
- रवि खरे
भारत-ईयू ट्रेड डील निर्णायक मोड़ पर, पांच दिन भारत में रहेंगे 27 राजदूत
यूरोपीय संघ (ईयू) की राजनीतिक एवं सुरक्षा समिति का 27 राजदूतों का दल बुधवार से भारत की पांच दिवसीय यात्रा पर आएगा। यह दल दोनों पक्षों के बीच संबंधों को नई गति देने और मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के तरीकों पर चर्चा करेगा। राजदूत डेल्फिन प्रोंक के नेतृत्व में यह दल भारत सरकार के उच्च स्तरीय अधिकारियों और रक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधियों से मिलेगा। यह यात्रा प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते के लिए भारत और ईयू के बीच 13वें दौर की बातचीत हो रही है, जिसे दोनों पक्ष दिसंबर तक अंतिम रूप देना चाहते हैं। इस दल की यात्रा का उद्देश्य आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाना है। सरकार के करीबी सूत्र के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच अब तक 23 में से 11 अध्याय पूरे हो चुके हैं, जिनमें सीमा शुल्क, डिजिटल व्यापार और बौद्धिक संपदा जैसे विषय शामिल हैं।
वायु सर्वेक्षण: दिल्ली की रैंकिंग में 24 पायदान की गिरावट, अब 32वें स्थान पर
राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) लगातार खराब होता जा रहा है। हवा में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक और हेवी मेटल सांस के साथ फेफड़ों की क्षमता को प्रभावित कर मूक कातिल बनकर लोगों की सांस उखाड़ रहा है। आलम यह है कि पिछले साल सातवें पायदान पर रही दिल्ली केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की हालिया रिपोर्ट स्वच्छ हवा सर्वेक्षण 2025 में 32वें स्थान पर पहुंच गई है। सर्वेक्षण के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 10 लाख से अधिक आबादी वाले 48 शहरों की इस रैंकिंग में दिल्ली की रैंकिंग में 24 पायदान की गिरावट आई है। पिछले साल 2024 में यह सातवें पायदान पर थी। इसने विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों से कहीं अधिक है। पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का स्तर खतरनाक स्तर पर बना हुआ है, जो सांस संबंधी बीमारियों और जीवन प्रत्याशा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इसके अलावा, राजधानी की बयार को राज्य स्तर पर 172.3 और अंतिम स्कोर 157.3 मिला है। आलम यह है शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण औसतन जीवन प्रत्याशा में 8 साल की कमी आ रही है।
पड़ोसी से झगड़ा आत्महत्या का उकसावा नहीं’, अदालत ने पलटा हाईकोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पड़ोसी के झगड़े जिनमें तीखी बहस और हाथापाई तक होती है, वे भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत स्वत: ही आत्महत्या के लिए उकसाने के दायरे में नहीं आते। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें पड़ोसी को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में महिला को तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी का पीडि़ता को आत्महत्या के लिए उकसाने या सहायता करने का इरादा आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज करने के लिए आवश्यक है। पीठ ने कहा, अपने पड़ोसी से प्रेम करो आदर्श स्थिति है, लेकिन पड़ोसी से झगड़ा सामान्य है। ये सामुदायिक जीवन जितने ही पुराने हैं। सवाल यह है कि क्या तथ्यों के आधार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई मामला दर्ज किया गया है?
भारतीयों पर भ्रामक बयान पर भडक़े पीएम अल्बानीज, कहा- माफी मांगें विपक्ष
भारतीयों पर आव्रजन संबंधी भ्रामक टिप्पणी पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने नाराजगी जताई और विपक्षी सांसद से माफी मांगने को कहा। विपक्षी सांसद जसिंटा नम्पिजिनपा प्राइस ने आरोप लगाया था कि अल्बनीज की लेबर पार्टी को वोट देने के लिए भारतीयों को ऑस्ट्रेलिया आने की अनुमति दी गई है। प्राइस की टिप्पणियों से ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतवंशियों में रोष फैल गया है। इसके कारण पार्टी के भीतर ही यह मांग उठने लगी है कि प्राइस को माफी मांगनी चाहिए। अल्बनीज ने मंगवलार को सरकारी प्रसारणकर्ता एबीसी को दिए गए साक्षात्कार में कहा, भारतीय समुदाय के लोग आहत हैं। सीनेटर की टिप्पणियां सच नहीं हैं। निश्चित रूप से भारतीय समुदाय को जो ठेस पहुंची है उसके लिए प्राइस को माफी मांगनी चाहिए। उनके अपने सहयोगी भी यही कह रहे हैं। मध्य-दक्षिणपंथी लिबरल पार्टी की सीनेटर प्राइस ने देशभर में हुए प्रवासी विरोधी प्रदर्शनों के बाद भारतीयों समुदाय पर यह टिप्पणी की थी।