दक्षिण कोरिया कभी कूटनीतिक साझेदार नहीं होगा: किम यो जोंग

किम यो जोंग

सियोल। उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने कहा है कि उनका देश दक्षिण कोरिया को कभी भी कूटनीतिक साझेदार नहीं मानेगा। यह बयान उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने बुधवार को जारी किया। बता दें कि किम यो जोंग उत्तर कोरियाई शासन में शीर्ष विदेश नीति सलाहकार भी हैं। उन्होंने दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच चल रहे सैन्य अभ्यासों को लापरवाह आक्रमण की तैयारी बताया और आरोप लगाया कि सियोल की शांति की अपीलों के पीछे खतरनाक मंशा छिपी हुई है।किम यो जोंग की यह टिप्पणी मंगलवार को हुई उस बैठक के दौरान आई, जिसमें किम जोंग उन की कूटनीतिक रणनीतियों और बदलते वैश्विक हालात पर चर्चा हुई। इसी हफ्ते सोमवार को किम जोंग उन ने भी दक्षिण कोरिया-अमेरिका सैन्य अभ्यासों की निंदा करते हुए परमाणु हथियारों के तेजी से विस्तार की बात कही थी। उन्होंने अपने देश के सबसे उन्नत युद्धपोत का निरीक्षण किया, जिसमें परमाणु हथियार तैनात करने की क्षमता जोड़ी जा रही है।

किम यो जोंग ने दक्षिण कोरिया को अमेरिका का वफादार भी बताया और कहा कि सियोल की ओर से रिश्ते सुधारने की कोशिशें कभी सफल नहीं होंगी। यह बयान ऐसे समय आया है जब दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे म्युंग हाल के दिनों में तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने सीमा पर लगे लाउडस्पीकर हटवाए हैं, जो पहले उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रचार और के-पॉप गाने बजाते थे। राष्ट्रपति ली ने यह भी कहा है कि दक्षिण कोरिया उत्तर की मौजूदा व्यवस्था का सम्मान करता है और किसी भी तरह से जबरन एकीकरण की कोशिश नहीं करेगा। हालांकि उन्होंने यह भी दोहराया कि सियोल उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा बना रहेगा और संवाद की अपील करता रहेगा। किम यो जोंग ने अपने बयान में यह भी दावा किया कि एशियाई कूटनीति में अब केंद्र उत्तर कोरिया होगा, और दक्षिण कोरिया की कोई अहमियत नहीं रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद उत्तर कोरिया ने रूस से नजदीकी बढ़ाई है और मॉस्को को हथियार भेजकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का समर्थन किया है। इस बीच किम जोंग उन अपनी सैन्य और परमाणु क्षमता को और तेज़ी से बढ़ा रहे हैं।

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