स्वत: संज्ञान लेने का मूल उद्देश्य जनहित के लिए हो: शहबाज शरीफ

शहबाज शरीफ

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सरकार और न्यायपालिका के बीच विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) की स्वत: संज्ञान लेने और बेंच गठित करने की शक्तियों को कम करने की मांग करने वाले विधेयक के कार्यान्वयन को रोक दिया था। वहीं अब इस मामले पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि स्वत: संज्ञान लेने का मूल उद्देश्य एक व्यक्ति के बजाय जनहित में प्रयोग किया जाना चाहिए।

विधेयक को शुरू में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को उनकी सहमति के लिए भेजा गया था। उन्होंने इस कानून को दो बार वापस भेज दिया। बता दें कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सदस्य हैं। उन्होंने यह कहते हुए विधेयक वापस भेज दिया कि यह संसद की क्षमता से परे है।

जब से सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाली सरकार सुप्रीम कोर्ट (अभ्यास और प्रक्रिया) विधेयक 2023 लेकर आई है तब से न्यायपालिका और सत्तारूढ़ गठबंधन के बीच संबंधों में तब से खटास आ गई है।

बिल को 10 अप्रैल को संसद की संयुक्त बैठक में कुछ संशोधनों के साथ फिर से पारित किया गया और राष्ट्रपति को भेजा गया था। लेकिन संसद के संयुक्त सत्र से विधेयक के पारित होने के तीन दिन बाद, सीजेपी उमर अता बंदियाल सहित सुप्रीम कोर्ट की आठ सदस्यीय पीठ ने एक आदेश जारी किया, जो कानून बनने के बाद सरकार को विधेयक को लागू करने से रोकता है। शुक्रवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने कानून को अधिसूचित किया। गौरतलब है कि विधेयक का संसद में पेश होना और प्रधानमंत्री शरीफ का यह बयान ऐसे समय आया, जब पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीशों ने देश के शीर्ष न्यायाधीश की स्वत: संज्ञान लेने की शक्तियों पर सवाल उठाया।

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