बिच्छू डॉट कॉम: टोटल रिकॉल/कृषि मंत्री बोले- खेती के फैसले अब खेत में, दिल्ली में नहीं

कृषि मंत्री

कृषि मंत्री बोले- खेती के फैसले अब खेत में, दिल्ली में नहीं
खेती अब कागजों में नहीं, जमीन पर किसानों से बातचीत के आधार पर चलेगी। कृषि नीतियों के फैसले अब मंत्रालय के कमरों में नहीं, खेतों की मिट्टी में लिए जाएंगे। यह संदेश केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को आयोजित राष्ट्रीय सोयाबीन बैठक में दिया। इंदौर स्थित भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में देश से आए वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, किसानों और अधिकारियों के बीच शिवराज का अलग अंदाज नजर आया। खेत में ट्रैक्टर चलाकर उन्होंने वैज्ञानिकों को व्यावहारिक ज्ञान की अहमियत समझाई। स्पष्ट किया कि वे नकली नहीं, असली किसान हैं। बैठक के बाद मीडिया से चर्चा में शिवराज ने कहा, अब कृषि शोध और नीति निर्माण की प्रक्रिया बदलने जा रही है। शोध के विषय अब दिल्ली में नहीं, खेत में किसानों से चर्चा कर तय होंगे। किसान जो सुझाव देंगे, वही वैज्ञानिकों और नीतिकारों की दिशा तय करेंगे।

कलेक्टर पर भारी पटवारी- तबादला आदेश के बाद भी हलकों में जमे
प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में पटवारी कितने रसूखदार हो हैं, इसका अंदाजा इसी से की जा सकता है कि भोपाल जिले में शिकायतों पर हटाए गए पटवारी भी अपना हलका छोडऩे को तैयार नहीं हैं। जबकि जिलाधीश कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने पटवारियों के तबादला आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया था कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इसके बावजूद भी पटवारी अपनी नवीन पदस्थापना वाली जगह पर जाने को तैयार नहीं हैं। इतना ही नहीं शासन से संलग्र पर रोक होने के बावजूद भी पटवारी दूसरी तहसीलों में अटैच होकर हलका संभाल रहे हैं। पटवारी, भाजपा सांसद आलोक शर्मा के बाद अब जिलाधीश पर भी भारी पड़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि तबादला नीति के प्रभावी होने तक भोपाल जिलाधीश ने दो अलग-अलग सूची में 47 पटवारियों के एक तहसील से दूसरी तहसील में तबादले किए थे। जबकि भोपाल सांसद ने 180 से ’यादा पटवारियों के लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे होने पर दूसरी जगह तबादला करने की सूची प्रभारी मंत्री चैतन्य काश्यप एवं जिलाधीश कौशलेंद्र विक्रम सिंह को सौंपी थी।

शिशु सुरक्षा में पिछड़े, मप्र में सबसे ज्यादा मौतें
प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) दो वर्षों में 4३ से घटकर 40 प्रति हजार जीवित जन्म हो गई है। हालांकि, यह मामूली गिरावट है और प्रदेश अब भी देश में सबसे अधिक आईएमआर वाला राज्य बना हुआ है। गांव में स्थिति ज्यादा खराब है, जहां आईएमआर 4३ है, जबकि शहरों में यह घटकर 28 रह गई है। बिहार, महाराष्ट्र में इस दर में तेज गिरावट आई है। इन राज्यों ने कुशल प्रसव और अच्छी पोषण नीति के जरिए सुधार किया है। इसका खुलासा रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा गुरुवार को जारी एसआरएस बुलेटिन 2022 में हुआ। सीएम डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार रात कैमिश्नर कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में मातृ-शिशु मृत्यु दर पर चिंता जताई और सुधार के निर्देश दिए।

सिंधिया के हाथ में चुभी लोहे की फांस कार्यक्रम छोडक़र रवाना
रेलवे स्टेशन पर बैरिकेडिंग के नीचे से निकलने के दौरान केंद्रीय मंत्री ’योतिरादित्य सिंधिया के हाथ में चोट लग गई। बताया जा रहा है कि हाथ में लोहे की फांस चुभ गई। डॉ. राजकुमार जायसवाल सहित अन्य दो डॉक्टर करीब 10 मिनट तक फांस निकालने में जुटे रहे। जब फांस नहीं निकली तो सिंधिया बाकी कार्यक्रम छोड़ गुना रवाना हो गए। दरअसल, गुरुवार रात करीब सवा 10 बजे ग्वालियर-बेंगलूरु साप्ताहिक एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने का कार्यकम था। सिंधिया इसी ट्रेन से ग्वालियर, गुना और रात में अशोकनगर पहुंचे। स्टेशन पर मंच बना था। मंच से लोगों को दूर रखने बैरिकेडिंग कर डी बनाई गई थी। डी के बाहर लोग माला लेकर खड़े थे। सिंधिया मंच से कूदने के अंदाज में लोगों तक पहुंचने पाइपों के नीचे से झुककर निकले। तभी हाथ में फांस चुभ गई।

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