
कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को कैबिनेट को उन खुफिया रिपोर्टों के बारे में जानकारी दी, जिनमें कुछ समूहों द्वारा सार्वजनिक अशांति पैदा करने की चेतावनी दी गई थी। कैबिनेट प्रवक्ता और मंत्री बंदुला गुणवर्धने ने कहा कि मौजूदा सूखे के कारण खेती के लिए पानी के संकट का इस्तेमाल विपक्षी समूहों द्वारा देश में समस्याएं पैदा करने के लिए किया गया।
उदावाला के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र के किसान समानालावेवा जलाशय से खेती के लिए पानी की मांग को लेकर हफ्तों से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। अधिकारी यह कहते हुए कि इससे दैनिक बिजली कटौती हो सकती है, जलाशय से पानी छोड़ने के लिए अनिच्छुक रहे थे। गुणवर्धने ने कहा, ‘कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा के घर को घेरने का प्रयास किया गया जबकि ऊर्जा मंत्री कंचना विजयसेकरा के घर को विशेष सुरक्षा मुहैया करानी पड़ी।’
उन्होंने कहा कि खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि सूखे के कारण जल संकट का इस्तेमाल करके सड़कों पर हिंसा भड़काने के कदम के पीछे कम से कम दो मीडिया संस्थान हैं। गुणवर्धने ने कहा, ‘उन्होंने आक्रोशित किसानों के साथ नौ मई को सड़कों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बनाई थी, जिसके बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने जवाबी कार्रवाई की और फिर राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए शवों का इस्तेमाल किया।’
पिछले साल नौ मई की घटना में तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था क्योंकि आर्थिक संकट से निपटने में तत्कालीन सरकार की अक्षमता को लेकर प्रदर्शन कर रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर सरकार के समर्थकों द्वारा हमला किया गया था, जिसके बाद पूरे द्वीपीय देश में हिंसा भड़क उठी थी। समानालावेवा पनबिजली जलाशय का पानी खेती के उद्देश्य से छोड़ने के कैबिनेट के फैसले के साथ किसान आंदोलन मंगलवार सुबह समाप्त हो गया। ऊर्जा मंत्री ने मंगलवार को संसद को सूचित किया कि राज्य की बिजली इकाई को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उच्च लागत पर आपातकालीन बिजली आपूर्ति करने के लिए मजबूर किया जाएगा।
