
श्रमिकों को 30 नवंबर तक बोनस भुगतान के निर्देश
श्रम विभाग द्वारा कारखानों और वाणिज्यिक संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों के लिए बोनस भुगतान अधिनियम-1965 के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे संस्थान जहां 20 या इससे अधिक श्रमिक कार्यरत हैं और जिनका मासिक वेतन 21 हजार से कम है, उन्हें बोनस भुगतान जरूरी है। अधिनियम के अनुसार हर लेखा वर्ष में किए गए कार्य के बोनस का भुगतान आगामी लेखा वर्ष में 30 नवंबर तक किया जाना चाहिए। बोनस की राशि 7000 रुपए अथवा 8.33 प्रतिशत जो भी अधिक हो, वह देय होगी। उप श्रम आयुक्त आशीष पालीवाल ने बताया कि उक्त बोनस का भुगतान न होने की स्थिति में अपनी शिकायत संबंधित जिला श्रम कार्यालय में, एलसीएमएस पोर्टल पर, सीएम हेल्पलाइन पोर्टल 181 पर अथवा श्रम विभागीय टोल फ्री नंबर 18002338888 पर दर्ज करवा सकते हैं।
विद्युत विनियामक आयोग ने आरपीओ उल्लंघन से जुड़े सभी मामले खत्म किए
मप्र विद्युत नियामक आयोग (एमपीईआरसी) ने नवीकरणीय ऊर्जा क्रय दायित्व के उल्लंघन से संबंधित सभी सुओ मोटू याचिकाएं समाप्त कर दी हैं। आयोग ने यह निर्णय भारत सरकार की नई अधिसूचना के बाद लिया है, जिसमें राज्य स्तर पर आरपीओ व्यवस्था को समाप्त कर इसे केंद्र सरकार के दायरे में लाने का प्रावधान किया गया है। आयोग ने पूर्व में विभिन्न कंपनियों, विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) और संस्थाओं के विरुद्ध सुओ मोटू याचिकाएं दर्ज की थीं। इन याचिकाओं के तहत संबंधित इकाइयों को 4 अगस्त, 2025 को नोटिस जारी कर वित्त वर्ष 2024-25 के आरपीओ अनुपालन की जानकारी 31 जुलाई, 2025 तक प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे। इस दौरान, भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने 27 सितंबर, 2025 को अधिसूचना जारी की, जिसके अनुसार अब प्रत्येक उपभोक्ता और वितरण कंपनी का नवीकरणीय ऊर्जा उपभोग दायित्व केंद्र स्तर पर निर्धारित किया जाएगा।
प्रदेश में आज से किया जाएगा जीपीएफ की शिकायतों का निराकरण
राज्य के सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) अभिदाताओं की शिकायतों के त्वरित और प्रभावी समाधान के उद्देश्य से कार्यालय महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी)-द्वितीय, मप्र ग्वालियर में 27 से 31 अक्टूबर तक शिकायत निवारण सप्ताह आयोजित किया जाएगा। यह पहल महालेखाकार कार्यालय द्वारा अभिदाताओं की समस्याओं को प्राथमिकता से सुलझाने और सेवा वितरण में पारदर्शिता एवं दक्षता लाने के उद्देश्य से की जा रही है। इस विशेष अभियान के दौरान जीपीएफ अभिदाताओं को अपनी शिकायतें सीधे महालेखाकार कार्यालय ग्वालियर में प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। साथ ही सभी आहरण संवितरण अधिकारी एवं लेखा संबंधी कार्यों में संलग्न अधिकारी को अभिदाताओं की शिकायतों का त्वरित परीक्षण कर तत्काल निराकरण सुनिश्चित करवा सकेंगे।
भावान्तर योजना फ्लॉप, सरकार फिर भी इसे लागू करने पर तुली
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने रविवार को यहां पत्रकारों से चर्चा में मप्र और केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने किसानों की अनदेखी, मंडी बोर्ड के आर्थिक संकट, भावांतर योजना की विफलता जैसे मुद्दों पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। यादव ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मप्र से होने के बावजूद प्रदेश के किसानों को सोयाबीन का समर्थन मूल्य (5328 रुपए प्रति क्विंटल) नहीं मिल रहा, और मंडी में यह मात्र 3500 रुपए में बिक रहा है। मक्का का समर्थन मूल्य 2225 रुपए प्रति क्विंटल है, लेकिन मक्का उत्पादक किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहे। कपास के किसानों की भी कोई सुनवाई नहीं हो रही और सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी में विफल रही है। उन्होंने कहा कि भावांतर योजना पूरी तरह फ्लॉप साबित हो चुकी है, फिर भी मप्र सरकार इसे जबरन लागू करने पर तुली हुई है। योजना के लिए मंडी बोर्ड को 1500 करोड़ रुपए का लोन दिलाया जा रहा है, जबकि मंडी बोर्ड एक स्वायत्त संस्था है।
