कानून व्यवस्था कायम नहीं कर सके मोहम्मद यूनुस: ताजनुवा जबीन

ताजनुवा जबीन

ढाका। बांग्लादेश की नई राजनीतिक पार्टी ने अंतरिम सरकार पर हमला बोला है। नेशनल सिटिजन पार्टी की संयुक्त संयोजक ताजनुवा जबीन ने कहा कि मोहम्मद यूनुस की सरकार पिछले एक साल में कानून व्यवस्था कायम करने में नाकाम रही है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल को लेकर भी बात की। साथ ही भारत के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए कहा। नेशनल सिटिजन पार्टी की संयुक्त संयोजक ताजनुवा जबीन ने कहा कि पिछले एक साल में सरकार की एक नाकामी यह है कि वे कानून प्रवर्तन ढांचे को फिर से स्थापित करने के लिए कानूनी बल को नियंत्रित या स्थापित नहीं कर पाए। जुलाई के विद्रोह के दौरान पुलिस, विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने ही आम लोगों पर, छात्रों पर, हत्याओं को लेकर सामूहिक नरसंहार में हिस्सा लिया था। इसलिए अंतरिम सरकार की प्राथमिकता पुलिस, आरएबी, डीबी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सभी बलों को फिर से स्थापित करना होना चाहिए। वे ऐसा नहीं कर पाए। मैं कह सकती हूं कि यह इस सरकार की दुर्भाग्यपूर्ण नाकामियों में से एक है। इस भीड़तंत्र में आपने जो भी कहा वही हुआ। एक ही मामले में कई लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं। ये मुकदमे फर्जी हैं। फर्जी मुकदमे और फर्जी आरोप। इसलिए ये सही बात नहीं है।

उन्होंने कहा कि जुलाई विद्रोह को एक साल हो गया है। हमें निरंकुश फासीवादी शेख हसीना से छुटकारा मिल गया है। लगभग 15 साल तक निरंकुशता कायम रही। इसलिए सारी कानून प्रवर्तन एजेंसियां, नौकरशाही, पूरा प्रशासन फासीवादी शासन के अधीन था। हम रातोंरात निरंकुशता से लोकतंत्र में बदलाव की उम्मीद नहीं कर सकते। लेकिन एक साल बाद हम हर चीज पर बात कर सकते हैं। हम अपनी अंतरिम सरकार से उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों और लोकतांत्रिक परिवर्तन के पक्ष में जिन सुधारों पर हम चर्चा कर रहे हैं, उनके बारे में पूछ सकते हैं। हर कोई बातचीत, संवाद और सेमिनारों में भाग ले रहा है। हर कोई देश के लिए खुला है। उन्होंने कहा कि पिछले 15 साल हमने कोई बातचीत नहीं की। सरकार के खिलाफ बात करने का कोई मौका नहीं मिला। हमारी आवाज दबाने के लिए एक कानून था। जबरन गायबियां, न्यायेतर हत्याएं और सभी निजी बैंकों की लूट हुई। निरंकुशता का साम्राज्य था। लेकिन पिछले साल यह रुक गया और हमने फिर से शुरू कर दिया है। लोकतंत्र में तब्दील होने की प्रक्रिया धीमी है। इसलिए मुझे लगता है कि यह वैसी नहीं है जैसी हमने एक साल पहले उम्मीद की थी। लेकिन यह हो रहा है। प्रगति हो रही है।

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