीं मांगता है। नायडू ने कहा, हमारे राजनीतिक मतभेदों की वजह से हमारी धारणाओं को धूमिल नहीं होने देना चाहिए और ऐसी चरम स्थिति की ओर नहीं ले जाना चाहिए जो स्पष्ट रूप से गलत हो। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्रता सेनानी और एक क्रांतिकारी के रूप में अपनी भूमिका के लिए सावरकर को अंग्रेजों के हाथों “जघन्य यातना” का सामना करना पड़ा था। सावरकर ने अंडमान के सेलुलर जेल के एक छोटे से सेल में वेंटिलेशन या शौचालय सुविधाओं के बिना बेहद कठोर परिस्थितियों में कई साल बिताए थे।

नायडू ने कहा कि कम ही लोग इस तथ्य से वाकिफ हैं कि सावरकर ने अपने समय में छुआछूत के खिलाफ एक शक्तिशाली सामाजिक सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन्होंने जाति की परवाह किए बिना सभी हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति देने के लिए रत्नागिरी जिले में ‘पतिता पावन’ मंदिर का निर्माण किया था। पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस बात को याद किया जाना चाहिए कि महात्मा गांधी लंदन में वीर सावरकर से मिले थे औ वह उनका बहुत सम्मान करते थे। हालांकि गांधी जी और वीर सावरकर के कुछ मुद्दों पर अलग-अलग विचार थे, लेकिन महात्मा गांधी ने वीर सावरकर को भारत के एक वफादार पुत्र के रूप में स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न केवल संसद में सावरकर के चित्र का अनावरण किया था, बल्कि एक पत्र भी लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि वीर सावरकर की ब्रिटिश सरकार की साहसी अवहेलना का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में अपना महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि गलत प्रचारकों ने कई वर्षों से इतिहास के तथ्यों पर पर्दा डालने की कोशिश की है और सावरकर की छवि को विकृत करने का प्रयास किया।

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