हाइब्रिड मॉडल से चल रहा है पाकिस्तान: ख्वाजा आसिफ

ख्वाजा आसिफ

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि देश में शासन का संचालन ‘हाइब्रिड मॉडल’ के तहत होता है, जहां सेना और नागरिक सरकार मिलकर फैसले लेती है। आसिफ ने यह बयान एक पत्रकार को दिए एक साक्षात्कार में दिया है। उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान की सत्ता में सेना का दखल है और निर्णय सहमति से लिए जाते हैं। जब ख्वाजा आसिफ से पूछा गया कि पाकिस्तान में सेना प्रमुख का प्रभाव इतना ज्यादा क्यों है कि रक्षा मंत्री भी उसके अधीन दिखाई देते हैं। इस पर आसिफ ने कहा, ‘यह पूरी तरह समान नहीं है, लेकिन फैसले सहमति से लिए जाते हैं। हम असहमत हो सकते हैं, लेकिन अंत में सामूहिक निर्णय ही लागू होता है।’ जब उनसे तुलना की गई कि अमेरिका में रक्षा मंत्री के पास जनरलों को बर्खास्त करने का अधिकार होता है, जबकि पाकिस्तान में ऐसा नहीं है, तो आसिफ ने अमेरिका की व्यवस्था को ‘डीप स्टेट’ कहकर टाल दिया।

पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक, आसिफ ने पहले भी इस ‘हाइब्रिड शासन प्रणाली’ की तारीफ करते हुए इसे पाकिस्तान की आर्थिक और प्रशासनिक समस्याओं को हल करने के लिए ‘व्यावहारिक आवश्यकता’ बताया था। उनका कहना था कि यह आदर्श लोकतंत्र नहीं है, लेकिन मौजूदा हालात में यही व्यवस्था देश के लिए बेहतरीन काम कर रही है। इस दौरान ख्वाजा आसिफ से पाकिस्तान के अमेरिका और चीन के बीच संतुलन पर भी सवाल पूछा गया। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की मेजबानी की थी। इस पर पूछा गया कि क्या अमेरिका से बढ़ते संबंध चीन के साथ पाकिस्तान की दोस्ती को प्रभावित करेंगे।

आसिफ ने कहा कि चीन को इस बात की कोई चिंता नहीं है। ‘हमारा चीन के साथ संबंध दशकों पुराना और भरोसेमंद है। चीन हमारे हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। हमारी वायुसेना, पनडुब्बियां और कई बड़े रक्षा उपकरण वहीं से आते हैं। अमेरिका जैसे देशों की अविश्वसनीयता की वजह से चीन के साथ हमारा सहयोग और भी मजबूत हुआ है।’ उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान का रणनीतिक भविष्य चीन के साथ ही जुड़ा हुआ है, हालांकि अमेरिका के साथ संबंध लेन-देन वाले और थोड़े चोचलेबाजी जैसे रहे हैं। आसिफ ने सऊदी अरब के साथ हाल ही में हुए समझौते पर भी बात की। इस समझौते के तहत किसी एक देश पर हमले को दोनों पर हमला माना जाएगा। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा छत्रछाया सऊदी अरब को भी कवर करेगी, तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

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