बिच्छू डॉट कॉम: टोटल रिकॉल/मप्र-असम में होगी साझेदारी, लाएंगे एक सींग वाले गेंडे

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मप्र-असम में होगी साझेदारी, लाएंगे एक सींग वाले गेंडे
मध्यप्रदेश और असम के बीच अब वन्यजीव पर्यटन को लेकर साझेदारी की तैयारी शुरू हो गई है। असम से लंबे समय से एक सींग वाले गेंडे लाने की तैयारी चल रही है। अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के असम स्थित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का भ्रमण करने के बाद एक सींग वाले गेंडे लाए जाने की संभावना ज्यादा बढ़ गई हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने असम प्रवास के दौरान रविवार को विश्व प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और चाय बागान का भ्रमण किया। उन्होंने बागान में चाय उत्पादन की प्रक्रिया का अवलोकन कर स्थानीय किसानों और श्रमिक बहनों से आत्मीय संवाद भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चाय उद्योग असम का गौरव और अर्थव्यवस्था का प्रतीक है। परिश्रम, अपनत्व एवं सादगी की धरती असम और मध्यप्रदेश के बीच व्यापार-उद्योग के साथ ईको टूरिज्म, वन्य जीव पर्यटन की दिशा में भी परस्पर सहयोग, विश्वास और साझेदारी को बढ़ाने के लिए विशेष पहल होगी।

बच्चों की मौत के लिए मप्र सरकार जिम्मेदार, स्वास्थ्य मंत्री इस्तीफा दें
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से मासूम बच्चों की मौत के मामले में मप्र सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत शर्मनाक और दुखद है कि मप्र सरकार ने उन चेतावनियों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया, जो पहले ही तमिलनाडु सरकार द्वारा दी गई थीं। तमिलनाडु ने स्पष्ट रूप से बताया था कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में कुछ ऐसे हानिकारक तत्व मौजूद हैं, जो बच्चों की जान ले रहे हैं। इसके बावजूद मप्र सरकार ने न केवल इस सिरप को क्लीन चिट दी, बल्कि इसकी बिक्री और वितरण को भी निर्बाध रूप से जारी रखने की अनुमति दी। यह सरकार की घोर लापरवाही और बच्चों के जीवन के प्रति उसकी असंवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार में जरा भी नैतिकता और जवाबदेही बची है, तो उसे तत्काल स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा मांगना चाहिए। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि आखिर क्यों इस सिरप को बाजार में बिकने दिया गया, जबकि इसके खतरों की जानकारी पहले से ही उपलब्ध थी।

पंचायतें 3 प्रजातियों के वृक्षों की टीपी जारी कर सकेंगी
राज्य सरकार ग्राम पंचायतों को तीन वृक्षों की ऑनलाइन ट्रांजिट पास (टीपी) जारी करने के अधिकार देने की तैयारी कर रही है। ये तीन वृक्ष हैं-सुबबूल, विलायती बबूल एवं नीलगिरी। दरअसल, इन वृक्षों की ज्यादातर गांवों में बहुतायत है और इनका विभिन्न कार्यों में उपयोग होता है। इनकी कटाई के बाद इन्हें राज्य के अंदर एवं राज्य के बाहर ले जाने के लिए टीपी जनरेट करने का अधिकार ग्राम पंचायतों को देने का राज्य शासन ने निर्णय लिया है। इसके लिए वन विभाग के टीपी पोर्टल पर व्यवस्था की जाएगी। वन विभाग के लिए इन तीनों प्रजातियों के वृक्षों का कोई महत्व नहीं है और उसे इन्हें अपने जंगलों से श्रमिक लगवाकर हटवाना पड़ता है।

भावांतर योजना में पंजीयन शुरू, 17 अक्टूबर तक होंगे
सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए भावांतर योजना में किसानों के पंजीयन शुरू हो गए हैं। योजना के तहत किसान ई-उपार्जन पोर्टल पर 17 अक्टूबर तक पंजीयन करा सकेंगे। सोयाबीन की खरीदी 24 अक्टूबर से शुरू होगी, जो 15 जनवरी तक चलेगी। कृषि मंडियों में इस अवधि में सोयाबीन बेचने वाले किसानों को ही भावांतर योजना का लाभ मिलेगा। 24 अक्टूबर से पहले मंडियों में सोयाबीन बेचने वाले किसान भावांतर योजना के दायरे में नहीं आएंगे। पंजीकृत किसान और उनके रकबे के सत्यापन की प्रक्रिया राजस्व विभाग के माध्यम से होगी। किसानों के भावांतर की राशि पंजीयन के समय दर्ज बैंक खाते में फसल बेचने के 15 दिन के अंदर हस्तांतरित की जाएगी।

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