
- विनोद उपाध्याय
साइकिल से निगरानी
कभी-कभी कोई अफसर ऐसा काम कर जाता है कि रातों-रात वह सुर्खियों में छा जाता है। ऐसे ही एक आईएएस अधिकारी इनदिनों चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। ये साहब 2016 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। करीब 10 माह पहले साहब को महाकौशल क्षेत्र के एक बड़े जिले की नगर निगम का आयुक्त बनाया गया है। लेकिन साहब ने विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद अचानक चर्चा में आ गए हैं। दरअसल, आचार संहिता का पालन कराने दिए गए निर्देशों के तहत शहर से बैनर, पोस्टर निकले या नहीं ये देखने निगमायुक्त साइकिल पर निकले। साहब की साइकिल की सवारी करते हुए आचार संहिता के निर्देशों का पालन करवाता हुआ वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे भरपूर सराहना मिल रही है।
यूट्यूबर बने साहब
भारतीय प्रशासनिक सेवा से रिटायरमेंट में बाद राजनीति में नई पारी खेलने की चाह रखने वाले 2009 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी अब यूट्यूबर बन गए हैं। महाकौशल के एक बड़े जिले से विधानसभा चुनाव लडऩे की मंशा से साहब ने विगत माह भाजपा का दामन थाम लिया। इसी दौरान उनके खिलाफ लोकायुक्त में दर्ज मामला चर्चा में आ गया है। साहब पर नरसिंहपुर में कलेक्टर रहने के दौरान पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगा है। उनके खिलाफ 2022 में लोकायुक्त में मामला दर्ज कराया गया था, जिसको लेकर जांच की जा रही है। ऐसे में साहब की चुनाव लडऩे की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है। फिर क्या था चर्चा में रहने और कुछ नया करने के लिए साहब यूट्यूबर बन गए हैं। साहब के पोडकास्ट को भरपूर सराहना भी मिल रही है।
न चिट्ठी.. न संदेश
इस चुनावी साल में कई नौकरशाह सियासी पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि राजनीतिक पार्टियों ने फिलहाल किसी अफसर पर दांव लगाने का संकेत नहीं दिया है। फिर भी कुछ अफसरों को आस है कि उन्हें बुलावा आ सकता है। इसी आस में 2003 बैच के एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी ने वीआरएस का आवेदन कर नौकरी छोड़ दी। यही नहीं उनका वीआरएस मंजूर भी कर लिया गया है। साहब ने अपने गृह क्षेत्र से चुनाव लड़ने की मंशा भी जाहिर कर दिया है। लेकिन अभी तक उनके पास किसी भी पार्टी की न तो चिट्टी पहुंची है और न ही संदेश। यहां बता दें कि साहब प्रदेश के एक जातिवादी संगठन के संरक्षक भी हैं। यह संगठन पिछले चुनाव में कुछ सीटों पर भाग्य आजमा चुका है।
आईएएस दंपत्ति के बीच दरार
प्रदेश में इन दिनों एक आईएएस दंपत्ति के वैवाहिक जीवन में आई खटास की हर तरफ चर्चा हो रही है। बताया जाता है कि दंपत्ति ने अपनी-अपनी रसोई अलग कर ली है। केवल रसोई ही अलग हुई है या ये भी अलग हो गए हैं, यह अभी खोज का विषय बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि इस दंपत्ति में पति सात्विक और सरल स्वभाव वाले व्यक्ति हैं। वे उसी वर्ग से आते भी हैं। जबकि मैडम तेज तर्रार प्रवृत्ति की हैं। इनमें से मैडम सीनियर हैं, तो साहब उनसे जूनियर हैं। दोनों का प्रेम विवाह हुआ था। इस कारण लोगों का यह भी मानना है कि इनके बीच खटास की एक बड़ी वजह वरिष्ठता भी हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि अपनी जाति के हिसाब से साहब हमेशा सौम्य रहते हैं, जबकि मैडम कडक़ मिजाज की हैं।
जिला प्रशासन का चहेता रेत ठेकेदार
महाकौशल के एक जिले में इन दिनों एक रेत ठेकेदार की तूती बोल रही है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस ठेकदार के हाथ में पूरा जिला प्रशासन है। यानी जिले में जो कुछ भी काम कराना है ठेकेदार साहब आसानी से करा देते हैं। बस उनकी मांग के अनुसार आपको रकम देनी होगी। ठेकेदार के इस रसूख की पड़ताल की गई तो पता चला कि वे जिले के कलेक्टर और एसपी की आंख का तारा हैं। यानी वे दोनों अफसरों के लिए काम करते हैं। आलम यह है कि जब भी किसी का उल्टा-सीधा काम फंसता है, वह ठेकेदार साहब को पकड़ लेता है। ठेकेदार भले ही रेत का कारोबार करते हैं लेकिन उनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि वे हर उल्टे और गलत काम को सीधे तरीके से करा देते हैं। बताया जाता है कि जिले के कलेक्टर और एसपी साहब जब भी ठेकेदार को देखते हैं उनकी बांछे खिल उठती हैं। वजह भी साफ है। ठेकदार उनके लिए लक्ष्मी का भरपूर जुगाड़ करते रहते हैं।