भारत और मलयेशिया के संबंध बहुमूल्य: बीएन रेड्डी

कुआलालंपुर। भारत और मलयेशिया के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय व्यापार और निवेश की अपार संभावनाएं हैं। भारतीय उच्चायुक्त बीएन रेड्डी ने दोनों देशों के संबंधों को बहुमूल्य बताते हुए यहां रविवार को यह बात कही।

उन्होंने कहा, यह एक ऐसा रिश्ता है जो निकटता,  प्रवासियों से जुड़ाव और इस बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी को साकार करने की दोनों सरकारों की इच्छा को देखते हुए इस क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। रेड्डी ‘आसियान-भारत मीडिया आदान-प्रदान कार्यक्रम-2023’ के तहत मलयेशिया का दौरा करने वाले भारतीय पत्रकारों के एक समूह से बात कर रहे थे। इस दौरान भारतीय उच्चायुक्त ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के लिए काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने मलयेशिया के साथ संबंधों को भारत को भारत के लिए बहुमूल्य बताया और कहा कि दोनों देशों ने पिछले साल ही राजनयिक संबंधों के 65 साल पूरे किए हैं। उन्होंने यह भी कि वे 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी को पूरा करने की प्रक्रिया में हैं। 
रेड्डी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान यह फैसला लिया गया कि मलयेशिया के साथ हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाएगा। इसको लेकर मैं कहूंगा कि इसमें संबंधों के सभी आयाम शामिल होंगे।’
उन्होंने कहा, मलयेशिया में भारतीय मूल का दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। मैं कहूंगा कि यहां एक मिनी इंडिया है। 29 लाख लोगों वाले प्रवासी भारतीय समुदाय का जिक्र करते हुए उच्चायुक्त ने कहा कि भले ही इनमें तमिल बोलने वाले सबसे ज्यादा हैं, लेकिन यहां मलयालम, तेलुगू, पंजाबी, गुजराती और उड़िया भाषी लोग भी हैं, जो हमें मलयेशिया के साथ और अधिक गहराई से जुड़ने के लिए एक पुल के रूप में काम करते हैं।

उन्होंने आगे कहा, संबंधों में वास्तविक स्थिरता व्यापार और आर्थिक निवेश संबंधों से आती है। हमारा द्विपक्षीय व्यापार 20 अरब डॉलर का है और हमें उम्मीद है कि अगले तीन साल में यह बढ़कर 25 अरब डॉलर का हो जाएगा। भारत 2022 में 19.63 अरब अमेरिकी डॉलर के कुल व्यापार के साथ मलेशिया का 11वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जो 2021 की तुलना में 23.6 फीसदी की वृद्धि थी। उन्होंने कहा, ‘विदेश मंत्री एस जयशंकर और मलयेशिया के विदेश मंत्री जंबरी अब्दुल कादिर के बीच इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में संयुक्त आयोग की बैठक हुई थी। यह एक ऐसा मौका था जब हम अपने रिश्तों की समीक्षा करने में सक्षम थे। इससे पहले हमने पूरे रक्षा सहयोग की समीक्षा के लिए दिल्ली में रक्षा सचिव स्तर की वार्ता की थी।’

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