संघ के फार्मूले पर तैयार टीम खंडेलवाल

टीम खंडेलवाल
  • मिशन 2028 पर फोकस…

हमेशा चुनावी मोड में रहने वाली भाजपा मप्र में अब नई जोड़ी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में मिशन 2028 के अभियान में जुटेगी। इसके लिए संगठन का गठन कर दिया गया है, और अब मंत्रिमंडल विस्तार में चुनावी अक्स नजर आएगा।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मप्र में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार बने करीब दो साल होने वाले हैं। ऐसे में प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना बढ़ गई है। वहीं तकरीबन 3 महीने बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने अपनी टीम की घोषणा कर दी है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ही मप्र में मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। संभावना जताई जा रही है कि मप्र के मंत्रिमंडल विस्तार में गुजरात वाला फॉर्मूला लागू किया जा सकता है। गौरतलब है कि गुजरात में सभी 16 मंत्रियों को इस्तीफा दिलवाकर 26 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। जिसमें सीएम सहित केवल 8 मंत्री ही पुराने हैं। यानी 19 नए विधायकों को मंत्री बनाया गया है। सूत्रों का कहना है कि मप्र में भी इसी फॉर्मूले पर मंत्रिमंडल का गठन किया जा सकता है। विधानसभा चुनाव के ठीक दो साल पहले गुजरात में मंत्रिमंडल विस्तार ने आकार लिया है। मुख्यमंत्री को छोडक़र पूरे मंत्रिमंडल का इस्तीफा लिया गया। जिन मंत्रियों की परफॉर्मेंस खराब थी, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वहीं 19 नए चेहरों को मंत्री बना दिया गया है। अब गुजरात की तर्ज पर ही जिस तरह मोदी-शाह टीम ने मध्यपदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्री के नए चेहरे स्थापित किए है, इससे लगता है कि मंत्रिमंडल विस्तार की राह भी परंपरागत तौर से अलग हटकर गुजरात की राह पकड़ सकती है। मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के कयासों का दौर लगातार जारी है। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार का गुजरात मॉडल यदि मध्य प्रदेश की तरफ रुख करता है तो प्रदेश भाजपा सरकार, संगठन और मध्यप्रदेशवासियों के लिए यह एक अच्छा और नया अनुभव हो सकता है।
मंत्रिमंडल विस्तार से पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी सरकार के मंत्री व विधायकों के कामकाज की समीक्षा करेंगे। वह मंत्रियों के साथ वन-टू-वन बैठक करके विभागवार उनके कामकाज की समीक्षा करेंगे। विभागवार मंत्रियों के प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा और इसके आधार पर मंत्रियों के कामकाज की ग्रेडिंग तय होगी। जल्द ही मंत्रियों के साथ बैठक का दौर शुरू करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री जिस तरह से मंत्रियों के कामकाज पर नजर बनाए हुए हैं उससे मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत मिल रहे हैं। पूर्व में मुख्यमंत्री द्वारा अपने मंत्रियों के कामकाज की रिपोर्ट तैयार कराने के बाद इसकी प्रबल संभावना देखी जा रही है। मंत्रिमंडल विस्तार होता है तो क्षेत्रीय संतुलन साधने के हिसाब कुछ पूर्व मंत्रियों को फिर मौका दिया जा सकता है। वर्तमान में मुख्यमंत्री सहित 31 मंत्री हैं। नियम के अनुसार 35 मंत्री हो सकते हैं। भाजपा के कई वरिष्ठ विधायकों और नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करने की मांग लंबे समय से चल रही है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कई विधायकों और नेताओं के नाम चर्चा में हैं। भाजपा के भीतर क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन को ध्यान में रखते हुए नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। यह विस्तार न केवल पार्टी के भीतर गुटबाजी को संतुलित करने का प्रयास है, बल्कि सामाजिक समीकरणों, जैसे ओबीसी, एससी, एसटी, और सामान्य वर्ग के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने की रणनीति भी है। मध्य प्रदेश की 50.09 प्रतिशत आबादी ओबीसी समुदाय से है, और बीजेपी ने पिछले मंत्रिमंडल विस्तार में 28 में से 12 ओबीसी मंत्रियों को शामिल किया था। इस बार भी ओबीसी, एससी, और एसटी समुदायों के नेताओं को प्राथमिकता दी जा सकती है, ताकि सामाजिक समीकरण मजबूत हों। ग्वालियर-चंबल, विंध्य, बुंदेलखंड, और मालवा जैसे क्षेत्रों से भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की कोशिश होगी। मोहन यादव सरकार का यह मंत्रिमंडल विस्तार और नियुक्तियां 2028 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की जा रही हैं। बीजेपी की डबल इंजन सरकार, जिसमें केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी और राज्य में मोहन यादव का नेतृत्व शामिल है, सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश कर रही है।
माननीयों के कामकाज की होगी गे्रडिंग
मध्य प्रदेश के कमिश्नर और कलेक्टरों की भोपाल में दो दिन चली कांफ्रेंस के बाद अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी सरकार के मंत्री व विधायकों के कामकाज की समीक्षा करेंगे। वह मंत्रियों के साथ वन-टू-वन बैठक करके विभागवार उनके कामकाज की समीक्षा करेंगे। विभागवार मंत्रियों के प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा और इसके आधार पर मंत्रियों के कामकाज की ग्रेडिंग तय होगी। जल्द ही मंत्रियों के साथ बैठक का दौर शुरू करने की तैयारी है। यही वजह रही कमिश्नर कलेक्टरों की कांफ्रेंस में किसी भी मंत्री से शामिल नहीं किया गया। गौरतलब है कि मंत्री-विधायकों ने दिसंबर 2023 में सरकार बनने के बाद 20 महीने में क्या काम किए, इसका हिसाब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लेंगे। वह मंत्रियों के साथ वन-टू-वन बैठक करेंगे और विभागवार उनके कामकाज की समीक्षा करेंगे। इसी के आधार पर मंत्रियों के प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। मंत्रिमंडल के अगले विस्तार में इसी के आधार पर मंत्रियों का भविष्य भी तय होगा। डॉ. मोहन यादव द्वारा अक्टूबर में मंत्रियों के साथ बैठकों का दौर शुरू करने की तैयारी है। इसमें मंत्रियों को विभागवार कामकाज की जानकारी प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है। इसी तरह मुख्यमंत्री विधायकों का कामकाज भी देखेंगे। विधायकों को चार साल का रोडमैप बनाने के लिए कहा गया था। उन्होंने अपनी विधायक निधि का जनकल्याण में कितना उपयोग किया, इसकी रिपोर्ट भी तैयार की गई है। यह भी मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। कांफ्रेंस मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के प्रभार वाले जिलों की स्थिति का आकलन किया है। इस आधार पर अब वह मंत्रियों से जानेंगे कि उन्होंने 20 माह में अपने प्रभार के जिलों में क्या-क्या कार्य किए। इसी तरह मुख्यमंत्री डॉ. यादव पार्टी के विधायकों के कामकाज को भी देखेंगे। उल्लेखनीय है कि विधायकों को चार साल का रोडमैप बनाने के लिए कहा गया था। उन्होंने अपने विधायक निधि का जनकल्याण में कितना उपयोग किया, इसकी रिपोर्ट भी तैयार कराई गई है। यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। इधर, मुख्यमंत्री ने पहले ही मंत्रियों के परफारमेंस की एक रिपोर्ट तैयार कराई है, जो केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई थी। सिंहस्थ -2028 से कार्यों से जुड़े से 12 विभागों की मुख्यमंत्री अलग से बैठक लेंगे।
मंत्रियों के साथ वन-टू-वन के के बाद उनकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। मंत्रियों से चर्चा के लिए कई बिंदु बनाए गए हैं। जिसके तहत कितने मंत्रियों ने गांव में रात्रि विश्राम किया और गांव में चौपाल लगाई की जानकारी ली जाएगी। साथ ही प्रभार के जिलों में प्रतिमाह दौरा कर रहे हैं या नहीं। मंत्रियों की अपने प्रभार के जिलों में अधिकारियों के साथ कैसा तालमेल हैं। पार्टी संगठन के कामकाज में सहभागिता कैसी है। केंद्र से मिले अभियानों को सफल बनाने में कितने मंत्रियों का प्रदर्शन अच्छा रहा। कितने मंत्रियों से आमजन व पार्टी कार्यकर्ता संतुष्ट है या नहीं। बता दें, डा. मोहन यादव ने पहले भी मंत्रियों के कार्य प्रदर्शन की एक रिपोर्ट तैयार कराई थी, जो केंद्रीय नेतृत्व को भेजी गई। हाल ही में भोपाल में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को भी यही रिपोर्ट दिखाई गई थी। गांव में रात्रि विश्राम और चौपाल की जानकारी भी ली जाएगी मुख्यमंत्री मंत्रियों से यह भी पूछेंगे कि उन्होंने कितने गांवों में रात्रि विश्राम किया और चौपाल लगाई। प्रभार के जिलों में प्रति माह दौरा कर रहे हैं या नहीं। यह भी देखा जाएगा कि मंत्रियों का अपने प्रभार के जिलों में अधिकारियों के साथ तालमेल कैसा है। पार्टी के दृष्टिकोण से यह भी देखा जाएगा कि संगठन के कामकाज में उनकी सहभागिता कैसी है। केंद्र से मिले अभियानों को सफल बनाने में कितने मंत्रियों का प्रदर्शन अच्छा रहा। इसके अलावा मंत्रियों से आमजन व पार्टी कार्यकर्ता की संतुष्टि के बारे में भी जानकारी लेकर इस पर चर्चा की जाएगी। मुख्यमंत्री जिस तरह से मंत्रियों के कामकाज पर नजर बनाए हुए हैं उससे मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत मिल रहे हैं। पूर्व में मुख्यमंत्री द्वारा अपने मंत्रियों के कामकाज की रिपोर्ट तैयार कराने के बाद इसकी प्रबल संभावना देखी जा रही है। वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव केंद्रीय मंत्रियों से लगातार मुलाकात कर रहे हैं। इन मेल मुलाकात के बाद मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना बढ़ गई। प्रदेश में मोहन यादव सरकार को दो साल का समय होने जा रहा है, लेकिन राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हुई हैं। उधर, मंत्रिमंडल विस्तार का भी नेताओं को इंतजार है। इसमें क्षेत्रीय संतुलन साधने के हिसाब कुछ पूर्व मंत्रियों को फिर मौका दिया जा सकता है। उनके अलावा कांग्रेस से भाजपा में आए छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से विधायक कमलेश शाह भी प्रतीक्षारत हैं। रामनिवास रावत के मंत्रिमंडल से त्याग पत्र देने के बाद मोहन कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित 31 मंत्री हैं। नियम के अनुसार 35 मंत्री हो सकते हैं। मंत्री बनने के लिए पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, ब्रजेंद्र प्रताप सिंह सहित अन्य पूर्व मंत्री सत्ता और संगठन में अपने संपर्कों के माध्यम से प्रयासरत भी हैं। संभावना जताई जा रही है कि रिक्त स्थानों की पूर्ति हो सकती है। कुछ मंत्रियों को खराब प्रदर्शन के आधार पर विश्राम भी दिया जा सकता है। उधर, राजनीतिक नियुक्तियां भी अब की जाएंगी। इसको लेकर संगठन स्तर पर कई बार चर्चा भी हो चुकी है। इसमें कुछ पूर्व विधायकों को समायोजित भी किया जाएगा। अभी इनके पास कोई काम नहीं है।
टीम खंडेलवाल में संघ का दबदबा
तीन महीने से अधिक समय बाद प्रदेश अध्यक्ष हेमत खंडेलवाल की टीम में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का खास ख्याल रखा गया है। वहीं इस टीम को बेहद छोटा करके यह संदेश दिया गया है कि नए अध्यक्ष भीड़ के बजाए काम करने वाले चेहरों पर फोकस करेंगे। नई टीम में संघ से भाजपा में आए या संघ से गहरा नाता रखने वाले नेताओं को खास महत्व मिला है। वहीं कुछ नेताओं की वापसी हुई है तो कुछ को पहले की तरह यथावत रखा गया है। वीडी शर्मा की टीम में 15 प्रदेश उपाध्यक्ष, पांच प्रदेश महामंत्री और 12 प्रदेश मंत्री थे। इस चार इनकी संख्या घटा दी गई है। नई टीम में केवल नी उपाध्यक्ष, चार प्रदेश महामंत्री और नौ प्रदेश मंत्री रखे गए हैं। इसी तरह इस बार सह कोषाध्यक्ष भी किसी को नहीं बनाया गया है। वीडी शर्मा की टीम में कई सांसद और विधायकों को मौका दिया था। सासद और विधायकों को मौका इस बार भी दिया गया है पर इनकी संख्या बेहद कम है। सांसदों में केवल सागर की लोकसभा सांसद लता वानखेड़े और राज्यसभा सदस्य सुमेर सोलंकी को मौका मिला है तो विधायकों में प्रभुराम चौधरी और मनीषा सिंह को स्थान दिया गया है। इसके अलावा बीड़ी शर्मा की टीम में पदाधिकारी रहे अधिकाश नेता अब विधायक सांसद बन गए हैं। इसलिए उन्हें मौका नहीं मिला है। विधायक हरीशंकर खटीक मंत्री पद के दावेदार थे, पर मंत्रिमंडल में जगह न मिल पाने से उन्हें प्रदेश महामंत्री बनाया गया था इस बार उन्हें भी मौका नहीं मिला है। उनकी जगह आदिवासी चेहरे सुमेर सिंह को जगह दी गई है। पिछली बार प्रदेश महामंत्री रहे रणवीर सिंह रावत को इस बार उपाध्यक्ष का पद दिया गया है। रजनीश अग्रवाल को महामंत्री बनाए जाने की चर्चा थी पर वे फिर से मंत्री पद पर यथावत रखे गए हैं। हेमंत खंडेलवाल की नई टीम में संघ से जुड़े जिन नेताओं को मौका दिया गया है उनमें शैलेन्द्र बरुआ, श्याम महाजन, निशांत खरे, श्याम महाजन नंदिता पाठक, सुरेन्द्र शर्मा, जयपाल सिंह चावड़ा प्रमुख है। इनमें श्याम महाजन, शैलेन्द्र बरूआ और जयपाल सिंह पूर्व में संगठन मंत्री रह चुके हैं। श्याम महाजन को प्रदेश कार्यालय मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, आशीष उषा अग्रवाल को उनके बेहतर काम का पुरस्कार मिला है। वे मीडिया प्रभारी के पद पर यथावत रहेंगे। वीडी शर्मा के जमाने में हटाए गए राजेन्द्र सिंह की फिर से वापसी हो गई है। वे प्रदेश मंत्री बनाए गए हैं। राजेन्द्र सिंह को शिवराज सिंह का नजदीकी माना जाता है। वे पिछले लंबे समय प्रदेश कार्यालय की व्यवस्थाएं देखते रहे हैं। छतरपुर की दो बाद नगरपालिका अध्यक्ष रही अर्चना सिंह की प्रदेश मंत्री बनाया गया है। अर्चना 2018 का विधानसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ी भी पर बेहर कम मार्जिन से हार गई थी। पार्टी ने इस बार उनकी जगह फिर से ललिता यादव को टिकट दिया। प्रदेश उपाध्यक्ष बनाई गई नंदिता पाठक भी टिकट की दावेदार थीं। वे संघ की बेहद नजदीकी हैं। उनके पति भरत पाठक भी लंबे समय से संघ और उससे जुड़े अनुशांगिक संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए निशांत खरे भी संघ से जुड़े हैं। इंदौर के निशांत पूर्व में युवा आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं। प्रभूलाल जाटव पिछली कार्यकारिणी में प्रदेश मंत्री थे। इस बार उन्हें प्रमोट करते हुए उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही भाजपा ने अपने छह में से चार मोचों के अध्यक्ष का भी ऐलान कर दिया है। इसमें महिला मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्षों के नए नाम अभी घोषित नहीं किए गए हैं।
यह है नई टीम
प्रदेश उपाध्यक्ष- रणवीर रावत, कांतदेव सिंह, प्रभुराम चौधरी, शैलेन्द्र बरूआ, मनीषा सिंह, डॉक्टर नंदिता पाठक सुरेन्द्र शर्मा, निशांत खरे, प्रभूलाल जाटव । महामंत्री- लता वानखेड़े, सुमेर सोलंकी, राहुल कोठारी, गौरव रणदिवे। प्रदेश मंत्री- रजनीश अग्रवाल, लोकन्द्र पाराशर, जयदीप पटेल, क्षितिज भट्ट, संगीता सोनी, राजेन्द्र सिंह, अर्चना सिंह, राजो मालवीय, बबिता परमार। कोषाध्यक्ष-अखिलेश जैन, कार्यालय मंत्री-श्याम महाजन, प्रदेश मीडिया प्रभारी-आशीष ऊषा अग्रवाल
कार्यकारिणी के साथ चार मोर्चे भी घोषित
कार्यकारिणी के साथ प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने चार मोर्चे के अध्यक्ष भी घोषित कर दिए हैं। किसान मोर्चे का अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा को बनाया गया है। जबकि एससी मोर्चे की जिममेदारी भगवान सिंह परमार के पास है। एसटी मोर्चे पर पंकज टेकाम हैं और पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष पवन पाटीदार हैं।
जिलाध्यक्षों की कसावट शुरु
मप्र में विधानसभा चुनाव में 3 साल का समय बाकी है, लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने अभी से पार्टी के पिलर कहे जाने वाले जिलाध्यक्षों की कसावट शुरु कर दी है। 4 महीने के भीतर दूसरा मौका है, जब पार्टी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने जिलाध्यक्षों को आइना दिखाया और पार्टी लाइन याद दिला दी। इशारों में नहीं सीधे-सीधे किसके लिए कहा कि काम तो ये चार पांच लोग ही करते हैं, बाकी कागजों में ही रह जाते हैं। प्रदेश अध्यक्ष की खरी-खरी से जिलाध्यक्षों में हडकंप मचा हुआ है। वहीं भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि जिला पदाधिकारियों की मासिक रिपोर्ट बनाई जाए, ताकि सक्रियता बनी रहे। दरअसल, भाजपा में जिला पदाधिकारी पार्टी की कार्यप्रणाली का सही से निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए खंडेलवाल को कहना पड़ा कि कार्यकर्ता अपने हिसाब का ना चुनें। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने पार्टी के जिलाध्यक्षों को नसीहत देते हुए कहा कि वे अपनी टीम को भी काम करने का मौका दें। जिन जिलों ने अभी तक अपनी कार्यकारिणी घोषित नहीं की है, उनको लेकर खंडेलवाल ने कहा कि पार्टी संगठन में उन्हीं कार्यकर्ताओं को स्थान दिया जाए जो जमीन पर सक्रिय हैं, केवल चेहरा दिखाने वाले लोग संगठन में नहीं चाहिए। इस दौरान उन्होंने जिलाध्यक्षों के कामकाज पर भी चर्चा की। खण्डेलवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसा न हो कि जिले की टीम में केवल पांच-सात लोग ही कार्य कर रहे हों। पूरी टीम को सक्रिय रहना होगा, तभी संगठन मजबूत होगा और पार्टी को विजय मिलेगी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि टीम ऐसी बनाइए कि कार्यक्रम प्रभावशाली बने। उन्होंने खरे लहजे में कहा कि कार्यकर्ताओं की टीम ऐसी ना तैयार करें कि सारा काम खुद करना पड़े। हमारे लिए ठीक है ये सोचकर कार्यकर्ता का चुनाव ना करें। ये देखें कि वो संगठन के लिए ठीक है कि नहीं। उन्होंने जिलाध्यक्षों को हिदायत देते हुए कहा कि कई बार अपने व्यक्तिगत आग्रह को छोड़ देना चाहिए। संगठन तभी मजबूत होगा जब आपका हर कार्यकर्ता सक्षम रहेगा। हेमंत खंडेलवाल ने रेखांकित करते हुए कहा कि हमारे सांसद और विधायक वरिष्ठ नेता जो हैं। उनका सम्मान रहे इस बात का ध्यान रखना है। कैसे आपकी टीम प्रभावशाली हो। किस तरह से बेहतर ढंग से काम करें, इस पर आपका फोकस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विचारधारा को मजबूत करना है। अपनी टीम से आप बात कीजिए हम तो आपसे नीतिगत ही बात करेंगे। सभा क्षेत्र और सभी समाजों का समावेश आपकी टीम में हो इसका ध्यान रखना है। पार्टी के कार्यक्रम में कोई दिक्कत ना हो ये विशेष ध्यान रखना है। हेमंत खंडेलवाल ने बताया कि मन की बात कार्यक्रम को जो बूथों पर सुने जाने का क्रम था। उसमें धीरे धीरे 77 प्रतिशत से अब अस्सी फीसदी बूथों पर मन की बात सुना गया। यूपी के साथ मध्य प्रदेश देश में सबसे आगे हैं। उन्होंने जिलाध्यक्षों से कहा कि आप सबसे एक ही आग्रह है कि पार्टी के काम को सबसे आगे रखिए। कैबिनेट के निर्णय नीचे तक जनता के बीच पहुंचे, इसका प्रयास आपको विशेष रुप से करना है। हेमंत खंडेलवाल ने बता दिया कि कार्यक्रम से लेकर तीन साल बाद होने वाले चुनाव में कौन सा जिलाध्यक्ष पार्टी संगठन की रफ्तार से कदमताल कर पाएगा। यूनिटी मार्च पर बोलते हुए खंडेलवाल ने सभागार में मौजूद सभी जिलाध्यक्षों को आइना दिखाया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम प्रभावशाली होना चाहिए, क्योंकि होता ये है कि चार से पांच लोग काम करते हैं। बाकी पेपर में रह जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीम जो बनाएं, आप उसमें सभी समाजों का समावेस होना चाहिए। खंडेलवाल ने इशारों में ये बात भी कह दी कि जो टीम मजबूत होगी, वही चुनाव में सामना कर पाएगी। भाजपा मध्य प्रदेश में अभी भले शांति काल हो, लेकिन खंडेलवाल ने आगामी निकाय फिर पंचायत और फिर विधानसभा चुनाव तक जिलाध्यक्षों को अलर्ट कर दिया है, जो टीम मजबूत होगी, वही चुनाव में सामना कर पाएगी। इस एक लाइन के बयान के भी कई मायने हैं। सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि खंडेलवाल की राइट च्वाइस क्या होगी। टीम वीडी के करीब 16 पदाधिकारियों की भूमिका बदल चुकी है। हांलाकि वीडी शर्मा ने जब 2000 में प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अपनी टीम बनाई थी। तब चुनाव में तीन साल का समय था। इनमें आठ विधायक और आठ सांसद बन चुके हैं। ये तय है कि वे संगठन के पद से हटाए जाएंगे। वीडी शर्मा ने नए चेहरों पर दांव लगाया था। और ऐसा माना जा रहा है कि खंडेलवाल पुराने हाशिए पर खड़े नेताओं को फिर स्ट्रीम लाईन कर सकते हैं। चूंकि अभी मध्य प्रदेश में चुनाव दूर हैं, खंडेलवाल के लिए संगठन की मजबूती के साथ सत्ता के रहते हुए पार्टी के अनुशासन को बरकरार रखना है। भाजपा में मध्य प्रदेश के संगठन को आदर्श कहा जाता है। इसलिए चुनौती ये भी है कि पार्टी के जो कार्यक्रम हैं उनमें संगठन अग्रणी रहे।

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