
– प्रणव बजाज
कोरोना पीड़ितों के इलाज को लेकर श्रीमंत समर्थक आमने-सामने
कोरोना पीड़ितों को इलाज में आ रही परेशानी को लेकर ग्वालियर के एक पूर्व विधायक और मंत्री आमने-सामने आ गए हैं। खास बात है कि पूर्व विधायक और मंत्री दोनों ही सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। दरअसल कोरोना महामारी में इलाज के लिए भटक रहे लोगों के लिए ग्वालियर के पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर तल्ख लहजे में पत्र लिखकर कहा कि मंत्री जी यह समय सड़कों को सैनिटाइज करने का नहीं, यह काम तो नगर निगम का है उनको ही सौंप दें। यह समय कोरोना मरीजों की जान बचाने का है। कोरोना पीड़ितों को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने की व्यवस्था कीजिए। गोयल ने मंत्री तोमर की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल भी खड़े किए हैं। इसके पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष देवेश शर्मा भी मंत्री तोमर पर पीड़ितों को समय नहीं देने का आरोप लगा चुके हैं।
कोरोना से बचने वनवासी कल्याण परिषद ने चलाया अभियान
वनवासी कल्याण परिषद मध्य भारत के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण उत्पन्न संकट की स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता एवं सहायता अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान प्रदेश के 23 जिलों के करीब सात सौ से अधिक गांवों में शुरू किया गया है। अभियान के तहत ग्रामीण लोगों को कोरोना वायरस बीमारी से जागरूक करने के अलावा मास्क, मेडिकल किट सहित अन्य जरूरी सामग्री का वितरण भी किया जा रहा है। वनवासी कल्याण परिषद के कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर एक तरफ जहां लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण से बचने और उपचार में सहायक उपकरण भी बांट रहे हैं।
कानून व्यवस्था बनाए रखने कई कलेक्टरों ने मांगे होमगार्ड्स
प्रदेश में कोरोना के बढ़ते प्रभाव से इस समय कलेक्टरों के सामने कई चुनौतियां हैं। इनमें कानून और व्यवस्था बनाए रखना भी एक है। ऐसे में हर जिले में सुरक्षा बिल की डिमांड बढ़ गई है। प्रदेश में पुलिस बल की कमी के चलते कई जिलों के कलेक्टर दो माह के लिए घर बैठाए जा रहे होमगार्ड सैनिकों की मांग कर रहे हैं। वहीं गृह विभाग कलेक्टर्स को नियमों का तकाजा दे रहा है। दरअसल शासन के नियम है कि होमगार्ड सैनिकों को दो साल में दो माह के लिए कॉल ऑफ किया जाएगा। इस दौरान उन्हें कोई मानदेय आदि नहीं दिया जाएगा। इससे सैनिकों के सामने गंभीर आर्थिक संकट बन गया है। गृह विभाग के अपर प्रमुख सचिव राजेश राजौरा के मुताबिक कुछ जिलों के कलेक्टरों ने पत्र लिखते हुए होमगार्ड्स का बाध्य कॉल ऑफ स्थगित करने की स्वीकृति मांगी है लेकिन होमगार्ड के नियम-29 में प्रावधान है कि हर साल सैनिकों को दो माह के लिए बाध्य काल ऑफ किया जाना है।
सहकारी संस्थाओं के चुनाव साल के अंत तक के हो सकते हैं
प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के चुनाव फिलहाल कोरोना संक्रमण के कारण टल गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अब नए प्रावधानों के तहत साल के अंत तक यानी नवंबर-दिसंबर में सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराए जा सकते हैं। इसके लिए कोरोना की स्थिति से निपटने के बाद मतदाता सूची तैयार कराई जाएगी। खास बात यह है कि इस बार सांसद और विधायकों को भी चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। यही नहीं वे शीर्ष सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष भी बन सकते हैं। इसके लिए सहकारिता विभाग सरकारी अधिनियम में संशोधन कर चुका है। गौरतलब है कि प्रदेश में तीन साल से सहकारी संस्थाओं के चुनाव नहीं हुए हैं। विधानसभा चुनाव 2018 को मद्देनजर रखते हुए सहकारी संस्थाओं के चुनाव टाल दिए गए थे। फिर कांग्रेस की सरकार बनी तो भाजपा समर्थित पदाधिकारियों को हटाकर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े नेताओं को प्रशासक बना दिया गया लेकिन चुनाव नहीं कराए। बाद में जब फिर भाजपा की सरकार बनी तो सबसे पहले उसने कांग्रेस कार्यकाल में हुई नियुक्तियों को निरस्त करके अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त कर दिया था।