बिहाइंड द कर्टन/साइबर फ्रॉड करने वाले ने बनाई सुहास भगत की फर्जी आईडी

  • प्रणव बजाज
सुहास भगत

साइबर फ्रॉड करने वाले ने बनाई सुहास भगत की फर्जी आईडी
आधुनिकता और टेक्नोलॉजी के दौर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने जहां हमें कई तरह सहूलियतें दी हैं, वहीं इस प्लेटफॉर्म पर साइबर क्राइम भी लगातार बढ़ रहा है। फर्जी तरीके से किसी की भी आईडी बनाकर पैसे मांगने और खाते में रकम जमा करवाने का खेल चल रहा है। हाल ही में मध्य प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री सुहास भगत के सोशल मीडिया आईडी को भी कापी कर साइबर फ्रॉड करने वाले आरोपी ने फर्जी कॉपी बना ली। यही नहीं इस आरोपी ने फर्जी आईडी से भाजपा कार्यकर्ताओं से पैसे मांगना शुरू कर दिया। हालांकि मामला सामने आने पर संगठन महामंत्री एवं संगठन के प्रवक्ता पदाधिकारियों ने लोगों से फर्जी आईडी से सतर्क रहने की अपील की है। साथ ही इस मामले की शिकायत साइबर पुलिस से की गई है। दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है। बता दें कि इससे पहले भी कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों सहित मंत्री और विधायकों की फर्जी सोशल मीडिया आईडी बनाकर आरोपियों ने जान पहचान वालों से पैसे मांगने का प्रयास किया था। ऐसे कई मामलों में लोगों ने धोखे से फर्जी तरीके से पैसा मांगने वाले आरोपी के खाते में हर कंपनी जमा करा दी थी।

ऑडिट आपत्ति के बाद नपा अध्यक्ष व सीएमओ से होगी वसूली
स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत हिमाचल सरकार ने वर्ष 2018-19 में स्वच्छता प्रशिक्षण पर मॉडल प्रस्तुत किया था।  इस स्वच्छता अभियान प्रशिक्षण के तहत मनासा नगर परिषद के कर्मचारियों व तत्कालीन अध्यक्ष पार्षदों का दल शिमला व गोवा की यात्रा पर गया था। इस यात्रा के बिल में ऑडिट आपत्ति आने के बाद तत्कालीन सीएमओ व नगरपालिका अध्यक्ष से लगभग सात लाख रुपए की वसूली के आदेश दिए गए हैं। बताया गया है कि इस यात्रा में कुछ पार्षद नहीं गई थी। उनके स्थान पर यात्रा में चार तत्कालीन पार्षद पति शामिल हुए थे। इस कारण परिषद के ऑडिट में आपत्ति आ गई। दरअसल इसे यात्रा अनुमति नियमों के विपरीत माना गया और गोवा यात्रा के तीन लाख 74 हजार 343 रुपए और शिमला यात्रा के दो लाख 93 हजार 607 रुपए तत्कालीन सीएमओ अमर सिंह एवं अध्यक्ष यशवंत सोनी से वसूली के आदेश दिए गए हैं।

भाजपा के दो विधायकों ने खोला लेडी सिंघम के खिलाफ मोर्चा
ग्वालियर चंबल क्षेत्र में रेत के अवैध कारोबार को लेकर सियासत चरम पर है। यहां दो भाजपा विधायकों ने लेडी सिंघम यानी एसडीओ श्रद्धा पांढरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधायक कमलेश जाटव और विधायक सूबेदार सिंह रजौधा ने मुखर होते हुए वन विभाग के अफसरों पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए हैं। रजौधा ने मुरैना एसडीओ श्रद्धा पांढरे और डीएफओ अनिल निकम को लेकर कहा कि एसडीओ कोई झांसी की रानी नहीं है। वह डीएफओ के साथ मिलकर भ्रष्टाचार कर रही हैं। विधायक ने एसडीओ की रेत को लेकर लगातार कार्रवाई के तरीके को गलत बताया है। वहीं, एसडीओ श्रद्धा पांढरे का कहना है कि यदि मेरे खिलाफ विधायक के पास भ्रष्टाचार के प्रमाण हैं, तो वह प्रस्तुत करें। आरोप कोई भी लगा सकता है। बिना प्रमाण के आरोप का अर्थ नहीं है। पूर्व मंत्री एंदल सिंह कंषाना ने सुबेदार के बयान का समर्थन किया है। जबकि सबलगढ़ से कांग्रेस विधायक बैजनाथ कुशवाहा का कहना है कि विधायक रजौधा खुद वसूली करते हैं। श्रद्धा पांढरे ईमानदार अफसर आई हैं। सारे बेईमान सब उसके पीछे पड़े हैं।

उपचुनाव वाले क्षेत्रों में तीन साल से अधिक  समय से जमे कर्मचारी हटाए जाएंगे
प्रदेश की एक लोकसभा और तीन विधानसभा की रिक्त हुई सीटों के लिए चुनाव आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी है। इसके तहत तीन साल से अधिक समय से पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी हटाए जाएंगे। इस आशय के निर्देश हाल ही में मध्य प्रदेश मुख्य निर्वाचन कार्यालय से खंडवा लोकसभा और पृथ्वीपुर, रैगांव और जोबट विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए खंडवा, देवास, बुरहानपुर, खरगोन, निवाड़ी, अलीराजपुर और सतना के कलेक्टरों को पत्र देकर दिए गए हैं। जिसमें कहा गया है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा रिक्त सीटों पर उप चुनाव की घोषणा जल्द की जाएगी। इसलिए जिले में पिछले तीन साल से अधिक समय से पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों को हटाया जाए। बता दें कि खंडवा सीट सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन से खाली हुई है। वहीं जुगल किशोर बागरी के निधन से रैगांव, बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन से पृथ्वीपुर और कलावती भूरिया के निधन से जोबट विधानसभा रिक्त हुई है।

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