
इस्लामाबाद /बिच्छू डॉट कॉम। पाकिस्तान में जो भी कुछ आज हो रहा है वह किसी से छुपा नहीं है। दूध-आटे जैसी सामान्य चीजों के अलावा चिकन और प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं। महंगाई ने पाकिस्तान को चारों खाने चित कर दिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कई देशों से मदद की गुहार लगाई लेकिन उनकी किसी ने एक न सुनी, बढ़ते कर्ज, घटते विदेशी मुद्रा भंडार और जीडीपी में भारी गिरावट से जूझ रहे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। बात यहीं आकर ही खत्म नहीं हो जाती, पाकिस्तान में भारत से जुड़ी कंपनियां भी बुरे दौर से गुजर रही हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान के इस तरह हालात भारत के लिए चुनौती बन सकते हैं?
पाकिस्तान में जिस तरह के हालात हैं उससे साफ पता चलता है यहां कई क्षेत्रों में चरमपंथ बढ़ने के आसार है। महंगाई की वजह से आम जनता में मारामारी हो रही है, जनता का ध्यान भटकाने के लिए पाक कश्मीर मुद्दे का राग अलाप रहा है। ऐसे में पाकिस्तान फिर किसी बड़े मंच पर कश्मीर पर कुछ बोल सकता है, इसके लिए भारत को पहले से ही सतर्क रहना होगा ताकि समय पर उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। इन दिनों पाकिस्तान में देशी हो या विदेशी दोनों कंपनियों पर आर्थिक संकट आन पड़ा है। अधिकतर कंपनियां घाटे में चल रही है। पाकिस्तान की कंपनियों के बुरे हाल का असर भारतीय कंपनी जैसे जिंदल और टाटा पर भी देखने को मिल सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जिंदल ग्रुप ने स्टील के अलावा यह ग्रुप एनर्जी सेक्टर में भी पाकिस्तान में अच्छा बिजनेस किया है। लेकिन अब अगर वहां के सभी बिजनेस पर इस संकट का असर पड़ता है तो इस कंपनी पर भी वैसा ही असर पड़ेगा। वहीं इसी तरह टाटा ग्रुप ने पाकिस्तान में टेक्सटाइल बिजनेस में काफी मुनाफा कमाया है। अब अगर वहां के सभी कारोबार इस तरह से प्रभावित हुए तो उसका असर इस कंपनी पर भी देखने को मिल सकता है।
पाकिस्तान इन दिनों सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। महंगाई यहां चरम पर पहुंच चुकी है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी ऐतिहासिक स्तर को पार कर गई हैं। वहीं, आईएमएफ कार्यक्रम को पटरी पर लाने के लिए पाकिस्तान द्वारा एक्सचेंज कैप हटाने के कारण पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। 261.17 पाकिस्तानी रुपये की कीमत एक डॉलर हो चुकी है। पाकिस्तान को दिसंबर में सिर्फ 53.2 करोड़ डॉलर का कर्ज मिला, जो बड़े पुनर्भुगतान के लिए पर्याप्त नहीं था। पिछले सात दिनों में देश ने चीनी वित्तीय संस्थानों को 828 मिलियन अमरीकी डॉलर का भुगतान किया। इसके परिणामस्वरूप आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 3.1 अरब डॉलर रह गया। दिसंबर में प्राप्त ऋण का लगभग 44 प्रतिशत एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से आया था जिसने 231 मिलियन अमरीकी डॉलर दिए थे। अब तक एडीबी 1.9 अरब डॉलर के वितरण के साथ सबसे बड़ा ऋणदाता बना हुआ है। यह राशि वार्षिक अनुमान का एक तिहाई है।