ईरान बना रहा था परमाणु हथियार: ट्रंप

वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सप्ताह कांग्रेस को बताया कि ईरान के कुछ ठिकानों पर परमाणु हथियार बनाने का कार्यक्रम चल रहा था, इसलिए अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया। हालांकि, अमेरिकी खुफिया एंजेंसियों का कहना है कि ईरान के पास ऐसा कोई कार्यक्रम मौजूद नहीं था। ट्रंप के इस दावे से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने रविवार (स्थानीय समयानुसार) को ईरान पर हमले का आदेश देने के उनके फैसले का समर्थन किया था।

रिपब्लिकन राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार (स्थानीय समयानुसार) को प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष माइक जॉनसन को लिखे एक पत्र में यह दावा किया, जिसे बाद में व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर भी इसे पोस्ट किया गया। ट्रंप ने पत्र में लिखा, ‘अमेरिकी सेना ने ईरान में तीन परमाणु ठिकानों पर सटीक हमला किया, जिनका इस्तेमाल ईरान की सरकार अपने परमाणु हथियार विकास कार्यक्रम के लिए कर रही थी।’ हालांकि, इसी साल मार्च में अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने कांग्रेस के समक्ष हालिया रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया था कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने 2003 में अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को बंद कर दिया था और उसे दोबारा शुरू करने का कोई आदेश नहीं दिया गया था। अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि मार्च के बाद से इस रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

ईरान हमेशा इस बात पर जोर देता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उपयोग के लिए है- जैसे बिजली बनाने के लिए, न कि हथियार बनाने के लिए। ऐसे में ट्रंप का दावा वैसा ही है जैसे 2003 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इराक पर हमला करते वक्त कहा था कि वहां विनाश के हथियार हैं। जो बात में गलत साबित हुआ और अमेरिका को आलोचना झेलनी पड़ी। डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और कहा, ‘मुझे फर्क नहीं पड़ता उन्होंने क्या कहा। मेरा मानना है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के बहुत करीब था।’ हालांकि, तुलसी गबार्ड ने बी कहा है कि अगर ईरान चाहता, तो वह कुछ हफ्तों या महीनों में परमाणु हथियार बना सकता था।

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