क्वाड देशों में US-भारत की भूमिका अहम: विवेक लाल

वॉशिंगटन। भारत और अमेरिका रक्षा जगत में भी करीबी सहयोगी हैं। संयुक्त सैन्य अभ्यास जैसी कवायद के तहत दोनों देशों के सैनिक अपने कौशल को निखारते हैं। क्षेत्रीय सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए क्वाड देशों के बीच भी परस्पर सहयोग होता है। ताजा घटनाक्रम में अमेरिकी रक्षा उद्योग की शीर्ष कंपनी- जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी विवेक लाल ने क्वाड में भारत और अमेरिका की मौजूदगी पर कहा, ऐसे वैश्विक संगठन में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग होता है। इससे क्षेत्रीय सुरक्षा मजबूत होती है। उभरते भू-राजनीतिक खतरों का जवाब देने की क्षमता पर विवेक लाल ने कहा, भारत-अमेरिका के आपसी सहयोग से ताकत बढ़ती है। दोनों देशों का रक्षा उद्योग नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देता है। जनरल एटॉमिक्स के मुताबिक उनकी कंपनी भारत के भीतर अपना नेटवर्क बना रही है। भारतीय उच्च तकनीक क्षेत्र तक पहुंचने के प्रयास भी जारी हैं।

पीटीआई के साथ साक्षात्कार में विवेक लाल ने कहा, क्वाड ढांचे के भीतर अमेरिका-भारत सहयोग से क्षेत्रीय स्थिरता आती है। उन्होंने कहा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान चुनौतियों से निपटने में रणनीतिक साझेदारी अहम है। क्वाड से इसे बढ़ावा मिलता है, नतीजतन क्षेत्रीय सुरक्षा भी बढ़ाती है। विवेक लाल क्वाड इन्वेस्टर्स नेटवर्क के सलाहकार बोर्ड में हैं। यह क्वाड देशों में निवेशकों और अधिकारियों का एक नेटवर्क है। लाल ने भारत और अमेरिका के बीच कई रणनीतिक रक्षा सौदों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हालिया जनरल परमाणु ड्रोन में भी उनका रोल अहम रहा है। इस नेटवर्क का मकसद महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सह-निवेश को बढ़ावा देना है। एक सवाल के जवाब में लाल ने कहा, भारत के साथ-साथ वैश्विक औद्योगिक जगत से जुड़े होने के कारण जनरल एटॉमिक्स के विमानों में वृद्धि हुई है। जैसे-जैसे और अधिक ग्राहक हमारे विमानों को अपने बेड़े में शामिल करने में रूचि दिखाएंगे, हम साझेदारी शुरू करने के साथ-साथ और विमान भी विकसित करेंगे। विमानों और अधिक क्षमताओं से लैस किए जाएंगे। बता दें कि अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में  क्वाड या चतुर्भुज गठबंधन (Quadrilateral coalition) की स्थापना की थी। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक तेवरों का मुकाबला करने के लिए क्वाड देशों ने हाथ मिलाए हैं। लंबे समय से लंबित प्रस्ताव लगभग सात साल पहले मंजूर किया गया था। इसके बाद चारों देश कई बैठकों में शरीक हो चुके हैं। 

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