बिहाइंड द कर्टन/उस्ताद की शिकायत : मेरे पत्रों तक का उत्तर नहीं देते शिवराज

  • प्रणव बजाज
 अमजद अली खान

उस्ताद की शिकायत : मेरे पत्रों तक का उत्तर नहीं देते शिवराज
पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से बेहद नाराज हैं। इस नाराजगी की वजह है उनके द्वारा लिखे गए तमाम पत्रों का सीएम द्वारा कोई उत्तर नहीं देना है। दरअसल सीएम सचिवालय में आने वाले पत्रों का कोई माई बाप नहीं होता है, जिसकी वजह से इसकी जानकारी शायद सीएम को हो ही नहीं पाती है फलस्वरुप उन्हें पता ही नहीं चल पाता होगा कि उन्हें किसने और किस संदर्भ में पत्र भेजा है। इस मामले में उस्ताद का कहना है कि वे दुर्भाग्याली हैं कि  मध्यप्रदेश जैसी जगह पर पैदा हुए। इसके अलावा वे प्रदेश के संस्कृति विभाग की मनमानी से भी परेशान हैं। उनका कहना है कि बीते डेढ़ दशक में उनके द्वारा जितने भी पत्र चौहान को लिखे गए हैं किसी भी पत्र का आजतक उनके पास जबाव नहीं आया है। इसकी वजह से मैं सोचता हूं मुझे पद्म विभूषण मिलने का क्या फायदा। अगर सीएम को मुझसे कोई परेशानी है तो बता तो सकते हैं। हालात यह हैंं कि उन्हें तानसेन समारोह तक में भी नहीं बुलाया गया है।

कर्मचारियों की सुन ली भगवान ने
प्रदेश का बेहद महत्वपूर्ण महकमा संभल रहे मंत्री जी की कार्यशैली ऐसी है कि विभाग के अफसरों से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारी तक इसी उधेड़बुन में लगे रहते हैं कि मंत्री जी राजधानी का रुख ही नहीं करें तो बेहतर है। इसके लिए वे भगवान की प्रार्थना तक करने से भी पीछे नहीं रहते हैं। खास बात यह है कि भगवान ने भी उनकी सुन ली और मंत्री जी अधिकांश समय अपने गृह जिले ग्वालियर में ही रहते हैं। हां इस मामले में वे अफसर जरूर परेशान हो जाते हैं जिन्हें सरकारी फाईलों को कराने के लिए ग्वालियर आना जाना पड़ता है। इन मंत्री महोदय पर प्रदेश को उजियारे में रखने की जिम्मेदारी है। दरअसल प्रद्युम्न सिंह तोमर ग्वालियर शहर की एक विधानसभा से ही विधायक और शिव सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं। वैसे तो भोपाल में ऊर्जा विभाग और उनसे जुड़े कई दफ्तर हैं। अपना इलाका सुरक्षित बनाए रखने के फेर में वे भोपाल में कम और ग्वालियर में अधिक रहते हैं। असल में वे जब भी दौरे पर या राजधानी में होते हैं, तो उन्हें नायक का किरदार याद आ जाता है। यह बात अलग है कि उनकी इस कार्यशैली को सरकारी महकमे को छोड़ दें तो जनता बेहद पंसद करती है।

भागवत ने बताया गुरु नानक देव को हिंदू शब्द का जनक
देश में हिंदु और हिन्दुत्व को लेकर नए सिरे से बहस की शुरूआत करने वाली कांग्रेस के लिए यह दांव अब उल्टा पड़ता दिख रहा है। इसकी वजह बन रहा है संघ प्रमुख मोहन भागवत का वह बयान, जिसमें उनके द्वारा कहा गया है कि हिंदू शब्द का पहली बार प्रयोग गरु नानकदेव द्वारा किया गया था। उन्होंने इस शब्द का जनक भी उन्हें ही माना है। यह बयान ऐसे समय आया है जब सिख बाहुल्य पंजाब राज्य में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। यह राज्य कांग्रेस के अलावा भाजपा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण बना हुआ है। भागवत ने धर्मशाला में पूर्व सैनिकों के कार्यक्रम में कहा कि इंसान का इंसान के लिए इंसान जैसा व्यवहार ही हिंदुत्व है। वसुधैव कुटुम्बकम हिंदुत्व का पर्याय है। हिंदुत्व मार्केटिंग करना नहीं सिखाता। पिछले 40 हजार साल से हमारा एक ही डीएनए है। इस दौरान कई अत्याचारी आए, अपनी संस्कृति, अपने बोल-वाणी कहा,  हम पर थोपते रहे, लेकिन हमारे पास सदियों से अपनी संस्कृति व संस्कार मौजूद हैं। उन्होंने इस दौरान पूर्व सैनिकों से कहा कि वे संघ के स्वयंसेवकों के घर जाकर उनकी जीवनशैली देखें और उसके बाद उनको लगे तो संघ से जुड़ें।

श्रीमंत की कार्यशैली ने डाला आश्चर्य में
कांग्रेस छोड़कर भाजपाई बन चुके श्रीमंत इन दिनों आए दिन ग्वालियर का प्रवास तो कर ही रहे हैं, साथ ही वे ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं, जिससे की कार्यकर्ताओं का मन जीता जा सके। यही वजह है कि वे बीते रोज एक बार फिर नए अंदाज में दिखे। वे दक्षिण विधानसभा के तीन मंडल कार्यकर्ताओं की बैठक में पहुंचे तो उन्होंने कार्यकर्ताओं को न केवल भोजन परोसा, बल्कि वहां मौजूद सभी कार्यकर्ताओं से नाम भी पूछा। यही नहीं बाद में कार्यकर्ताओं के बीच ही भोजन करने बैठ गए। दरअसल कांग्रेस में रहने के दौरान उनकी गिनती देश के उन नेताओं में होती थी , जो सबसे अधिक सोफिस्टिकेटेड नेता माने जाते थे। इसकी अपनी वजहें भी थीं। वे बीते दो साल से भाजपा में है, सो खुद को पूरी तरह से बदलकर भाजपाई संस्कृति में ढालने का प्रयास कर रहे हैं। बैठक के बाद श्रीमंत ने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे कार्यकर्ताओं के साथ आत्मीयता से मुलाकात और भोजन करने का मौका मिला है। इसी आत्मीयता के आधार पर ग्वालियर के विकास की रचना तैयार करेंगे।

Related Articles