बिच्छू डॉट कॉम: टोटल रिकॉल/जिला पंचायत सदस्य को पूर्व मंत्री इमरती देवी से जान का खतरा

इमरती देवी

जिला पंचायत सदस्य को पूर्व मंत्री इमरती देवी से जान का खतरा  
डबरा विधानसभा क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य नेहा मुकेश परिहार ने पूर्व मंत्री इमरती देवी पर धमकी देने का आरोप लगाया हैं। उन्होंने बीते रोज एसपी को ज्ञापन भी सौंपा है। इसके बाद पत्रकारों से चर्चा में परिहार ने बताया कि मेरी विधानसभा की दावेदारी से घबराकर पूर्व मंत्री इमरती देवी ने मेरे पति को जान से मारने की धमकी दी है। अगर मेरे परिवार पर किसी भी तरह का हमला होता है, तो उसकी जिम्मेदार पूर्व मंत्री इमरती देवी होंगी। उन्होंने कहा कि जब मैं जिपं सदस्य चुनी गई और अध्यक्ष के लिए दावेदारी की तो इमरती देवी ने 45 लाख रुपए यह कहकर लिए थे कि अध्यक्ष के लिए कुछ खर्च होगा। इसके बाद न पैसे मिले, न ही पद। पूर्व मंत्री इमरती देवी का कहना है कि यह सारे आरोप बेबुनियाद हैं।

विधायक के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने खोला मोर्चा
प्रदेश में विधानसभा का चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है। वैसे-वैसे अपने क्षेत्र के विधायकों को लेकर कार्यकर्ताओं में रोष देखने को मिल रहा है। इसी का नतीजा है कि अनूपपुर जिले की कोतमा विधानसभा सीट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक सुनील सराफ के खिलाफ उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की ओर से विधायक हटाओ कोतमा बचाओ के नारे लगाए गए। यह घटनाक्रम तब हुआ जब कोतमा में कांग्रेस के पूर्व और वर्तमान पदाधिकारी की ओर से एक बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में कार्यकर्ताओं ने सराफ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वहीं, नगर में पैदल मार्च भी निकाला और कांग्रेस पार्टी के ही कार्यकर्ताओं की ओर से सुनील हटाओ कोतमा बचाव के नारे भी लगाए गए।

सुरेंद्रनाथ ने कहा नहीं है उमाशंकर गुप्ता का व्यवहार ठीक  
टिकटों की कवायद के बीच भोपाल की दक्षिण-पश्चिम सीट पर खींचतान तेज हो गई है। पूर्व विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह अपने समर्थकों के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिले और अपनी दावेदारी पेश की। उन्होंने कहा कि वे शुरू से ही मध्य सीट से नहीं लड़ना चाहते थे। अब दक्षिण-पश्चिम के लोग ही कह रहे हैं कि पूर्व मंत्री व इस सीट से 2018 में चुनाव हारे उमाशंकर गुप्ता का व्यवहार ठीक नहीं है। इसीलिए अपना दावा रखा है। सुरेंद्रनाथ के इस बयान पर उमाशंकर ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन यह जरूर कहा कि सभी को दावेदारी का अधिकार है। मैं खुद इस सीट से लड़ना चाहता हूं।

नर्मदापुरम कलेक्टर को भारी पड़ सकती है अनदेखी
मप्र हाईकोर्ट ने पूर्व में दिये गये आदेश का पालन न होने के मामले को सख्ती से लिया। जस्टिस संजय द्धिवेदी की एकलपीठ ने नर्मदापुरम कलेक्टर को 15 दिनों के अंदर जवाब पेश करने को कहा है। जवाब न आने की स्थिति में उन्हें स्वयं कोर्ट के समक्ष हाजिर होना होगा। यह मामला नर्मदापुरम पिपरिया निवासी राघवेन्द्र सिंह राजपूत की ओर से दायर किया गया। जिन्होनें न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता पिपरिया तहसील की एडीजे कोर्ट में अतिरिक्त लोक अभियोजन अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। एडीजे का स्थानांतरण टीकमगढ़ होने पर कलेक्टर ने कार्य विभाजन के दौरान आवेदक को पद से हटा दिया। आवेदक की ओर से कहा गया कि कलेक्टर को सिर्फ कार्य विभाजन का अधिकार था न की पद से हटाने का। उक्त मामले में न्यायालय ने पूर्व में अपने, अंतरिम आदेश से याचिकाकर्ता आगामी सुनवाई तक पद पर बने रहने व पूर्ण वेतन भुगतान किये जाने के निर्देश अनावेदकों को दिये थे।

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