हमारी सोच के फ्रेम का अतिक्रमण करने में सफल शिवराज

  • अवधेश बजाज कहिन

शिवराज सिंह चौहान का एक तिलिस्म अभेद्य-सा हो गया है। वह सकारात्मक रूप से चौंका देने के मामले में भी चक्रवृद्धि दर वाली फितरत रखते हैं। यानी आपको पता होता है कि  चौहान कुछ नया करने जा रहे हैं। क्या करने जा रहे हैं, यह भी काफी हद तक ज्ञात रहता है। फिर जब वह वैसा कर देते हैं तो समझ आता है कि हमारी सोच के फ्रेम का उन्होंने अतिक्रमण कर दिया है। इंदौर में संपन्न ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए एक बार फिर मुख्यमंत्री ने ऐसा ही किया है। सब जानते थे कि इसमें 84 देशों के प्रतिनिधि आने वाले हैं। अडानी से लेकर रिलायंस सहित अन्य दिग्गज समूहों ने भाग लेने की सहमति दे दी है। इससे राज्य में भारी निवेश की सूरत बनने की उम्मीद भी सब को पहले से ही थी। फिर भी समिट के पूरा होते-होते जो तस्वीर उभरी, उससे शिवराज ने एक बार फिर सबका चौंका दिया। साढ़े पंद्रह लाख करोड़ से अधिक के निवेश और 29 लाख से अधिक नए रोजगार के पुख्ता संकेत तो शायद कल्पना में ही थे, जो अब साकार होते दिख रहे हैं।

इस समिट की बारहखड़ी को गौर से देखिए। आप को आरंभ से लेकर अंत तक हरेक शब्द पर शिवराज दिखेंगे। वह भी किसी कुशल श्रम विभाजक की तरह। अर्थशास्त्र के इस सिद्धांत में श्रम विभाजन का महत्व बताया गया है। जिसमें एक ही काम को पूरा करने के लिए उसके अलग-अलग हिस्से अलग-अलग लोगों को दे दिए जाते हैं। सिद्धांत के रूप में देखें तो ऐसा हो सकता था कि अफसरान या मंत्रियों के समूह बनाकर उनके बीच काम विभाजित कर दिया जाता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। औद्योगिक समूहों को आमंत्रित करने से लेकर उनके बीच राज्य के विकास की जानकारी देने तक का काम शिवराज ने खुद ही किया। इसे ‘वन मैन शो’ जैसा अहं नहीं कहा जा सकता। क्योंकि इसका अहम पक्ष यह रहा कि समिट के अंतिम दिन चौहान ने जब यह कहा कि निवेशकों का एक भी पैसा व्यर्थ जाने नहीं दिया जाएगा, तब उन्होंने ‘मेरी टीम’ शब्द का प्रयोग किया। यानी अपनी सारी सफलता को शिवराज ने इस बात से जोड़ दिया कि अंतत: यह टीम वर्क है और आगे भी इसी स्वरूप में समिट के आउट कम को मजबूती प्रदान की जाएगी। बहुत बारीकी की बजाय और आंखों को अधिक सिकोड़ने की मेहनत के बगैर भी एक बात साफ देखी जा सकती है। वह यह कि इस आयोजन की विराट दिख रही सफलता के लिए शिवराज ने फूंक-फूंककर कदम रखे। राज्य के प्रवेश द्वारों से लेकर राजधानी तक की धरा से वह मिट्टी फूंक कर हटाई, जो यहां किसी समय संसाधनों के अभाव और बिजली सहित मूलभूत सुविधाओं की कमी वाला निराशाजनक चित्र प्रस्तुत करती थी। निश्चित ही मंत्रिमंडल के सदस्यों के अपने-अपने स्तर पर किए गए प्रयास भी इसमें बहुत सहायक सिद्ध हुए। अफसरों के काम का भी इसमें बड़ा योगदान रहा। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि मध्यप्रदेश अजब और गजब होने के साथ ही सजग भी है। जिस समय इंदौर में आये निवेशक अपने संसाधनों का मुंह मध्यप्रदेश की तरफ करने में गंभीर किस्म की रुचि लेते हैं, तब यह विश्वास गाढ़ा होने लगता है कि शिवराज की कोशिशों को उम्मीद से कुछ अधिक ही प्रतिसाद मिलने वाला है।
अब शिवराज आगे देख नहीं रहे, बल्कि बढ़ भी चले हैं। निवेशकों से निरंतर संवाद सहित विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय तक का उनका सात सूत्रीय एजेंडा देखिए। आप पाएंगे कि इंदौर के उन दो दिनों को विस्तार देने के लिए मुख्यमंत्री पूरी तरह तैयार हैं। ईज आॅफ डूइंग के लिए शिवराज ने निवेशकों को सरकारी प्रक्रियाओं एवं नियमों की जटिलता से  जिस तरह छूट दी है, वह बताता है कि चौहान ने ‘निवेश का विशेष’ रूप से ध्यान रखने का भी बंदोबस्त कर लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह हर महीने खुद इस से जुड़े कामकाज की समीक्षा करेंगे। गारमेंट क्षेत्र में भी ‘प्लग एंड प्ले’ की सुविधा दी जाएगी। ये सब दर्शाता है कि समिट के पहले और उसके दौरान शिवराज ने भविष्य की जो तस्वीर दिखाई , उसकी तासीर बहुत हद तक विश्वसनीय होती जा रही है। इस बात पर भी यकीन होने लगता है कि अब मध्यप्रदेश एक नए टेक ऑफ के लिए तैयार है। इस कॉकपिट में किसान मुख्यमंत्री एक निपुण और भरोसेमंद पायलट की तरह भी सामने आए हैं। पूरी तरह चक्रवृद्धि वाली दर से सफलताओं की वृद्धि को चौंकाने वाला रूप प्रदान करते हुए।

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