बिच्छू राउंडअप/आईपीओ से पैसा जुटाने में भारत चौथे स्थान पर, अमेरिका सबसे आगे

  • रवि खरे
आईपीओ

आईपीओ से पैसा जुटाने में भारत चौथे स्थान पर, अमेरिका सबसे आगे
घरेलू शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये पैसा जुटाने के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है। बर्नस्टीन के विश्लेषण के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2025 में भारतीय कंपनियों ने आईपीओ के जरिये 14.2 अरब डॉलर की राशि जुटाई। अमेरिका 52.9 अरब डॉलर के साथ इस सूची में शीर्ष पर है। हांगकांग 23.4 अरब डॉलर के साथ दूसरे और चीन 16.2 अरब डॉलर के साथ चौथे स्थान पर है। विश्लेषण के मुताबिक, रुपये के संदर्भ में कैलेंडर वर्ष 2025 में प्राथमिक बाजार में 74 भारतीय कंपनियों ने आईपीओ से 85,241.08 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह पिछले पांच वर्षों में प्राथमिक बाजार से जुटाई गई तीसरी सबसे बड़ी राशि है। इसमें 30,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए खुले तीन बड़े आईपीओ बीवर्क इंडिया, टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया शामिल नहीं हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश की नई रणनीति, बनाई महिला आतंकियों की ब्रिगेड
ऑपरेशन सिंदूर में पिटने के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने पहली बार महिला आतंकियों की ब्रिगेड बनाने की घोषणा की है। इसकी कमान जैश मुखिया मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर को सौंपी गई है। सादिया का पति युसूफ अजहर 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर में वायुसेना के हमले में मारा गया था। महिला आतंकियों की इस शाखा का नाम जमात-उल-मोमिनात रखा गया है। जैश की संचार शाखा अल कलाम मीडिया के पत्र से यह खुलासा हुआ है। इसमें मसूद का नाम लिखा है और जिहाद की अपील की गई है। जैश ने जमात-उल-मोमिनात को अपने नए ऑपरेशनल ढांचे का हिस्सा बताया है। महिला शाखा के गठन का मकसद कुफ्र और निफाक (कपट) को मुंहतोड़ जवाब देना बताया है।   देवबंदी विचारधारा से ताल्लुक रखने वाला जैश परंपरागत रूप से महिलाओं को हथियारबंद जिहाद से दूर रखता आया है, पर मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल सैफ ने महिला आतंकियों ब्रिगेड को मंजूरी देकर अपनी रणनीति में बदलाव किया है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायसुना ने जैश मुख्यालय मरकज सुभानअल्लाह पर हमला कर उसे तबाह कर दिया।

करवा चौथ आज: कपड़ा और सराफा बाजारों में उमड़ी भीड़, देशभर के बाजारों में रौनक
नवरात्र की शुरुआत के साथ ही त्योहारी सीजन में बाजार ने रफ्तार पकड़ ली है। 10 अक्टूबर यानी शुक्रवार को मनाए जाने वाले करवा चौथ के त्योहार पर भी देशभर के बाजार सज गए हैं। सराफा बाजारों और कपड़े की दुकानों में सबसे ज्यादा रौनक देखी जा रही है। कारोबारियों का कहना है कि पिछले करवा चौथ के मुकाबले इस बार बाजार में ज्यादा चहल-पहल दिखाई दे रही है। उम्मीद है कि इसका असर कारोबार पर भी दिखने की उम्मीद है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया, करवा चौथ पर देशभर में करीब 25,000 करोड़ रुपये की खरीद-बिक्री की उम्मीद है। पिछली बार करीब 22,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। खंडेलवाल ने कहा, करवा चौथ का पर्व न सिर्फ भावनाओं का बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने वाला त्योहार भी बन गया है। इस बार आभूषण, कपड़े, कॉस्मेटिक्स, गिफ्ट आइटम, मिठाइयों और सजावटी सहित अन्य सामानों की बिक्री में तेजी दिख रही है। सराफा कारोबारियों का कहना है, सोने व चांदी की बढ़ रही कीमतों के कारण आभूषणों की खरीदारी कम होने का अनुमान है।

देश के शीर्ष-100 अमीरों की संपत्ति इस साल नौ फीसदी घटी, 12त्न घटी अंबानी की दौलत
देश के 100 सबसे अमीर व्यक्तियों की संयुक्त संपत्ति इस साल 9 फीसदी घटकर एक लाख करोड़ डॉलर रह गई है। यह किसी भी वर्ष की सबसे बड़ी गिरावटों में से एक है। लगभग 100 अरब डॉलर का यह सामूहिक नुकसान पिछले वर्ष के आकलन के बाद से कमजोर होते रुपये और सेंसेक्स में 3 फीसदी की गिरावट के दोहरे दबाव को दर्शाता है। विश्लेषकों के मुताबिक, यह गिरावट इस बात का भी संकेत है कि वैश्विक बाजार में अस्थिरता, सीमित पूंजी निवेश और निवेशकों की सुस्त धारणा ने ऊर्जा और प्रौद्योगिकी से लेकर विनिर्माण और बुनियादी ढांचे तक, सभी क्षेत्रों के भारतीय अरबपतियों की किस्मत को कैसे प्रभावित किया है। फोब्र्स की सूची में शामिल लगभग दो-तिहाई लोग पिछले वर्ष की तुलना में कम समृद्ध हैं। इससे पता चलता है कि इस वर्ष की वित्तीय चुनौतियों ने देश के सबसे बड़े व्यावसायिक घरानों को भी नहीं बख्शा है।

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