फंडिंग मामले में इमरान की जमानत रद्द करने की याचिका खारिज

इमरान खान

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व इमरान खान को एक अदालत ने प्रतिबंधित धन मामले में जमानत रद्द करने की पाक शीर्ष जांच एजेंसी एफआईए की याचिका बुधवार को खारिज कर दी। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान खान को प्रतिबंधित फंडिंग मामले में इस्लामाबाद की एक बैंकिंग अदालत ने जमानत दे दी। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने पिछले साल अक्टूबर में बैंकिंग अदालत में इमरान खान और उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों के खिलाफ कथित रूप से प्रतिबंधित धन प्राप्त करने के लिए मामला दायर किया था। पीटीआई के पूर्व संस्थापक सदस्य अकबर एस बाबर ने 2014 में पाकिस्तान के चुनाव आयोग में प्रतिबंधित फंडिंग का मामला दायर किया था।

एफआईए ने पीटीआई प्रमुख को जमानत देने के बैंकिंग अदालत के फैसले के खिलाफ 28 फरवरी को आईएचसी में एक आवेदन दायर किया और अदालत से फैसले को रद्द करने की अपील की थी। 2022 में, पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने कहा कि इमरान खान के खिलाफ विदेशी पाकिस्तानियों से प्रतिबंधित धन लेने के आरोप साबित हुए हैं।

इसने पीटीआई को एक नया कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि इन फंडों को जब्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि बुधवार की सुनवाई के दौरान, एफआईए के विशेष अभियोजक रिजवान अब्बासी ने तर्क दिया कि मामले में एजेंसी द्वारा इमरान खान से अभी तक पूछताछ नहीं की गई है, और अदालत से उनकी जमानत रद्द करने का आग्रह किया। आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश मोहसिन अख्तर कयानी ने पूछा कि क्या प्राथमिकी में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप आरिफ नकवी और इमरान खान के खिलाफ थे या अगर पीटीआई को धन प्राप्त हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, एफआईए के वकील ने तर्क दिया कि इमरान खान ने हाल ही में एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि उन्होंने दान उद्देश्यों के लिए धन प्राप्त किया लेकिन राजनीतिक गतिविधियों के लिए उनका इस्तेमाल किया।

इसमें कहा गया है कि न्यायमूर्ति कयानी ने पूछा कि क्या धन का इस्तेमाल किसी राजनीतिक दल द्वारा किया गया और फिर वे व्यक्तिगत संपत्ति कैसे बन गए। जस्टिस कयानी ने एफआईए के वकील से स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का वह पत्र जमा करने को कहा, जो जांच एजेंसी को जांच के दौरान मिला था। साथ ही जज ने कहा कि जांच में बैंक के कर्मचारी को शामिल नहीं किया । बैंक खाते का नाम बदलना कोई अपराध नहीं है। इसके बाद पीठ ने इमरान की जमानत रद्द करने की याचिका खारिज कर दी। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बांदियाल ने बुधवार को चेतावनी दी कि अगर कोई संकेत मिलता है कि चुनाव “पारदर्शी” तरीके से नहीं हो रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा। बंदियाल ने यह टिप्पणी तीन सदस्यीय पीठ के लाहौर पुलिस प्रमुख गुलाम महमूद डोगर के तबादले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई शुरू करने के बाद की।

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