प्लेटफार्म पर अंडे बेंचने वाला कैसे बन गया स्टार…..हर पोस्टर में उनका फोटो होता था सफलता की गारंटी….

महमूद अली

मुंबई/बिच्छू डॉट कॉम। कहते हैं आदमी की किस्मत बहुत मायने रखती है…… अगर आप किस्मत के धनी हैं तो रातों रात आप शोहरत और दौलत का अंबार लगा सकते हैं… कुछ ऐसा ही हुआ था कॉमेडी किंग महमूद के साथ…. रेलवे प्लेटफार्म पर अंडे बेंचने वाला यह शख्स अचानक ही फिल्मों का शहंशाह बन बैठा…. शहंशाह भी ऐसी कि हीरो से ज्यादा पेमेंट मिलता था और हर पोस्टर पर उनकी फोटो यानी फिल्म सफल होने की गारंटी मानी जाती थी। बॉलीवुड के इस लीजेंड से जुड़ी कुछ रोचक बातें आपको आज बताने जा रहे हैं हम। हिन्दी सिनेमा में जब भी कॉमेडी की बात होगी तो कॉमेडी के बादशाह महमूद अली का नाम जरूर लिया जाएगा, वो एक ऐसे अभिनेता थे जिनका फिल्म में होना जरूरी माना जाता था गोल्डन एरा में वो एक ऐसे अभिनेता थे जिनके बिना फिल्म अधूरी मानी जाती थी. उनकी कॉमेडी लोगों के हंसा-हंसा कर पेट में दर्द कर देती थी. वो एक ऐसे अभिनेता थे जो कॉमेडियन होने के बावजूद अभिनेता से ज्यादा फीस लिया करते थे. लेकिन उनकी जिन्दगी में एक वक्त ऐसा भी था जब वो मुंबई की लोकल ट्रेन में टॉफियां बेचा करते थे. आज भले ही वो हमारे बीच में न हो लेकिन फिल्मी दुनिया में दिए गए उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. महमूद ने हिन्दी सिनेमा की 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. लेकिन इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्हें काफी संघर्ष से गुजरना पड़ा. आर्थिक तंगी की वजह से महमूद ने बहुत छोटी सी उम्र से काम करना शुरू कर दिया. शुरुआती दिनों में वो मलाड से विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेन में टॉफियां बेचते थे. इसके बाद उन्होंने घर-घर अखबार से लेकर अंडे तक बेचे. महमूद के पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम किया करते थे. पिता की सिफारिश पर महमूद को बतौर बाल कलाकार फिल्म किस्मत में काम करने का मौका मिला. लेकिन उनकी किस्मत बदली फिल्म नादान से. कहा जाता है कि इस फिल्म में मधुबाला के सामने एक जूनियर एक्टर दस बार रिटेक के बावजूद अपनी डॉयलॉग नहीं बोल पाया, लेकिन जब महमूद की बारी आई तो उन्होंने एक बार में ही पूरा डायलॉग बोलकर सबको हैरान कर दिया. इस फिल्म में उन्हें 300 रुपए दिए गए. इसके बाद तो महमूद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, महमूद इतने बड़े स्टार बन गए थे कि उनकी फोटो पोस्टर पर होना जरूरी होता था, लोग उनकी एन्ट्री पर तालियां बजाया करते थे. बॉम्बे टू गोवा, आंखे, लव इन टोक्यो, पड़ोसन उनकी फिल्मों लंबी फेहरिस्त हैं. उनके जितने अवॉर्ड शायद ही किसी अभिनेता को मिले हों. महमूद को 25 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया जिसमें उन्होंने 19 बार बेस्ट कॉमिक रोल का अवॉर्ड हासिल किया जबकि 6 बार उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिला।

Related Articles