भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता पसंद: एरिक गार्सेटी

वॉशिंगटन। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में अगले साल आम चुनाव होने हैं। अमेरिका में जहां राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है, वहीं भारत में संसद के लिए चुनाव होंगे। इस पर भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी का कहना है कि ‘नेताओं को सिर्फ नेतृत्व और प्रशासन पर ध्यान देना चाहिए, लोग उनका ध्यान खुद रखेंगे।’ एरिक गार्सेटी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ‘मुझे भी चुनाव पसंद हैं क्योंकि मैं भी एक नेता रहा हूं लेकिन चुनाव ऐसा मौका होता है, जहां लोग यह साबित कर सकते हैं कि वही चीजों को नियंत्रित करते हैं।’

अमेरिकी राजदूत ने कहा कि चुनाव ऐसा पल होता है, जब लोग उम्मीदवारों को सुनते हैं और जो उनके हित में होता है, उसके बारे में सोचकर फैसला लेते हैं। गार्सेटी इन दिनों अमेरिका में हैं। गार्सेटी अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के उभरते हुए नेता माने जाते हैं और वह 2013 में लॉस एंजेलेस के मेयर चुने गए थे। 2017 में वह फिर से लॉस एंजेलेस के मेयर बने। 42 साल की उम्र में लॉस एंजेलेस के मेयर बनने वाले गार्सेटी बीते 100 से ज्यादा सालों में अमेरिका से सबसे युवा मेयर हैं।

भारत में राजदूत के तौर पर नियुक्ति को उन्हें अभी सिर्फ साढ़े तीन महीने का समय बीता है लेकिन इतने कम समय में ही गार्सेटी ने गजब की सक्रियता दिखाई है और वह भारत के दर्जनभर राज्यों का दौरा कर चुके हैं। गार्सेटी के सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर डालने से पता चलता है कि वह भारतीय व्यंजनों और भारतीय संस्कृति से कितने प्रभावित हैं। गार्सेटी ने बताया कि भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता उन्हें बेहद पसंद है। लोकतंत्र मुश्किल होता है और वह हमेशा परफेक्ट नहीं होता लेकिन वह लगातार अपने आप को बेहतर करने की कोशिश करता रहता है।

एरिक गार्सेटी ने कहा कि अमेरिकी लोगों को अब भारतीयों और भारत की बेहतर समझ होने लगी है। भारतीय खाने को पसंद करने के साथ ही हर चार में से एक अमेरिकी का इलाज भारतीय डॉक्टर करते हैं, जो वहां बतौर प्रवासी रह रहे हैं। अब अमेरिकी लोग भारत की संस्कृति, इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं, यहां पढ़ना चाहते है और निवेश भी करना चाहते हैं। गार्सेटी ने दावा किया कि जो बाइडन अमेरिकी इतिहास के सबसे ज्यादा भारत समर्थक राष्ट्रपति हैं और वह दोनों देशों की क्षमताओं को बढ़ाना चाहते हैं।

गार्सेटी ने कहा कि ‘सप्लाई चेन, नेविगेशन की स्वतंत्रता, जलवायु परिवर्तन से लड़ाई के साथ ही गरीबी से लड़ाई, महिला सशक्तिकरण आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें दोनों देश एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं।’ एरिक गार्सेटी ने यूक्रेन युद्ध और इस पर भारत के स्टैंड पर कहा कि ‘हम रूसी आक्रमण के खिलाफ बोलना बंद नहीं करेंगे। किसी भी देश के लिए संप्रभुता और सीमाएं काफी अहमियत रखती हैं। यही हमारे मूल्य हैं और हम इनके लिए लड़ते रहेंगे। गार्सेटी ने कहा कि हम भारत की बात भी सुनते हैं लेकिन यह कोई ऐसा रिश्ता नहीं है, जिसमें अमेरिका, भारत को नसीहत देगा। हम दोनों छात्र भी हैं और अध्यापक भी। भविष्य में दोनों देशों के लिए अपार संभावनाएं हैं।’ 

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