भारत में अमेरिकी उत्पादों को बेचना मुश्किल: व्हाइट हाउस

व्हाइट हाउस

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय समयनुसार, बुधवार देर रात दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने का एलान कर दिया। ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है। अब व्हाइट हाउस ने भारत पर अनोखे प्रमाण पत्र मांगने का आरोप लगा दिया है। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा है कि भारत रसायन, दूरसंचार उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में अनोखे और बोझिल प्रमाण पत्र मांगता है, जिनके चलते अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में अपने उत्पाद बेचने मुश्किल हो जाते हैं।

व्हाइट हाउस ने एक फैक्ट शीट में कहा है कि ‘भारत रसायन, दूरसंचार उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में बोझिल और अनोखे परीक्षण और प्रमाणन आवश्यकताओं को लागू करता है, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में अपने उत्पादों को बेचना या तो मुश्किल हो जाता है या फिर महंगा हो जाता है। अगर इन बाधाओं को हटा दिया जाता है, तो अनुमान है कि अमेरिकी निर्यात में सालाना कम से कम 5.3 अरब डॉलर की वृद्धि होगी।’ ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है, यह भारत द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए जाने वाले 52 प्रतिश शुल्क का आधा है। ट्रंप ने भारत के टैरिफ को बहुत कठोर बताया। व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ अन्य देशों द्वारा लगाए गए गलत टैरिफ और इससे पैदा हुई असमानताओं को दूर करेंगे और अमेरिकी व्यवसायों और श्रमिकों के लिए मौके बनाएंगे। पीढ़ियों से, कई देशों ने अमेरिका का फायदा उठाया है और हम पर उच्च दरों पर टैरिफ लगाया है।’

व्हाइट हाउस ने कहा कि ‘अमेरिका यात्री वाहन आयात पर 2.5 प्रतिशत टैरिफ लगाता है, जबकि यूरोपीय संघ (10 प्रतिशत) और भारत (70 प्रतिशत) एक ही उत्पाद पर बहुत अधिक शुल्क लगाते हैं। नेटवर्किंग स्विच और राउटर के लिए अमेरिका जीरो प्रतिशत टैरिफ लगाता है, लेकिन भारत 10-20 प्रतिशत टैरिफ लगाता है। चावल के लिए, अमेरिका 2.7 प्रतिशत का टैरिफ लगाता है, जबकि भारत (80 प्रतिशत), मलेशिया (40 प्रतिशत), और तुर्की (31 प्रतिशत) काफी ज्यादा टैरिफ लगाते हैं। सेब के आयात पर अमेरिका में कोई शुल्क नहीं लगता, लेकिन तुर्की (60.3 प्रतिशत) और भारत (50 प्रतिशत) में ऐसा नहीं है।’

व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट में कहा गया है, ‘अमेरिका सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) पर साधारण औसत टैरिफ दरें 3.3 प्रतिशत हैं, जबकि हमारे कई प्रमुख व्यापारिक साझेदारों, जैसे ब्राज़ील (11.2 प्रतिशत), चीन (7.5 प्रतिशत), यूरोपीय संघ (5 प्रतिशत), भारत (17 प्रतिशत) और वियतनाम (9.4 प्रतिशत) में MFN पर साधारण औसत टैरिफ दरें काफी अधिक हैं।’ व्हाइट हाउस ने कहा कि ‘चीन की गैर-बाजार नीतियों और प्रथाओं ने चीन को विनिर्माण उद्योगों में वैश्विक प्रभुत्व दिया है, जिससे अमेरिकी उद्योग नष्ट हो गया। साल 2001 और 2018 के बीच, इन वजहों से अमेरिका-चीन व्यापार घाटे में वृद्धि के कारण 37 लाख अमेरिकी नौकरियां गईं। इसके चलते श्रमिकों को विस्थापन हुआ। अहम उद्योगों के साथ-साथ रोजमर्रा के सामानों के लिए विदेशों पर हमारी निर्भरता बढ़ने से अमेरिकी आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में डाली गई।’

Related Articles