
बिच्छू डॉट कॉम। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित करते को मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग और सुधारक देंग शियाओपिंग के बराबर बताया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि शी जिनपिंग तीसरी बार राष्ट्रपति बनने को तैयार हैं। शी जिनपिंग के दबदबे को ऐसे समझिये कि ऐतिहासिक प्रस्ताव में 17 बार जिनपिंग का उल्लेख किया गया है। पूरे प्रस्ताव में सिर्फ 7 बार माओ और 5 बार देंग का उल्लेख किया गया है।
कार्यक्रम में 2049 तक चीन को महान आधुनिक समाजवादी देश बनाने का लक्ष्य रखा गया है। यह साफ है कि शी जिनपिंग चीन को मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं। होन्ग कोन्ग के एकीकरण के बाद जिनपिंग के लिए ताइवान प्राथमिकता है। पीपल्स लिबरेशन आर्मी के चीफ जिनपिंग की लीडरशिप में अक्टूबर महीने में चीनी लड़ाकू विमान करीब 200 बार ताइवान की वायुसीमा का उल्लंघन कर चुकी है। शिनजियांग के तकलामाकन रेगिस्तान में अमेरिकी विमान वाहक और विध्वंसक के नकली लक्ष्य पर मिसाइल और दक्षिण चीन सागर में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक नीति से चीन ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। चीनी सरकार की प्रचार मशीनरी भी इसे फैलाने में जुटी हुई है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर नजर रखने वाले एनालिस्ट्स का मानना है कि बीजिंग ‘वन चाइना’ को जल्द से जल्द जमीन पर उतारना चाहता है ताकि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन आदि को कोई मौका न मिल सके। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से अमेरिकी नेतृत्व पहले से कमजोर दिखा है। अफगानिस्तान को लेकर अमेरिकी सहयोगी पाकिस्तान अब खुलकर तालिबान के साथ नजर आ रहा है।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ताइवान को लेकर कहा था कि अमेरिका चीन की सैन्य कारवाई के खिलाफ ताइवान की सैन्य रूप से रक्षा करेगा। लेकिन डेमोक्रेट्स अगर रिपब्लिकन से कुछ सीटें और हारते हैं तो बाइडेन और कमजोर पड़ सकते हैं। ऑकस जैसे समझौते भी चीनी आक्रमण के काट के तौर पर नहीं दिखती है। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियों को खुद से संचालित करने में अभी सालों लगेंगे। इस बात को चीनी नौसेना अच्छे तरीके से जानती है और ऐसे में वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना फोकस बढ़ा रहे हैं।
आने वाले महीनों में चीन ताइवान पर और दबाव बना सकता है और अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों पर भी अपनी पकड़ मजबूत करेगा। मुश्किल मल्लका स्ट्रेट्स के बदले चीन ग्वादर पोर्ट के विकास में लगा हुआ है। ग्वादर से शिनजियांग तक तेल पाइपलाइन बनाने का काम जारी है। चीन ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने पर भी काम कर रहा है। इस्लामाबाद पर बीजिंग की बढ़ती पकड़ से भारत पर दबाव बढ़ेगा। ऐसे वक्त में जब दुनिया चीन के आक्रामक रवैए से जूझ रही है, उसके पड़ोसी देशों पहले से अधिक दबाव महसूस कर रहे हैं। उधर बीजिंग अपने 2049 के लक्ष्यों पर काम कर रहा है। जापान जैसे चीन के विरोध में रहने वाले देश भी शांतिवादी सिद्धांतों को रद्द करने पर विचार कर रहे हैं। रूस अभी भी दुनिया को कोल्ड वॉर के नजरिए से देख रहा है। ऐसे में पूरी दुनिया की नजरें ताइवान पर टिकी हुई हैं।