बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें ट्रंप ने कहा था कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच शांति स्थापित करने में चीन की कोई भूमिका नहीं रही। दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में दोनों नेताओं की बैठक के दौरान शी जिनपिंग ने साफ कहा कि इस संघर्ष को सुलझाने में चीन ने भी योगदान दिया है। बुसान में हुई शिखर वार्ता के दौरान ट्रंप ने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुए समझौते को “ऐतिहासिक शांति समझौता” बताते हुए कहा था कि इसमें अमेरिका की बड़ी भूमिका रही। लेकिन शी जिनपिंग ने उनके दावे को अस्वीकार करते हुए कहा कि चीन लंबे समय से दोनों दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसी देशों के बीच सीमा विवाद सुलझाने के प्रयास करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि बीजिंग ने थाईलैंड और कंबोडिया को अपने तरीके से बातचीत के लिए प्रेरित किया और संघर्ष खत्म करने की दिशा में मध्यस्थता की।
हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, थाई-कंबोडिया तनाव के चरम पर चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों से गोपनीय बैठकों के माध्यम से बातचीत कराई थी। इन बैठकों में संघर्ष विराम और सीमा पर भारी हथियार हटाने पर चर्चा हुई थी। शी जिनपिंग का बयान दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन की बढ़ती भूमिका और उसके प्रभाव को स्पष्ट करता है, जहां वह आर्थिक और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
ट्रंप ने अपनी एशिया यात्रा के दौरान थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं के बीच हुए समझौते को ऐतिहासिक डील बताया था और कहा था कि यह उनके नेतृत्व में हुआ एक बड़ा कदम है। हालांकि, बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, थाईलैंड के विदेश मंत्री सिहासाक फुआंगकेटकिओ ने इस समझौते को शांति समझौता मानने से इनकार करते हुए कहा कि यह केवल “शांति की दिशा में एक रास्ता” है। इस दस्तावेज को थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संबंधों की संयुक्त घोषणा कहा गया है, न कि शांति संधि। समझौते में केवल प्रारंभिक कदम बताए गए हैं। जैसे भारी हथियारों की वापसी, सीमाओं पर बारूदी सुरंग हटाने और सीमा निर्धारण की प्रक्रिया शुरू करना।
