बिच्छू राउंडअप/चीन ने भारतीय दवा उत्पादों से पूरा 30 प्रतिशत शुल्क हटाया

  • रवि खरे
भारतीय दवा उत्पादों

चीन ने भारतीय दवा उत्पादों से पूरा 30 प्रतिशत शुल्क हटाया
चीन ने भारत के दवा उत्पादों पर 30 फीसदी आयात शुल्क को घटाकर शून्य कर दिया है। चीन ने यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से फार्मा आयात पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने के ठीक बाद उठाया है। इस फैसले के बाद भारत की दवा बनाने वाली कंपनियां बिना किसी सीमा शुल्क के चीन को दवाएं निर्यात कर सकेंगी। ट्रंप के टैरिफ से अमेरिकी बाजार में लागत बढऩे के बीच चीन का यह फैसला भारतीय कंपनियों को सस्ती दवाओं की मजबूत मांग वाले वैकल्पिक बाजार के तौर पर उभर सकता है। इससे आने वाले समय में भारतीय दवा निर्यात में अरबों डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है। दो दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने फार्मा उत्पादों सहित कई चीजों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था। इनमें फार्मा उत्पादों पर 100 फीसदी का शुल्क प्रमुख था। यह बढ़ा हुआ शुल्क एक अक्टूबर से प्रभावी होगा।

भारतीय परिवारों की संपत्ति आठ वर्षों में सबसे तेज रफ्तार से बढ़ी
भारतीय परिवारों की संपत्ति 2024 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है। इसमें बीते आठ वर्षों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। आलियांज ग्लोबल की हालिया जारी वैश्विक रिपोर्ट-2025 में बताया गया कि 2024 में भारतीय परिवारों की संपत्ति 14.5 फीसदी की दर से बढ़ी है। यह देश में तेजी से बढ़ती मध्य वर्ग की क्षमता को दिखाता है। करीब 60 देशों को कवर करने वाली इस रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले दो दशकों में भारत की वास्तविक प्रति व्यक्ति वित्तीय संपत्ति पांच गुना बढ़ी है। यह किसी भी अन्य उभरती अर्थव्यवस्था के मुकाबले सबसे अच्छा प्रदर्शन है। पिछले साल प्रतिभूतियों में सबसे अधिक वृद्धि हुई, जो 28.7 फीसदी थी। बीमा और पेंशन में 19.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। बैंक जमा में 8.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय परिवारों के पोर्टफोलियो का 54 फीसदी हिस्सा बैंक जमाओं से आता है। ऐसे में इसमें वृद्धि बढ़ती बचत को दिखाती है। वास्तविक रूप से महंगाई के बाद वित्तीय संपत्तियों में 9.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। इससे खरीदने की शक्ति कोरोना महामारी के पूर्व स्तर से 40 फीसदी ऊपर पहुंच गई है। यह पश्चिमी यूरोप से बिल्कुल अलग है, जहां खरीद क्षमता 2019 से 2.4 फीसदी कम बनी हुई है।

भारत की व्हिस्की बिक्री में साउथ का दबदबा: कर्नाटक के लोग गटक गए सात करोड़ पेटी
भारत में बनी विदेशी शराब (आईएमएफएल) की बिक्री में दक्षिणी राज्यों का दबदबा है। उद्योग निकाय सीआईएबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में देश में कुल आईएमएफएल बिक्री में दक्षिण भारत की 58 फीसदी हिस्सेदारी रही। वित्त वर्ष 2025 में अखिल भारतीय व्हिस्की बिक्री में 17 फीसदी का योगदान देकर कर्नाटक शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। पांच दक्षिणी राज्यों- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना तथा केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी ने 31 मार्च, 2025 को समाप्त वित्तीय वर्ष में 23.18 करोड़ पेटी (संयुक्त रूप से 58 फीसदी बिक्री का योगदान) की खपत करते हुए, भारत में बनी विदेशी शराब (आईएमएफएल) की बिक्री में अपना दबदबा बनाए रखा है। सीआईएबीसी के अनुसार, दक्षिण भारत का आईएमएफएल बाजार पर लगभग पूरी तरह से कब्जा है, जबकि देश के बाकी हिस्से की हिस्सेदारी केवल 42 फीसदी है। हालांकि, पूरे देश में आईएमएफएल व्हिस्की की बिक्री में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो अब 40.17 करोड़ पेटी पर आ गई है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 39.62 करोड़ पेटी थी।

टीवीके को सार्वजनिक समारोह करने से रोकने की मांग, हाईकोर्ट ने की सुनवाई
मद्रास हाईकोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें अभिनेता-राजनेता सी. जोसेफ विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) को करूर भगदड़ की आधिकारिक जांच पूरी होने तक किसी भी सार्वजनिक समारोह, रैली या कार्यक्रम आयोजित करने से रोकने की मांग की गई है। मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एन सेंथिलकुमार ने शाम 4:30 बजे एक तत्काल याचिका पर सुनवाई की, जिसमें विजय की पार्टी टीवीके को सार्वजनिक समारोहों, रैलियों या सभाओं से रोकने की मांग की गई थी। यह याचिका शनिवार को करूर में हुई घटना के बाद दायर की गई, जहां टीवीके के प्रचार कार्यक्रम में भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई और कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई। जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए।  राज्य को झकझोर देने वाली इस त्रासदी ने कार्यक्रम प्रबंधन, पुलिस सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण उपायों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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