वाशिंगटन। इस बार अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए अगर किसी उम्मीदवार के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है तो वह भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी हैं। एफबीआई जैसी संस्थाओं को बंद करने का बयान करने के बाद एक बार फिर उन्होंने चौंकाने वाली बात कही है। उन्होंने एच-1बी वीजा कार्यक्रम को ‘गिरमिटिया दासता’ का एक रूप बताया। उन्होंने कहा कि वे लॉटरी आधारित इस व्यवस्था को बंद कर देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे अगर चुनाव जीतते हैं तो वे इसके स्थान पर मेरिटोक्रेटिक व्यवस्था कायम करेंगे। बता दें कि उनका ये बयान तब आया है जबकि उन्होंने खुद 29 बार एच-1बी वीजा प्रोग्राम का इस्तेमाल किया है। रामास्वामी मे कहा कि एच-1 वीजा प्रणाली केवल उस कंपनी को लाभ देता है जिसने एच-1 बी अप्रवासी को प्रायोजित किया था। अमेरिका को श्रृंखला-आधारित प्रवासन को समाप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मैं इसे खत्म कर दूंगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका में लॉटरी आधारित इस व्यवस्था को मेरिटोक्रेटिक एंट्री से बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जो लोग परिवार के सदस्यों के रूप में आते हैं, वे योग्यता आधारित आप्रवासी नहीं हैं जो इस देश में कौशल-आधारित योगदान देते हैं।
पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2023 तक अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं ने एच-1बी वीजा के तहत कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए रामास्वामी की पूर्व कंपनी रोइवंत साइंसेज के लिए 29 आवेदनों को मंजूरी दी है। बावजूद इसके उन्होंने कहा कि एच-1बी वीजा प्रणाली इसमें शामिल सभी लोगों के लिए खराब है। बता दें कि रामास्वामी ने फरवरी 2021 में रोइवंत में अपने सीओओ का पद छोड़ दिया था, हालांकि इस साल फरवरी तक वे कंपनी के निदेशक मंडल के अध्यक्ष बने रहे थे। वहीं, जब उनसे रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नीतिगत रुख के बारे में पूछा गया, तो उनकी प्रेस सचिव ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने कहा कि एक नीति निर्माता की भूमिका में वह करना उनका उद्देश्य है जो समग्र रूप से देश के लिए सही है। उन्होंने कहा कि विवेक का मानना है कि अमेरिकी ऊर्जा क्षेत्र की देखरेख करने वाले नियम बुरी तरह टूट गए हैं उन्हें ठीक करने की जरूरत है।