
हेग। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींच लिया है। उन्होंने दावा किया है कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह तबाह कर दिया है और अगले हफ्ते अमेरिकी और ईरानी अधिकारियों के बीच बातचीत हो सकती है। हालांकि, ईरान ने ऐसे किसी भी संभावित संवाद से साफ इनकार किया है और अमेरिका पर भरोसा न होने की बात कही है। नीदरलैंड के हेग शहर में चल रहे नाटो देशों के शिखर सम्मेलन में ट्रंप ने कहा कि फिलहाल वह ईरान से बातचीत को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं, लेकिन फिर भी बैठक हो सकती है। ट्रंप ने कहा कि हम शायद कोई समझौता साइन करें, शायद न करें। मेरे नजरिए से जरूरी नहीं। उन्होंने लड़ाई की, अब युद्ध खत्म हो चुका है। ट्रंप का इशारा बीते हफ्ते ईरान पर हुए अमेरिकी हमलों की तरफ था। ट्रंप के दावे पर ईरान ने कड़ा रुख अपनाया है। ईरानी संसद ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग खत्म करने का प्रस्ताव पास करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। एक ईरानी अधिकारी ने कहा कि अमेरिका पर भरोसा करना मुश्किल है, खासकर तब जब उसने हमारे परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, 13 जून को इस्राइल ने ईरान के टॉप मिलिट्री कमांडरों, वैज्ञानिकों और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया था। इसके बाद 22 जून को अमेरिका ने नतान्ज़, फोर्डो और इस्फहान जैसे अहम परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए। ट्रंप ने दावा किया कि इन हमलों में ईरान का पूरा न्यूक्लियर इन्फ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त हो गया है। ट्रंप ने कहा कि हमने सब कुछ तबाह कर दिया। सुरंगें ध्वस्त हो गईं, पूरा सिस्टम बर्बाद हो चुका है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो को उन्होंने ईरान से संभावित समझौते का ड्राफ्ट तैयार करने को कहा है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि प्रस्तावित बातचीत परमाणु मुद्दे पर ही होगी या व्यापक शांति समझौते को लेकर होगी।
इस बीच इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उन खबरों को खारिज किया है जिनमें कहा गया था कि इस्राइल ने अमेरिका पर ईरान पर हमले का दबाव डाला। नेतन्याहू ने कहा कि यह दावा पूरी तरह बेबुनियाद है। ट्रंप ने अपने देश के हित में यह फैसला किया, जिसे हम समर्थन देते हैं। फिलहाल ईरान और अमेरिका के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। एक तरफ ट्रंप शांति वार्ता के संकेत दे रहे हैं, दूसरी तरफ ईरान भरोसा तोड़ने का आरोप लगाकर सख्त रुख दिखा रहा है। फिलहाल माना जा रहा है कि आने वाले हफ्ते में यह साफ होगा कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक हलचल कोई नया मोड़ लेती है या हालात और बिगड़ते हैं।