पुलिस में प्रतिनियुक्ति और निकायों में संविदा नियुक्ति में नहीं चलेगी मनमानी

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भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार द्वारा पुलिस कर्मचारियों व अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति और नगरीय निकायों में संविदा नियुक्ति में की जाने वाली मनमानी पर रोक लगाने के लिए नए कदम उठाए गए हैं। इसके लिए इन दोनों ही मामलों को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा नए नियम बनाकर उन्हें लागू कर दिया गया है। सरकार द्वारा किए गए इन बदलावों को सुशासन से जोड़कर देखा जा रहा है। पुलिस विभाग में आरक्षक से लेकर निरीक्षकों तक की प्रतिनियुक्ति के लिए लागू किए गए नए नियमों के तहत अब उन्हें तीन साल से ज्यादा प्रतिनियुक्ति नहीं दी जाएगी। विशेष प्रकरणों में एक साल और फिर जरूरी होने पर एक साल की प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाई जा सकती है। इस तरह वर्ष 2014 के प्रतिनियुक्ति परिपत्र को निरस्त कर नए प्रतिनियुक्ति नियम लागू किए गए हैं।
जारी आदेश के तहत पुलिस विभाग में आरक्षक से लेकर निरीक्षक स्तर के कर्मचारी-अधिकारियों की पुलिस मुख्यालय के अंतर्गत आने वाली विभिन्न शाखाओं जैसे अजाक, विशेष शाखा, एससीआरबी, सायबर सेल, सीआईडी, हॉक फोर्स, एटीएस, एसटीएफ, नारकोटिक्स, प्रशिक्षण संस्थान, ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त में आंतरिक प्रतिनियुक्ति के साल 2013 के आदेश को निरस्त करते हुए इस साल फरवरी में जारी नए परिपत्र के आधार पर भी प्रतिनियुक्ति आदेश जारी किए जा रहे हैं। पुलिस इकाइयों में आरक्षक से लेकर निरीक्षकों को आंतरिक प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक अधिकारी-कर्मचारी द्वारा अपनी शाखा इकाई प्रमुख के माध्यम से अनुशंसा सहित आवेदन-पत्र पुलिस मुख्यालय के परिपत्र-2020 में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रशासन शाखा में भेजे जाएंगे। इसके बाद प्रशासन शाखा से संबंधित इकाई प्रमुख से अभिमत प्राप्त करने के पश्चात परीक्षण उपरांत प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापना आदेश जारी किया जाएगा। आरक्षक एवं सीधी भर्ती के उप निरीक्षक आधारभूत प्रशिक्षण प्राप्त करने और परिवीक्षा अवधि पूर्ण करने के उपरांत न्यूनतम 5 साल अथवा 3 साल की सेवा पूर्ण करने के लिए ही आंतरिक प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाएंगे। उन्हीं अधिकारी तथा कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाएगा, जिनके खिलाफ कोई आपराधिक प्रकरण या विभागीय जांच नहीं चल रही हो। प्रतिनियुक्ति प्रथम तीन साल के लिए दी जाएगी। दोनों इकाइयों के माध्यम से प्रतिनियुक्ति एक साल बढ़ाई जा सकती है।
विशेष कारणों से प्रतिनियुक्ति की समयावधि एक साल और बढ़ाई जा सकती है। खास बात यह है कि प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के दो माह के अंदर संबंधित को मूल इकाई में आमद देनी होगी। यही नहीं एक बार प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी होने के तीन साल तक वे फिर से प्रतिनियुक्ति पर नहीं जा सकेंगे। इसके साथ ही संबंधित कर्मचारी या अधिकारी जिस भी शाखा में जब भी प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाएगा, वहां उसका संविलियन नहीं किया जा सकेगा। इसके साथ ही प्रतिनियुक्ति पर गए पुलिस कर्मचारियों के प्रकरण में पदोन्नति, वरिष्ठता, समयमान वेतनमान आदि के निर्धारण की कार्यवाही उसी मूल इकाई द्वारा की जाएगी, जहां वे प्रतिनियुक्ति पर गए थे।
नगरीय निकाय नहीं कर सकेंगे अब खुद संविदा कर्मचारी की नियुक्ति
लगातार घाटे में चल रहे प्रदेश में नगरीय निकायों में रसूखदार लोगों के दबाव में संविदा पदों पर भर्ती कर उन्हें उपकृत करने का खेल लंबे समय से जारी है। इसके चलते निकायों पर न केवल लगातार आर्थिक बोझ बल्कि गड़बड़ी की शिकायतें भी बढ़ती ही जा रही हैं। इसके चलते अब सरकार ने मप्र नगर पालिका संविदा अनुबंध तथा सेवा की शर्तें सेवा नियम-2021 को लागू कर दिया है। इसके तहत अब निकायों में संविदा भर्ती के लिए राज्य सरकार द्वारा चयनित कंपनी को यह काम देने का निर्णय किया गया है। हाल ही में मप्र नगर पालिका संविदा अनुबंध तथा सेवा की शर्तें सेवा नियम-2021 की अधिसूचना जारी कर इसे प्रभावशील कर दिया गया है। संविदा पदों का निर्धारण करने की जिम्मेदारी संबंधित निकायों की होगी। वे राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत कार्मिक संरचना के हिसाब से पदों का निर्धारण कर सकेंगे। संबंधित चयन एजेंसी घोषित पदों के लिए संविदा आधार पर नियुक्ति के लिए जवाबदेह होगी। यदि संविदा विशेषज्ञ के निर्धारित पदों के अतिरिक्त भी नियुक्ति दी जानी होगी, तो इसके लिए आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास से अनुमति लेना जरुरी होगा। आयुक्त से अनुमति के बाद ही अतिरिक्त पदों पर संविदा नियुक्ति की जा सकेगी। इसमें किए गए प्रावधानों के तहत संबंधित नगरीय निकाय के लिए स्वीकृत आदर्श कार्मिक संरचना में उल्लेखित ऐसे नियमित पदों पर, जो कि पिछले 6 माह से अधिक समय से रिक्त पड़े हों, उक्त पद आयु को छोड़कर अन्य अर्हता पूरा करने पर राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रमों से सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को भी संविदा नियुक्ति दी जा सकेगी।
यह भी किया गया प्रावधान
नगरीय निकाय में संविदा के रिक्त पदों को भरने के लिए संबंधित निकायों की चयन समिति अनुशंसा करेगी। इन रिक्त पदों पर राज्य सरकार या सार्वजनिक उपक्रम से सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारी को भी नियुक्ति दी जा सकेगी, इसके लिए चयन प्रक्रिया जरूरी नहीं होगी, लेकिन यदि पदों की तुलना में अधिक आवेदक होंगे, तो इसके लिए साक्षात्कार लिया जाएगा।  सेवानिवृत्तों को निकायों में संविदा नियुक्ति तभी दी जा सकेगी जब उनकी बीते पांच वर्ष की सीआर एक्सीलेंट हो और विभागीय जांच या अभियोजन भी लंबित नहीं हो।
नियुक्ति से पहले यह देना होगी जानकारी
संविदा नियुक्ति के मामलों में पहले नगरीय निकायों को औचित्य साबित करने के साथ ही तीन वर्ष का आॅडिट और आय-व्यय का ब्यौरा देना होगा। नगर निगम के मामले में यह जानकारी आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास को दी जाएगी, जबकि नगर पालिका और नगर परिषद के मामले में संभागीय संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन को दी जाएगी। संविदा नियुक्ति वे निकाय ही कर सकेंगे जिन निकायों का स्थापना का खर्च 65 फीसदी से अधिक नहीं होगा। इसी तरह यदि बाद में स्वीकृत रिक्त संविदा पदों पर नियमित भर्ती की जाती है तो ऐसी स्थिति में संविदा की अवधि को एक वर्ष से अधिक नहीं रखा जा सकेगा।

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